आज पंचांग 01 सितंबर, 2024
Panchang, जो एक प्राचीन हिंदू कैलेंडर है, हिंदू संस्कृति में अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। संस्कृत के शब्द “पंच” जिसका अर्थ है “पाँच” और “अंग” जिसका अर्थ है “भाग,” से उत्पन्न, पंचांग एक पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के पाँच घटकों का उल्लेख करता है: तिथि (चंद्र दिवस), वार (सप्ताह का दिन), नक्षत्र (तारा), योग और करण। यह एक व्यापक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है, जो विभिन्न गतिविधियों के लिए शुभ और अशुभ समय के बारे में जानकारी प्रदान करता है, और जीवन को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संरेखित करने में सहायता करता है।
आज का हिंदू पंचांग
आज पंचांग 01 सितंबर, 2024
शुभ रविवार – – शुभ प्रभात्
74-30 मध्यमान 75-30
दैनिक पंचांग विवरण
आज दिनांक………………… 01.09.2024
कलियुग संवत्…………………………5126
विक्रम संवत्………………………….. 2081
शक संवत्……………………………..1946
संवत्सर………………………….श्री कालयुक्त
अयन………………………………दक्षिणायन
गोल…………………………………….. उत्तर
ऋतु………………………………………शरद्
मास………………………………….. भाद्रपद
पक्ष………………………………………कृष्ण
तिथि.. चतुर्दशी. रात्रि. 5.22* तक/अमावस्या
वार…………………………………….रविवार
नक्षत्र…….. अश्लेषा. रात्रि. 9.49 तक / मघा
चंद्रराशि……….कर्क. रात्रि. 9.49 तक / सिंह
योग…………परिघ. अपरा. 5.49 तक / शिव
करण………….विष्टि(भद्रा)-अपरा. 4.29 तक
करण…..शकुनी. रात्रि. 5.22* तक / चतुष्पद
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नोट-जिस रात्रि समय के ऊपर(*) लगा हुआ हो
वह समय अर्द्ध रात्रि के बाद सूर्योदय तक का है
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*विभिन्न नगरों के सूर्योदय में समयांतर मिनट*
दिल्ली -10 मिनट———जोधपुर +6 मिनट
जयपुर -5 मिनट——अहमदाबाद +8 मिनट
कोटा – 5 मिनट————-मुंबई +7 मिनट
लखनऊ – 25 मिनट——बीकानेर +5 मिनट
कोलकाता -54 मिनट–जैसलमेर +15 मिनट
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-सूर्योंदयास्त दिनमानादि-अन्य आवश्यक सूची-
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सूर्योदय…………………. प्रातः 6.13.17 पर
सूर्यास्त…………………. सायं. 6.49.00 पर
दिनमान-घं.मि.सै…………………12.35.42
रात्रिमान-घं.मि.सै……………….. 11.24.40
चंद्रास्त…………………….6.04.55 PM पर
चंद्रोदय……………………5.20.44 AM पर
राहुकाल….सायं. 5.15 से 6.49 तक(अशुभ)
यमघंट…अपरा. 12.31 से 2.06 तक(अशुभ)
गुलिक……………अपरा. 3.40 से 5.15 तक
अभिजित…….. मध्या.12.06 से 12.56 तक
पंचक………………………………….. नहीं है
हवन मुहूर्त(अग्निवास)………………. आज है
दिशाशूल………………………… पश्चिम दिशा
दोष परिहार……….घी का सेवन कर यात्रा करें
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विशिष्ट काल-मुहूर्त-वेला परिचय
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अभिजित् मुहुर्त – दिनार्द्ध से एक घटी पहले और एक घटी बाद का समय अभिजित मुहूर्त कहलाता है,पर बुधवार को यह शुभ नहीं होता.
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ब्रह्म मुहूर्त – सूर्योदय से पहले का 1.30 घंटे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है..
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प्रदोष काल – सूर्यास्त के पहले 45 मिनट और
बाद का 45 मिनट प्रदोष माना जाता है…
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गौधूलिक काल सूर्यास्त से 12 मिनट पहले एवं
12 मिनट बाद का समय कहलाता है
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भद्रा वास शुभाशुभ विचार
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भद्रा मेष, वृष, मिथुन, वृश्चिक के चंद्रमा में स्वर्ग में व कन्या, तुला, धनु, मकर के चंद्रमा में पाताल लोक में और कुंभ, मीन, कर्क, सिंह के चंद्रमा में मृत्युलोक में मानी जाती है यहां स्वर्ग और पाताल लोक की भद्रा शुभ मानी जाती हैं और मृत्युलोक की भद्रा काल में शुभ कार्य वर्जित होते हैं इसी तरह भद्रा फल विचार करें..
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* दैनिक सूर्योदय कालीन लग्न एवं ग्रह स्पष्ट *
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लग्न ……….सिंह 14°25′ पूर्व फाल्गुनी 1 मो
सूर्य ……….सिंह 14°53′ पूर्व फाल्गुनी 1 मो
चन्द्र …………….. कर्क 22°5′ आश्लेषा 2 डू
बुध ……………कर्क 27°54′ आश्लेषा 4 डो
शुक्र ……. कन्या 8°51′ उत्तर फाल्गुनी 4 पी
मंगल ………… मिथुन 3°30′ मृगशीर्षा 4 की
बृहस्पति …….. .वृषभ 24°48′ मृगशीर्षा 1 वे
शनि * …….. कुम्भ 22°27′ पूर्वभाद्रपद 1 से
राहू * …….. मीन 13°50′ उत्तरभाद्रपद 4 ञ
केतु * …………….. कन्या 13°50′ हस्त 2 ष
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दिन का चौघड़िया
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चंचल…………….. प्रातः 7.48 से 9.22 तक
लाभ……………. प्रातः 9.22 से 10.57 तक
अमृत………… .पूर्वा. 10.57 से 12.31 तक
शुभ…………….. अपरा. 2.06 से 3.40 तक
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रात्रि का चौघड़िया
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शुभ…………. सायं-रात्रि. 6.49 से 8.15 तक
अमृत……………… रात्रि. 8.15 से 9.40 तक
चंचल…………… .रात्रि. 9.40 से 11.06 तक
लाभ…… रात्रि. 1.57 AM से 3.23 AM तक
शुभ……. रात्रि. 4.48 AM से 6.14 AM तक
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(विशेष – ज्योतिष शास्त्र में एक शुभ योग और एक अशुभ योग जब भी साथ साथ आते हैं तो शुभ योग की स्वीकार्यता मानी गई है )
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शुभ शिववास की तिथियां
शुक्ल पक्ष-2—–5—–6—- 9——-12—-13.
कृष्ण पक्ष-1—4—-5—-8—11—-12—-30.
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दिन नक्षत्र एवं चरणाक्षर संबंधी संपूर्ण विवरण
संदर्भ विशेष -यदि किसी बालक का जन्म गंड नक्षत्रों (रेवती, अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा और मूल) में होता है तो सविधि नक्षत्र शांति की आवश्यक मानी गयी है और करवाना चाहिये..
आज जन्मे बालकों का नक्षत्र के चरण अनुसार राशिगत् नामाक्षर..
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08.40 AM तक—-अश्लेषा—–2——-डू
03.13 PM तक—-अश्लेषा—–3——-डे
09.49 PM तक—-अश्लेषा—–4——डो
_________राशि कर्क – पाया चांदी_________
04.24 AM तक——–मघा—–1——मा
उपरांत रात्रि तक——–मघा—–2——मी
_________राशि सिंह – पाया चांदी________.
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आज का दिन
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व्रत विशेष……………………. मास शिवरात्रि
अन्य व्रत……………………………… नहीं है
पर्व विशेष……………………………. नहीं है
समय विशेष….. पवित्र चातुर्मास विधान जारी
दिवस विशेष. .सन् 2024 सितंबर मास प्रारंभ
दिवस विशेष…………… राष्ट्रीय पोषण दिवस
पंचक……………………………. आज नहीं है
विष्टि(भद्रा)……………….. अपरा. 4.29 तक
खगोलीय………. हस्ते शुक्र. रात्रि. 5.13* पर
सर्वा.सि.योग…………………………. . नहीं है अमृत सि.योग…………………………..नहीं है
सिद्ध रवियोग……………………………नहीं है ___________________________________
अगले दिन की प्रतीकात्मक जानकारी
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दिनांक………………………..02.09.2024 तिथि…… भाद्रपद कृष्णा अमावस्या सोमवार
व्रत विशेष… .देवपितृ एवं सोमवती अमावस्या
अन्य व्रत….कुशोत्पाटिनी / पिठोरी अमावस्या
पर्व विशेष……………………. लोहार्गल यात्रा
पर्व विशेष……………. सती पूजा (अग्रवंशीय)
समय विशेष…… पवित्र चातुर्मास विधान जारी
दिवस विशेष…………… विश्व नारियल दिवस
पंचक……………………………. आज नहीं है
विष्टि(भद्रा)……………………………. नहीं है
खगोलीय………………………………..नहीं है
सर्वा.सि.योग…………………………. . नहीं है अमृत सि.योग…………………………..नहीं है
सिद्ध रवियोग……………………………नहीं है
_____________आज विशेष ____________
Panchang Today: September 01, 2024
पितरों की कृपा और आशिर्वाद चाहते हैं तो इस सोमवती अमावस्या पर करें कुछ सरल उपाय
हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि 2 सितंबर को सुबह 05:21 मिनट पर शुरू होगी. इसके बाद अगले दिन 3 सितंबर को सुबह 07:24 मिनट पर इसका समापन होगा. इसलिए सोमवती अमावस्या 2 सितंबर दिन सोमवार को मनाई जायगी।
सनातन धर्म में अमावस्या की विशेष मान्यता है. खासकर सोमवार के दिन आने वाली अमावस्या पर्व के रूप में मानी जाती है. सोमवार के दिन पड़ने के कारण ही इसे सोमवती अमावस्या कहते हैं. इस साल सितंबर में सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है. सोमवती अमावस्या के अवसर पर ब्रह्म मुहूर्त में अपने आस पास पवित्र नदियों में स्नान, दान करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
खास कर सुहागिन स्त्रियां इस दिन पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं. इससे संतान के जीवन में सुख की प्राप्ति होती है। भाद्रपद में सोमवती अमावस्या का शुभ संयोग बन रहा है, साथ ही पितरों का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो सोमवती अमावस्या पर क्या-क्या करें, जानें सही तारीख, महत्व और उपाय।
ज्योतिष के अनुसार हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि 2 सितंबर को सुबह 05:21 मिनट पर शुरू होगी. इसके बाद अगले दिन 3 सितंबर को सुबह 07:24 मिनट पर इसका समापन होगा. इसलिए सोमवती अमावस्या 2 सितंबर दिन सोमवार को मनाई जायगी. ये भाद्रपद माह की अमावस्या होगी. कहते हैं कि इस तिथि पर पितरों का श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान कर दिया जाए, तो जीवन के हर दुख और सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं।
ब्रह्म मुहूर्त:- सुबह 04:38 मिनिट से सुबह 05.24 मिनिट तक.
पूजा मुहूर्त:- सुबह 06:09 मिनिट से सुबह 07:44 मिनिट तक.
अमावस्या में क्या करें….?
सोमवती अमावस्या का दिन पितरों और शिव पूजा के लिए समर्पित माना गया है. इस दिन आप सूर्योदय से पूर्व पवित्र नदी में स्नान करें. इसके बाद फिर कच्चे दूध में दही, शहद मिलाकर भगवान शिव जी का अभिषेक कीजिये. साथ ही चौमुखी घी का दीपक जलाकर शिव चालीसा का पाठ कीजिये. इस दिन अगर महिलाएं व्रत करती है, तो उनके सुहाग पर संकट नहीं आता साथ ही वंश वृद्धि होती है. इसके अलावा कार्यों में आ रही अड़चने खत्म होती है. बिगड़े हुए काम पूरे होते है. सोमवती अमावस्या पर पवित्र नदी में स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए. इसके अलावा मछलियों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाएं. साथ ही चीटिंयों को आटा डालें. पीपल, बरगद, केला, तुलसी जैसे पेड़ भी लगाने चाहिए. इनमें देवताओं का वास माना जाता है. मान्यता है इससे सोमवती अमावस्या पर किए गए ये कार्य पितरों को प्रसन्न करते हैं जिसके कारण जीवन में खुशहाली आती है।
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दैनिक जीवन में पंचांग का महत्व
आधुनिक समय में भी पंचांग एक अमूल्य साधन बना हुआ है, जो लाखों लोगों को शादी, सगाई, यात्रा, व्यापारिक उद्यम और धार्मिक समारोहों जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मार्गदर्शन करता है। यह केवल एक कैलेंडर नहीं है, बल्कि यह ब्रह्मांडीय ज्ञान का भंडार है, जो विशेष ज्योतिषीय संयोजनों के दौरान की गई गतिविधियों के परिणामों को प्रभावित करने में सक्षम माना जाता है।
तिथि: चंद्र दिवस
तिथि चंद्रमा के चरण को दर्शाती है और अनुष्ठानों और समारोहों के लिए शुभ समय निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसमें 30 तिथियाँ होती हैं, जिनमें प्रत्येक तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच के विशिष्ट कोण का प्रतिनिधित्व करती है। प्रतिपदा (पहले दिन) से लेकर अमावस्या (नई चंद्र) और पूर्णिमा (पूर्ण चंद्र) तक, प्रत्येक तिथि का विशिष्ट महत्व होता है, जो मानव भावनाओं, क्रियाओं और आध्यात्मिक प्रयासों को प्रभावित करता है।
वार: सप्ताह का दिन
वार सप्ताह के दिनों को संदर्भित करता है, और प्रत्येक दिन एक देवता से जुड़ा होता है। विभिन्न सप्ताह के दिनों का विशिष्ट गतिविधियों पर प्रभाव को समझने से उत्पादकता और सफलता को अधिकतम करने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, सोमवार, जिसे चंद्रमा का दिन माना जाता है, नए कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ होता है, जबकि शनिवार, जो शनि से शासित होता है, आध्यात्मिक अभ्यास और आत्म-निरीक्षण के लिए अनुकूल होता है।
नक्षत्र: चंद्र नक्षत्र
नक्षत्र 27 चंद्र नक्षत्रों को दर्शाता है जिनसे चंद्रमा अपने मासिक चक्र के दौरान गुजरता है। प्रत्येक नक्षत्र मानव गतिविधियों पर एक विशिष्ट प्रभाव डालता है, जैसे व्यक्तित्व गुण, करियर के चुनाव, और संबंधों की गतिशीलता। अनुकूल नक्षत्रों के साथ कार्यों को संरेखित करने से व्यक्ति की समृद्धि और भलाई को बढ़ावा मिल सकता है।
योग: संयोजन
योग सूर्य और चंद्रमा की स्थितियों द्वारा बनाए गए शुभ या अशुभ संयोजनों को दर्शाता है। 27 योग होते हैं, जिनमें से प्रत्येक के अनूठे गुण और प्रभाव होते हैं। शुभ योगों की ऊर्जा का उपयोग करके व्यक्ति अपने प्रयासों में सफलता और संतुष्टि प्राप्त कर सकता है।
करण: आधा चंद्र दिवस
करण तिथि का आधा हिस्सा होता है और कार्यों की शुरुआत को प्रभावित करता है। 11 करण होते हैं जिन्हें दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है – स्थिर और चल। कार्यों की शुरुआत के लिए एक उपयुक्त करण का चयन करना अनुकूल परिणाम सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होता है।
Panchang Today: September 01, 2024
तिथि विश्लेषण
कृष्ण पक्ष द्वादशी: आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने और परोपकारी कार्यों में संलग्न होने के लिए आदर्श।
रोहिणी नक्षत्र: कलात्मक गतिविधियों, रचनात्मकता और संबंधों के पोषण के लिए अनुकूल।
वृद्धि योग: विकास-उन्मुख गतिविधियों और वित्तीय निवेशों के लिए उपयुक्त।
तैतिल करण: सहनशक्ति और धैर्य की आवश्यकता वाले कार्यों के लिए अनुकूल।
पंचांग की शक्ति का उपयोग
दैनिक जीवन में पंचांग के अंतर्दृष्टियों को शामिल करने से व्यक्ति को ब्रह्मांडीय लय के साथ सामंजस्य स्थापित करने में मदद मिलती है, जिससे वे ज्ञान और गरिमा के साथ चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। पंचांग द्वारा प्रदान किए गए मार्गदर्शन का उपयोग करके, व्यक्ति सभी प्रयासों में सफलता और संतुष्टि के अवसरों को अधिकतम कर सकता है।
निष्कर्ष
पंचांग अपने जटिल ज्ञान और ब्रह्मांडीय अंतर्दृष्टियों के साथ जीवन की यात्रा में मार्गदर्शन का दीपस्तंभ है। इसके शिक्षाओं को अपनाने से व्यक्ति समृद्धि के मार्ग पर आगे बढ़ता है, अपने कार्यों को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संरेखित कर संपूर्ण कल्याण प्राप्त करता है।