आज पंचांग 12 अक्टूबर, 2024
Panchang, जो एक प्राचीन हिंदू कैलेंडर है, हिंदू संस्कृति में अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। संस्कृत के शब्द “पंच” जिसका अर्थ है “पाँच” और “अंग” जिसका अर्थ है “भाग,” से उत्पन्न, पंचांग एक पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के पाँच घटकों का उल्लेख करता है: तिथि (चंद्र दिवस), वार (सप्ताह का दिन), नक्षत्र (तारा), योग और करण। यह एक व्यापक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है, जो विभिन्न गतिविधियों के लिए शुभ और अशुभ समय के बारे में जानकारी प्रदान करता है, और जीवन को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संरेखित करने में सहायता करता है।
आज का हिंदू पंचांग
आज पंचांग 12 अक्टूबर, 2024
शुभ शनिवार
74-30 मध्यमान 75-30
दैनिक पंचांग विवरण
आज दिनांक……………….. .12.10.2024
कलियुग संवत्…………………………5126
विक्रम संवत्………………………….. 2081
शक संवत्……………………………..1946
संवत्सर………………………….श्री कालयुक्त
अयन………………………………दक्षिणायन
गोल…………………………………… दक्षिण
ऋतु………………………………………शरद्
मास………………………………….. आश्विन
पक्ष…………………………………….. शुक्ल
तिथि……..नवमी. प्रातः 10.58 तक / दशमी
वार………………………………….. शनिवार
नक्षत्र…….श्रवण. रात्रि. 4.28* तक / धनिष्ठा
चंद्रराशि……………. मकर. संपूर्ण (अहोरात्र)
योग…………धृति. रात्रि. 12.21* तक / शूल
करण……………. कौलव. प्रातः 10.58 तक
करण……… तैत्तिल. रात्रि. 10.08 तक / गर
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नोट-जिस रात्रि समय के ऊपर(*) लगा हुआ हो
वह समय अर्द्ध रात्रि के बाद सूर्योदय तक का है
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*विभिन्न नगरों के सूर्योदय में समयांतर मिनट*
दिल्ली -10 मिनट———जोधपुर +6 मिनट
जयपुर -5 मिनट——अहमदाबाद +8 मिनट
कोटा – 5 मिनट————-मुंबई +7 मिनट
लखनऊ – 25 मिनट——बीकानेर +5 मिनट
कोलकाता -54 मिनट–जैसलमेर +15 मिनट
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-सूर्योंदयास्त दिनमानादि-अन्य आवश्यक सूची-
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सूर्योदय…………………. प्रातः 6.29.40 पर
सूर्यास्त…………………. सायं. 6.05.36 पर
दिनमान-घं.मि.सै…………………11.35.55
रात्रिमान-घं.मि.सै……………….. 12.24.32
चंद्रोदय………………….. 2.43.10 PM पर
चंद्रास्त………………….. .1.43.01 AM पर
राहुकाल..प्रातः 9.24 से 10.51 तक(अशुभ)
यमघंट…अपरा. 1.45 से 3.12 तक (अशुभ)
गुलिक……………..प्रातः 6.30 से 7.57 तक
अभिजित…….. मध्या.11.54 से 12.41 तक
पंचक……………………………. आज नहीं है
हवन मुहूर्त(अग्निवास)…………. आज नहीं है
दिशाशूल…………………………… पूर्व दिशा
दोष परिहार….. .उड़द का सेवन कर यात्रा करें
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विशिष्ट काल-मुहूर्त-वेला परिचय
अभिजित् मुहुर्त – दिनार्द्ध से एक घटी पहले और एक घटी बाद का समय अभिजित मुहूर्त कहलाता है,पर बुधवार को यह शुभ नहीं होता.
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ब्रह्म मुहूर्त – सूर्योदय से पहले का 1.30 घंटे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है..
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प्रदोष काल – सूर्यास्त के पहले 45 मिनट और बाद का 45 मिनट प्रदोष माना जाता है…
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गौधूलिक काल सूर्यास्त से 12 मिनट पहले एवं 12 मिनट बाद का समय कहलाता है
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भद्रा वास शुभाशुभ विचार
भद्रा मेष, वृष, मिथुन, वृश्चिक के चंद्रमा में स्वर्ग में व कन्या, तुला, धनु, मकर के चंद्रमा में पाताल लोक में और कुंभ, मीन, कर्क, सिंह के चंद्रमा में मृत्युलोक में मानी जाती है यहां स्वर्ग और पाताल लोक की भद्रा शुभ मानी जाती हैं और मृत्युलोक की भद्रा काल में शुभ कार्य वर्जित होते हैं इसी तरह भद्रा फल विचार करें..
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* दैनिक सूर्योदय कालीन लग्न एवं ग्रह स्पष्ट *
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ग्रह राशि अंश कला नक्षत्र चरण चरणाक्षर
लग्न ……………… कन्या 24°40′ चित्रा 1 पे
सूर्य ………………. कन्या 24°59′ चित्रा 1 पे
चन्द्र ……………. मकर 10°37′ श्रवण 1 खी
बुध ^ ……………….. तुला 2°58′ चित्रा 3 रा
शुक्र ……………. तुला 28°50′ विशाखा 3 ते
मंगल ………… मिथुन 26°12′ पुनर्वसु 2 को
बृहस्पति * ……. वृषभ 27°5′ मृगशीर्षा 2 वो
शनि * ……….. कुम्भ 19°34′ शतभिषा 4 सू
राहू * ……… मीन 11°40′ उत्तरभाद्रपद 3 झ
केतु * …………….. कन्या 11°40′ हस्त 1 पू
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दिन का चौघड़िया
शुभ……………….प्रातः 7.57 से 9.24 तक
चंचल………….अपरा. 12.18 से 1.45 तक
लाभ…………….अपरा. 1.45 से 3.12 तक
अमृत……………अपरा. 3.12 से 4.39 तक
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रात्रि का चौघड़िया
लाभ………..सायं-रात्रि. 6.06 से 7.39 तक
शुभ…………….रात्रि. 9.12 से 10.45 तक
अमृत……रात्रि. 10.45 से 12.18 AM तक
चंचल.. रात्रि.12.18 AM से 1.51 AM तक
लाभ…..रात्रि. 4.57 AM से 6.30 AM तक
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(विशेष – ज्योतिष शास्त्र में एक शुभ योग और एक अशुभ योग जब भी साथ साथ आते हैं तो शुभ योग की स्वीकार्यता मानी गई है )
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शुभ शिववास की तिथियां
शुक्ल पक्ष-2—–5—–6—- 9——-12—-13.
कृष्ण पक्ष-1—4—-5—-8—11—-12—-30.
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दिन नक्षत्र एवं चरणाक्षर संबंधी संपूर्ण विवरण
संदर्भ विशेष -यदि किसी बालक का जन्म गंड नक्षत्रों (रेवती, अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा और मूल) में होता है तो सविधि नक्षत्र शांति की आवश्यक मानी गयी है और करवाना चाहिये..
आज जन्मे बालकों का नक्षत्र के चरण अनुसार राशिगत् नामाक्षर..
11.14 AM तक—-श्रवण—-1——–खी
05.01 PM तक—-श्रवण—-2———खू
10.45 PM तक—-श्रवण—-3———खे
04.28 AM तक—-श्रवण—-4——–खो
उपरांत रात्रि तक—धनिष्ठा —-1———गा
________राशि मकर – पाया ताम्र ______
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आज का दिन 12/10/2024
व्रत विशेष…………… अपराजिता शमी पूजा
अन्य व्रत……………………………… नहीं है
दिन विशेष…………. श्री सरस्वती विसर्जनम्
पर्व विशेष.विजयादशमी(दशहरा-रावण दहन)
समय विशेष……पवित्र चातुर्मास विधान जारी
दिवस विशेष……………… बौद्धावतार दिवस
दिवस विशेष……………….. विश्व दृष्टि दिवस
दिवस विशेष……… विश्व आर्थराइटिस दिवस
पंचक………………………………….. नहीं है
विष्टि(भद्रा)………………………….. ..नहीं है
हवन मुहूर्त……………………… आज नहीं है
खगोलीय…. वृश्चिके शुक्र. उ.रात्रि. 6.00* पर
सर्वा.सि.योग…….. उदयात् रात्रि. 4.28* तक
अमृत सि.योग………………………… नहीं है
सिद्ध रवियोग……………… संपूर्ण (अहोरात्र)
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अगले दिन की प्रतीकात्मक जानकारी
दिनांक………………………..13.10.2024
तिथि………….आश्विन शुक्ला दशमी रविवार
व्रत विशेष….पापांकुशा एकादशी (स्मार्त्त मत)
अन्य व्रत…………………………….. . नहीं है
दिन विशेष……………….. माधवाचार्य जयंती
पर्व विशेष…………………………….. नहीं है
समय विशेष….. पवित्र चातुर्मास विधान जारी
दिवस विशेष…विश्व आपदा न्यूनीकरण दिवस
दिवस विशेष………………. विश्व अंडा दिवस
पंचक……………….. अपरा. 3.44 पर प्रारंभ
विष्टि(भद्रा)……………… रात्रि. 8.01 उपरांत
हवन मुहूर्त…………………………… आज है
खगोलीय………………………………..नहीं है
सर्वा.सि.योग…………………………. नहीं है
अमृत सि.योग………………………… नहीं है
सिद्ध रवियोग……….. उदयात् रात्रि 2.52 तक
आज विशेष
Panchang Today: October 12, 2024
जानिए क्या है स्वास्तिक की कहानी, भगवान गणेश से जुड़ा है रहस्य क्या है धार्मिक महतव
1/8 हिंदू धर्म में स्वास्तिक का बहुत बड़ा महत्व है. हिंदू लोग किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पहले स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर उसकी पूजा करते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से कार्य सफल होता है. स्वास्तिक के चिन्ह को मंगल का प्रतीक माना जाता है.
जानिए क्या है स्वास्तिक की कहानी, भगवान गणेश से जुड़ा है रहस्य।
2/8 स्वास्तिक शब्द को ‘सु’ और ‘अस्ति’ का मिश्रण योग माना गया है.‘सु’ का अर्थ है शुभ और ‘अस्ति’ से तात्पर्य है होना. इसका मतलब स्वास्तिक का मौलिक अर्थ है ‘शुभ हो’, ‘कल्याण हो’.आइए जानते हैं आखिर क्या है स्वास्तिक की कहानी और कैसे भगवान गणेश से जुड़ा हे इसका रहस्य.
जानिए क्या है स्वास्तिक की कहानी, भगवान गणेश से जुड़ा है रहस्य
3/8 स्वास्तिक का अर्थ होता है – कल्याण या मंगल. इसी प्रकार स्वास्तिक का अर्थ होता है – कल्याण या मंगल करने वाला. स्वास्तिक एक विशेष तरह की आकृति है, जिसे किसी भी कार्य को करने से पहले बनाया जाता है. माना जाता है कि यह चारों दिशाओं से शुभ और मंगल चीजों को अपनी तरफ आकर्षित करता है.
जानिए क्या है स्वास्तिक की कहानी, भगवान गणेश से जुड़ा है रहस्य
4/8 स्वास्तिक का अर्थचूंकि स्वास्तिक को कार्य की शुरुआत और मंगल कार्य में रखते हैं , अतः यह भगवान् गणेश का रूप भी माना जाता है. माना जाता है कि इसका प्रयोग करने से व्यक्ति को सम्पन्नता, समृद्धि और एकाग्रता की प्राप्ति होती है. इतना ही नहीं जिस किसी पूजा उपासना में स्वास्तिक का प्रयोग नहीं किया जाता, वह पूजा लम्बे समय तक अपना प्रभाव नहीं रख पाती है.
जानिए क्या है स्वास्तिक की कहानी, भगवान गणेश से जुड़ा है रहस्य
5/8 स्वास्तिक का वैज्ञानिक महत्व
– यदि आपने स्वास्तिक सही तरीके से बनाया हुआ है तो उसमें से ढेर सारी सकारात्मक उर्जा निकलती है.
– यह उर्जा वस्तु या व्यक्ति की रक्षा,सुरक्षा करने में मददगार होती है
– स्वास्तिक की उर्जा का अगर घर,अस्पताल या दैनिक जीवन में प्रयोग किया जाय तो व्यक्ति रोगमुक्त और चिंता मुक्त रह सकता है.
– गलत तरीके से प्रयोग किया गया स्वास्तिक भयंकर समस्याएं भी पैदा कर सकता है.
जानिए क्या है स्वास्तिक की कहानी, भगवान गणेश से जुड़ा है रहस्य
6/8 स्वास्तिक का प्रयोग कैसे करें-
स्वास्तिक की रेखाएं और कोण बिलकुल सही होने चाहिए.
भूलकर भी उलटे स्वास्तिक का निर्माण और प्रयोग न करें.
लाल और पीले रंग के स्वास्तिक ही सर्वश्रेष्ठ होते हैं.
जहां-जहां वास्तु दोष हो वहां घर के मुख्य द्वार पर लाल रंग का स्वास्तिक बनायें.
-पूजा के स्थान, पढाई के स्थान और वाहन में अपने सामने स्वास्तिक बनाने से लाभ मिलता है.
जानिए क्या है स्वास्तिक की कहानी, भगवान गणेश से जुड़ा है रहस्य
7/8 स्वास्तिक की चारों रेखाएं चार देवों का प्रतीक-
स्वास्तिक की चार रेखाओं की चार पुरुषार्थ, चार आश्रम, चार लोक और चार देवों यानी कि भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश (भगवान शिव) और गणेश से तुलना की गई है. स्वास्तिक की चार रेखाओं को जोड़ने के बाद मध्य में बने बिंदु को भी विभिन्न मान्यताओं द्वारा परिभाषित किया जाता है.
लाल रंग से ही स्वास्तिक क्यों बनाया जाता है-
लाल रंग व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्तर को जल्दी प्रभावित करता है. यह रंग शक्ति का प्रतीक माना जाता है. सौर मण्डल में मौजूद ग्रहों में से मंगल ग्रह का रंग भी लाल है. यह एक ऐसा ग्रह है जिसे साहस, पराक्रम, बल व शक्ति के लिए जाना जाता है. यही वजह है कि स्वास्तिक बनाते समय सिर्फ लाल रंग का ही उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
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दैनिक जीवन में पंचांग का महत्व
आधुनिक समय में भी पंचांग एक अमूल्य साधन बना हुआ है, जो लाखों लोगों को शादी, सगाई, यात्रा, व्यापारिक उद्यम और धार्मिक समारोहों जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मार्गदर्शन करता है। यह केवल एक कैलेंडर नहीं है, बल्कि यह ब्रह्मांडीय ज्ञान का भंडार है, जो विशेष ज्योतिषीय संयोजनों के दौरान की गई गतिविधियों के परिणामों को प्रभावित करने में सक्षम माना जाता है।
तिथि: चंद्र दिवस
तिथि चंद्रमा के चरण को दर्शाती है और अनुष्ठानों और समारोहों के लिए शुभ समय निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसमें 30 तिथियाँ होती हैं, जिनमें प्रत्येक तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच के विशिष्ट कोण का प्रतिनिधित्व करती है। प्रतिपदा (पहले दिन) से लेकर अमावस्या (नई चंद्र) और पूर्णिमा (पूर्ण चंद्र) तक, प्रत्येक तिथि का विशिष्ट महत्व होता है, जो मानव भावनाओं, क्रियाओं और आध्यात्मिक प्रयासों को प्रभावित करता है।
वार: सप्ताह का दिन
वार सप्ताह के दिनों को संदर्भित करता है, और प्रत्येक दिन एक देवता से जुड़ा होता है। विभिन्न सप्ताह के दिनों का विशिष्ट गतिविधियों पर प्रभाव को समझने से उत्पादकता और सफलता को अधिकतम करने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, सोमवार, जिसे चंद्रमा का दिन माना जाता है, नए कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ होता है, जबकि शनिवार, जो शनि से शासित होता है, आध्यात्मिक अभ्यास और आत्म-निरीक्षण के लिए अनुकूल होता है।
नक्षत्र: चंद्र नक्षत्र
नक्षत्र 27 चंद्र नक्षत्रों को दर्शाता है जिनसे चंद्रमा अपने मासिक चक्र के दौरान गुजरता है। प्रत्येक नक्षत्र मानव गतिविधियों पर एक विशिष्ट प्रभाव डालता है, जैसे व्यक्तित्व गुण, करियर के चुनाव, और संबंधों की गतिशीलता। अनुकूल नक्षत्रों के साथ कार्यों को संरेखित करने से व्यक्ति की समृद्धि और भलाई को बढ़ावा मिल सकता है।
योग: संयोजन
योग सूर्य और चंद्रमा की स्थितियों द्वारा बनाए गए शुभ या अशुभ संयोजनों को दर्शाता है। 27 योग होते हैं, जिनमें से प्रत्येक के अनूठे गुण और प्रभाव होते हैं। शुभ योगों की ऊर्जा का उपयोग करके व्यक्ति अपने प्रयासों में सफलता और संतुष्टि प्राप्त कर सकता है।
करण: आधा चंद्र दिवस
करण तिथि का आधा हिस्सा होता है और कार्यों की शुरुआत को प्रभावित करता है। 11 करण होते हैं जिन्हें दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है – स्थिर और चल। कार्यों की शुरुआत के लिए एक उपयुक्त करण का चयन करना अनुकूल परिणाम सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होता है।
Panchang Today: October 12, 2024
तिथि विश्लेषण
कृष्ण पक्ष द्वादशी: आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने और परोपकारी कार्यों में संलग्न होने के लिए आदर्श।
रोहिणी नक्षत्र: कलात्मक गतिविधियों, रचनात्मकता और संबंधों के पोषण के लिए अनुकूल।
वृद्धि योग: विकास-उन्मुख गतिविधियों और वित्तीय निवेशों के लिए उपयुक्त।
तैतिल करण: सहनशक्ति और धैर्य की आवश्यकता वाले कार्यों के लिए अनुकूल।
पंचांग की शक्ति का उपयोग
दैनिक जीवन में पंचांग के अंतर्दृष्टियों को शामिल करने से व्यक्ति को ब्रह्मांडीय लय के साथ सामंजस्य स्थापित करने में मदद मिलती है, जिससे वे ज्ञान और गरिमा के साथ चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। पंचांग द्वारा प्रदान किए गए मार्गदर्शन का उपयोग करके, व्यक्ति सभी प्रयासों में सफलता और संतुष्टि के अवसरों को अधिकतम कर सकता है।
निष्कर्ष
पंचांग अपने जटिल ज्ञान और ब्रह्मांडीय अंतर्दृष्टियों के साथ जीवन की यात्रा में मार्गदर्शन का दीपस्तंभ है। इसके शिक्षाओं को अपनाने से व्यक्ति समृद्धि के मार्ग पर आगे बढ़ता है, अपने कार्यों को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संरेखित कर संपूर्ण कल्याण प्राप्त करता है।