आज पंचांग 10 अक्टूबर, 2024
Panchang, जो एक प्राचीन हिंदू कैलेंडर है, हिंदू संस्कृति में अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। संस्कृत के शब्द “पंच” जिसका अर्थ है “पाँच” और “अंग” जिसका अर्थ है “भाग,” से उत्पन्न, पंचांग एक पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के पाँच घटकों का उल्लेख करता है: तिथि (चंद्र दिवस), वार (सप्ताह का दिन), नक्षत्र (तारा), योग और करण। यह एक व्यापक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है, जो विभिन्न गतिविधियों के लिए शुभ और अशुभ समय के बारे में जानकारी प्रदान करता है, और जीवन को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संरेखित करने में सहायता करता है।
आज का हिंदू पंचांग
आज पंचांग 10 अक्टूबर, 2024
शुभ गुरुवार – – शुभ प्रभात्
74-30 मध्यमान 75-30
दैनिक पंचांग विवरण
आज दिनांक……………….. .10.10.2024
कलियुग संवत्…………………………5126
विक्रम संवत्………………………….. 2081
शक संवत्……………………………..1946
संवत्सर………………………….श्री कालयुक्त
अयन………………………………दक्षिणायन
गोल…………………………………… दक्षिण
ऋतु………………………………………शरद्
मास………………………………….. आश्विन
पक्ष…………………………………….. शुक्ल
तिथि….सप्तमी. अपरा. 12.32 तक / अष्टमी
वार……………………………………. गुरुवार
नक्षत्र…पूर्वाषाढ़ा. रात्रि. 5.41* तक / उ.षाढ़ा
चंद्रराशि………………. धनु. संपूर्ण (अहोरात्र)
योग……अतिगंड. रात्रि. 4.36* तक / सुकर्मा
करण………….. वणिज. अपरा. 12.32 तक
करण…विष्टि(भद्रा)-रात्रि. 12.25* तक / बव
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नोट-जिस रात्रि समय के ऊपर(*) लगा हुआ हो
वह समय अर्द्ध रात्रि के बाद सूर्योदय तक का है
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*विभिन्न नगरों के सूर्योदय में समयांतर मिनट*
दिल्ली -10 मिनट———जोधपुर +6 मिनट
जयपुर -5 मिनट——अहमदाबाद +8 मिनट
कोटा – 5 मिनट————-मुंबई +7 मिनट
लखनऊ – 25 मिनट——बीकानेर +5 मिनट
कोलकाता -54 मिनट–जैसलमेर +15 मिनट
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सूर्योंदयास्त दिनमानादि-अन्य आवश्यक सूची
सूर्योदय…………………. प्रातः 6.28.44 पर
सूर्यास्त…………………. सायं. 6.07.33 पर
दिनमान-घं.मि.सै…………………11.38.48
रात्रिमान-घं.मि.सै……………….. 12.21.38
चंद्रोदय………………….. 1.05.57 PM पर
चंद्रास्त…………………..11.34.04 PM पर
राहुकाल…अपरा.1.46 से 3.13 तक(अशुभ)
यमघंट……प्रातः 6.29 से 7.56 तक (अशुभ)
गुलिक………….. प्रातः 9.23 से 10.51 तक
अभिजित…….. मध्या.11.55 से 12.41 तक
पंचक…………………………………. नहीं है
हवन मुहूर्त(अग्निवास)…………. आज नहीं है
दिशाशूल……………………….. दक्षिण दिशा
दोष परिहार……. दही का सेवन कर यात्रा करें
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विशिष्ट काल-मुहूर्त-वेला परिचय
अभिजित् मुहुर्त – दिनार्द्ध से एक घटी पहले और एक घटी बाद का समय अभिजित मुहूर्त कहलाता है,पर बुधवार को यह शुभ नहीं होता.
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ब्रह्म मुहूर्त – सूर्योदय से पहले का 1.30 घंटे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है..
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प्रदोष काल – सूर्यास्त के पहले 45 मिनट और बाद का 45 मिनट प्रदोष माना जाता है…
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गौधूलिक काल सूर्यास्त से 12 मिनट पहले एवं 12 मिनट बाद का समय कहलाता है
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भद्रा वास शुभाशुभ विचार
भद्रा मेष, वृष, मिथुन, वृश्चिक के चंद्रमा में स्वर्ग में व कन्या, तुला, धनु, मकर के चंद्रमा में पाताल लोक में और कुंभ, मीन, कर्क, सिंह के चंद्रमा में मृत्युलोक में मानी जाती है यहां स्वर्ग और पाताल लोक की भद्रा शुभ मानी जाती हैं और मृत्युलोक की भद्रा काल में शुभ कार्य वर्जित होते हैं इसी तरह भद्रा फल विचार करें..
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* दैनिक सूर्योदय कालीन लग्न एवं ग्रह स्पष्ट *
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ग्रह राशि अंश कला नक्षत्र चरण चरणाक्षर
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लग्न ……………… कन्या 22°41′ हस्त 4 ठ
सूर्य ………………… कन्या 23°1′ हस्त 4 ठ
चन्द्र …………….. धनु 14°0′ पूर्वाषाढा 1 भू
बुध ^ ……………. कन्या 29°41′ चित्रा 2 पो
शुक्र …………… तुला 26°24′ विशाखा 2 तू
मंगल ………….मिथुन 25°14′ पुनर्वसु 2 को
बृहस्पति ……… वृषभ 27°6′ मृगशीर्षा 2 वो
शनि * ………. कुम्भ 19°41′ शतभिषा 4 सू
राहू * …….. मीन 11°46′ उत्तरभाद्रपद 3 झ
केतु * ……………. कन्या 11°46′ हस्त 1 पू
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दिन का चौघड़िया
शुभ……………….प्रातः 6.29 से 7.56 तक
चंचल………….पूर्वा. 10.51 से 12.18 तक
लाभ…………..अपरा. 12.18 से 1.46 तक
अमृत……………अपरा. 1.46 से 3.13 तक
शुभ……………….सायं. 4.40 से 6.08 तक
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रात्रि का चौघड़िया
अमृत……….सायं-रात्रि. 6.08 से 7.40 तक
चंचल……………..रात्रि. 7.40 से 9.13 तक
लाभ…रात्रि. 12.18 AM से 1.51 AM तक
शुभ…..रात्रि. 3.24 AM से 4.57 AM तक
अमृत….रात्रि. 4.57 AM से 6.29 AM तक
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(विशेष – ज्योतिष शास्त्र में एक शुभ योग और एक अशुभ योग जब भी साथ साथ आते हैं तो शुभ योग की स्वीकार्यता मानी गई है )
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शुभ शिववास की तिथियां
शुक्ल पक्ष-2—–5—–6—- 9——-12—-13.
कृष्ण पक्ष-1—4—-5—-8—11—-12—-30.
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दिन नक्षत्र एवं चरणाक्षर संबंधी संपूर्ण विवरण
संदर्भ विशेष -यदि किसी बालक का जन्म गंड नक्षत्रों (रेवती, अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा और मूल) में होता है तो सविधि नक्षत्र शांति की आवश्यक मानी गयी है और करवाना चाहिये..
आज जन्मे बालकों का नक्षत्र के चरण अनुसार राशिगत् नामाक्षर..
11.25 AM तक—पूर्वाषाढ़ा—1——-भू
05.32 PM तक—पूर्वाषाढ़ा—2——-धा
11.38 PM तक—पूर्वाषाढ़ा—3——-फा
05.41 AM तक—पूर्वाषाढ़ा—4——-ढ़ा
उपरांत रात्रि तक—–उ.षाढ़ा—1——-भे
राशि धनु – पाया ताम्र
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आज का दिन 10/10/2024
व्रत विशेष…………………………….. नहीं है
अन्य व्रत…………..नवरात्रि व्रत विधान जारी
दिन विशेष………………. श्री सरस्वती पूजन
नवरात्रि क्रम……..अष्टम् (मां महागौरी पूजन)
पर्व विशेष………………………………नहीं है
समय विशेष……पवित्र चातुर्मास विधान जारी
दिवस विशेष…………….. राष्ट्रीय डाक दिवस
दिवस विशेष… विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस
पंचक………………………………….. नहीं है
विष्टि(भद्रा).अप.12.32 से रात्रि.12.25*तक
हवन मुहूर्त…………………………… आज है
खगोलीय……. चित्रायां रवि. अपरा. 2.06 पर
खगोलीय…….. तुलायां बुध. प्रातः 11.21 पर
सर्वा.सि.योग………………………….. नहीं है
अमृत सि.योग………………………… नहीं है
सिद्ध रवियोग…………………………. नहीं है
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अगले दिन की प्रतीकात्मक जानकारी
दिनांक………………………..11.10.2024
तिथि……….. आश्विन शुक्ला अष्टमी शुक्रवार
व्रत विशेष…………………………….. नहीं है
अन्य व्रत………… नवरात्रि व्रत विधान संपूर्ण
दिन विशेष…………. श्री सरस्वती बलिदानम्
नवरात्रि क्रम…… नवम् (मां सिद्धिदात्री पूजन)
पर्व विशेष..महाष्टमी-दुर्गाष्टमी दुर्गानवमी पूजा
समय विशेष……पवित्र चातुर्मास विधान जारी
दिवस विशेष………… राष्ट्रीय बालिका दिवस
दिवस विशेष……………. विश्व मोटापा दिवस
पंचक…………………………………. .नहीं है
विष्टि(भद्रा)……………………………. नहीं है
हवन मुहूर्त…………………………… आज है
खगोलीय……………………………… नहीं है
सर्वा.सि.योग.. .रात्रि. 5.25* से शेष रात्रि तक
अमृत सि.योग………………………… नहीं है
सिद्ध रवियोग.. रात्रि. 5.25* से शेष रात्रि तक
आज विशेष
Panchang Today: October 10, 2024
वास्तु शास्त्र के अनुसार विविध वेध विचार जो
जो पारिवारिक कष्ट अशांति उत्पन्न करते हैं
दुकान के ठीक सामने कोई बिजली या फोन का खंबा, पेड़ अथवा सीढ़ी नहीं होना चाहिए यदि है तो आर्थिक नुकसान होगा।
दुकान के अंदर समान रखने के लिए आलमारी, शो-केस, फर्नीचर आदि दक्षिण-पश्चिम या नैऋत्य में लगाएं।
दुकान में माल का स्टोर, या कोई भी वैसा सामान जिसका वजन ज्यादा हो उसे नैऋत्य कोण (दक्षिण या पश्चिम) में रखना चाहिए.पूजा के लिए मंदिर ईशान, उत्तर या पूर्व में बनाएं।
दुकान या शोरूम के मालिक को पश्चिम दिशा में बैठना चाहिए. ऐसा करने से आय में वृद्धि होती है। मालिक या मैनेजर तथा तिजोरी की जगह के ऊपर कोई बीम नहीं होना चाहिए, यह व्यवसाय के वृद्धि के लिए अच्छा नहीं होता।
दुकान में काम करने वाले दुकानदार और कर्मचारी इस बात का ध्यान रखें की वह दूकान में बैठे तब उनका मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा में हो इस दिशा में मुख करके बैठने से धन लाभ होता है। ऐसा करने से ग्राहक का दुकानदार और कर्मचारियों के मध्य बेहतर सम्बन्ध बना रहता है।
यदि आपकी दुकान में दुकानदार एवं कर्मचारी पश्चिम या दक्षिण की ओर मुख करके बैठते है तो सामान्यतः धन व्यय और कष्ट होता है।
दुकान की तिजोरी को पश्चिम या दक्षिण दीवार के सहारे रखना शुभ होता है जिससे उसका मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर हो।
यदि दुकान में टीवी या कंप्यूटर रखना चाहते हैं, तो दक्षिणपूर्व दिशा सबसे शुभ है। दुकान खोलते समय तथा शाम को बिजली जलाने के बाद कभी भी दान नही देना चाहिए।
कभी भी दान फेंककर न दें, साथ ही दान देते समय, धरती या आसमान की ओर नहीं देखना चाहिए।
दुकान की उत्तर या पूर्व दिशा में देवी लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति रखने व्यापार में लाभ होता है।
दुकान में अपने कुल देवता अथवा इष्ट देवी / देवता की तस्वीर लगानी चाहिए।
दुकान के मालिक या कर्मचारी जब भी दान दें तो मुंह पूर्व या उत्तर की तरफ करके ही दें ऐसा करने से धन लाभ होती है।
यदि आपकी दुकान में बरकत न हो रही है, तो गणेश जी की मूर्ति मुख्य प्रवेश द्वार के ऊपर लगाए. यह मूर्ति दीवार के आगे-पीछे दोनों तरफ लगाएं।
यदि आपकी दुकान दक्षिण मुखी है तो गणेश जी की मूर्ति केवल मुख्य दरवाजे के बाहर की ओर ही लगाना चाहिए।
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दैनिक जीवन में पंचांग का महत्व
आधुनिक समय में भी पंचांग एक अमूल्य साधन बना हुआ है, जो लाखों लोगों को शादी, सगाई, यात्रा, व्यापारिक उद्यम और धार्मिक समारोहों जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मार्गदर्शन करता है। यह केवल एक कैलेंडर नहीं है, बल्कि यह ब्रह्मांडीय ज्ञान का भंडार है, जो विशेष ज्योतिषीय संयोजनों के दौरान की गई गतिविधियों के परिणामों को प्रभावित करने में सक्षम माना जाता है।
तिथि: चंद्र दिवस
तिथि चंद्रमा के चरण को दर्शाती है और अनुष्ठानों और समारोहों के लिए शुभ समय निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसमें 30 तिथियाँ होती हैं, जिनमें प्रत्येक तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच के विशिष्ट कोण का प्रतिनिधित्व करती है। प्रतिपदा (पहले दिन) से लेकर अमावस्या (नई चंद्र) और पूर्णिमा (पूर्ण चंद्र) तक, प्रत्येक तिथि का विशिष्ट महत्व होता है, जो मानव भावनाओं, क्रियाओं और आध्यात्मिक प्रयासों को प्रभावित करता है।
वार: सप्ताह का दिन
वार सप्ताह के दिनों को संदर्भित करता है, और प्रत्येक दिन एक देवता से जुड़ा होता है। विभिन्न सप्ताह के दिनों का विशिष्ट गतिविधियों पर प्रभाव को समझने से उत्पादकता और सफलता को अधिकतम करने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, सोमवार, जिसे चंद्रमा का दिन माना जाता है, नए कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ होता है, जबकि शनिवार, जो शनि से शासित होता है, आध्यात्मिक अभ्यास और आत्म-निरीक्षण के लिए अनुकूल होता है।
नक्षत्र: चंद्र नक्षत्र
नक्षत्र 27 चंद्र नक्षत्रों को दर्शाता है जिनसे चंद्रमा अपने मासिक चक्र के दौरान गुजरता है। प्रत्येक नक्षत्र मानव गतिविधियों पर एक विशिष्ट प्रभाव डालता है, जैसे व्यक्तित्व गुण, करियर के चुनाव, और संबंधों की गतिशीलता। अनुकूल नक्षत्रों के साथ कार्यों को संरेखित करने से व्यक्ति की समृद्धि और भलाई को बढ़ावा मिल सकता है।
योग: संयोजन
योग सूर्य और चंद्रमा की स्थितियों द्वारा बनाए गए शुभ या अशुभ संयोजनों को दर्शाता है। 27 योग होते हैं, जिनमें से प्रत्येक के अनूठे गुण और प्रभाव होते हैं। शुभ योगों की ऊर्जा का उपयोग करके व्यक्ति अपने प्रयासों में सफलता और संतुष्टि प्राप्त कर सकता है।
करण: आधा चंद्र दिवस
करण तिथि का आधा हिस्सा होता है और कार्यों की शुरुआत को प्रभावित करता है। 11 करण होते हैं जिन्हें दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है – स्थिर और चल। कार्यों की शुरुआत के लिए एक उपयुक्त करण का चयन करना अनुकूल परिणाम सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होता है।
Panchang Today: October 10, 2024
तिथि विश्लेषण
कृष्ण पक्ष द्वादशी: आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने और परोपकारी कार्यों में संलग्न होने के लिए आदर्श।
रोहिणी नक्षत्र: कलात्मक गतिविधियों, रचनात्मकता और संबंधों के पोषण के लिए अनुकूल।
वृद्धि योग: विकास-उन्मुख गतिविधियों और वित्तीय निवेशों के लिए उपयुक्त।
तैतिल करण: सहनशक्ति और धैर्य की आवश्यकता वाले कार्यों के लिए अनुकूल।
पंचांग की शक्ति का उपयोग
दैनिक जीवन में पंचांग के अंतर्दृष्टियों को शामिल करने से व्यक्ति को ब्रह्मांडीय लय के साथ सामंजस्य स्थापित करने में मदद मिलती है, जिससे वे ज्ञान और गरिमा के साथ चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। पंचांग द्वारा प्रदान किए गए मार्गदर्शन का उपयोग करके, व्यक्ति सभी प्रयासों में सफलता और संतुष्टि के अवसरों को अधिकतम कर सकता है।
निष्कर्ष
पंचांग अपने जटिल ज्ञान और ब्रह्मांडीय अंतर्दृष्टियों के साथ जीवन की यात्रा में मार्गदर्शन का दीपस्तंभ है। इसके शिक्षाओं को अपनाने से व्यक्ति समृद्धि के मार्ग पर आगे बढ़ता है, अपने कार्यों को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संरेखित कर संपूर्ण कल्याण प्राप्त करता है।