आज पंचांग 05 अक्टूबर, 2024
Panchang, जो एक प्राचीन हिंदू कैलेंडर है, हिंदू संस्कृति में अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। संस्कृत के शब्द “पंच” जिसका अर्थ है “पाँच” और “अंग” जिसका अर्थ है “भाग,” से उत्पन्न, पंचांग एक पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के पाँच घटकों का उल्लेख करता है: तिथि (चंद्र दिवस), वार (सप्ताह का दिन), नक्षत्र (तारा), योग और करण। यह एक व्यापक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है, जो विभिन्न गतिविधियों के लिए शुभ और अशुभ समय के बारे में जानकारी प्रदान करता है, और जीवन को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संरेखित करने में सहायता करता है।
आज का हिंदू पंचांग
आज पंचांग 05 अक्टूबर, 2024
शुभ शनिवार – – शुभ प्रभात्
74-30 मध्यमान 75-30
दैनिक पंचांग विवरण
आज दिनांक……………….. .05.10.2024
कलियुग संवत्…………………………5126
विक्रम संवत्………………………….. 2081
शक संवत्……………………………..1946
संवत्सर………………………….श्री कालयुक्त
अयन………………………………दक्षिणायन
गोल…………………………………… दक्षिण
ऋतु………………………………………शरद्
मास………………………………….. आश्विन
पक्ष…………………………………….. शुक्ल
तिथि……………. तृतीया-1. संपूर्ण (अहोरात्र)
वार………………………………….. शनिवार
नक्षत्र……स्वाति. रात्रि. 9.33 तक / विशाखा
चंद्रराशि……………… तुला. संपूर्ण (अहोरात्र)
योग….. विष्कुंभ. उ.रात्रि. 6.07* तक / प्रीति
करण….. तैत्तिल. सायं-रात्रि. 6.42 तक / गर
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नोट-जिस रात्रि समय के ऊपर(*) लगा हुआ हो
वह समय अर्द्ध रात्रि के बाद सूर्योदय तक का है
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दिल्ली -10 मिनट———जोधपुर +6 मिनट
जयपुर -5 मिनट——अहमदाबाद +8 मिनट
कोटा – 5 मिनट————-मुंबई +7 मिनट
लखनऊ – 25 मिनट——बीकानेर +5 मिनट
कोलकाता -54 मिनट–जैसलमेर +15 मिनट
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-सूर्योंदयास्त दिनमानादि-अन्य आवश्यक सूची-
सूर्योदय…………………. प्रातः 6.26.31 पर
सूर्यास्त…………………. सायं. 6.12.36 पर
दिनमान-घं.मि.सै…………………11.46.04
रात्रिमान-घं.मि.सै……………….. 12.14.21
चंद्रोदय……………………8.24.32 AM पर
चंद्रास्त………………….. .7.34.25 PM पर
राहुकाल..प्रातः 9.23 से 10.51 तक(अशुभ)
यमघंट… अपरा. 1.48 से 3.16 तक (अशुभ)
गुलिक……………. प्रातः 6.27 से 7.55 तक
अभिजित……. .मध्या.11.56 से 12.43 तक
पंचक………………………………….. नहीं है
हवन मुहूर्त(अग्निवास)………………. आज है
दिशाशूल…………………………… पूर्व दिशा
दोष परिहार…… उड़द का सेवन कर यात्रा करें
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विशिष्ट काल-मुहूर्त-वेला परिचय
अभिजित् मुहुर्त – दिनार्द्ध से एक घटी पहले और एक घटी बाद का समय अभिजित मुहूर्त कहलाता है,पर बुधवार को यह शुभ नहीं होता.
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ब्रह्म मुहूर्त – सूर्योदय से पहले का 1.30 घंटे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है..
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प्रदोष काल – सूर्यास्त के पहले 45 मिनट और बाद का 45 मिनट प्रदोष माना जाता है…
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गौधूलिक काल सूर्यास्त से 12 मिनट पहले एवं 12 मिनट बाद का समय कहलाता है
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भद्रा वास शुभाशुभ विचार
भद्रा मेष, वृष, मिथुन, वृश्चिक के चंद्रमा में स्वर्ग में व कन्या, तुला, धनु, मकर के चंद्रमा में पाताल लोक में और कुंभ, मीन, कर्क, सिंह के चंद्रमा में मृत्युलोक में मानी जाती है यहां स्वर्ग और पाताल लोक की भद्रा शुभ मानी जाती हैं और मृत्युलोक की भद्रा काल में शुभ कार्य वर्जित होते हैं इसी तरह भद्रा फल विचार करें..
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* दैनिक सूर्योदय कालीन लग्न एवं ग्रह स्पष्ट *
ग्रह राशि अंश कला नक्षत्र चरण चरणाक्षर_
लग्न ……………… कन्या 17°48′ हस्त 3 ण
सूर्य ……………….. कन्या 18°5′ हस्त 3 ण
चन्द्र …………….. .तुला 12°31′ स्वाति 2 रे
बुध ^ …………… ..कन्या 21°16′ हस्त 4 ठ
शुक्र ……………तुला 20°20′ विशाखा 1 ती
मंगल ………….मिथुन 22°45′ पुनर्वसु 1 के
बृहस्पति ……….वृषभ 27°4′ मृगशीर्षा 2 वो
शनि * ………. कुम्भ 19°59′ शतभिषा 4 सू
राहू * ………..मीन 12°2′ उत्तरभाद्रपद 3 झ
केतु * ……………….कन्या 12°2′ हस्त 1 पू
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दिन का चौघड़िया
शुभ……………….प्रातः 7.55 से 9.23 तक
चंचल………….अपरा. 12.20 से 1.48 तक
लाभ…………….अपरा. 1.48 से 3.16 तक
अमृत……………अपरा. 3.16 से 4.44 तक
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रात्रि का चौघड़िया
लाभ………..सायं-रात्रि. 6.13 से 7.24 तक
शुभ…………….रात्रि. 9.16 से 10.48 तक
अमृत……रात्रि. 10.48 से 12.20 AM तक
चंचल.. रात्रि.12.20 AM से 1.52 AM तक
लाभ…..रात्रि. 4.55 AM से 6.27 AM तक
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(विशेष – ज्योतिष शास्त्र में एक शुभ योग और एक अशुभ योग जब भी साथ साथ आते हैं तो शुभ योग की स्वीकार्यता मानी गई है )
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शुभ शिववास की तिथियां
शुक्ल पक्ष-2—–5—–6—- 9——-12—-13.
कृष्ण पक्ष-1—4—-5—-8—11—-12—-30.
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दिन नक्षत्र एवं चरणाक्षर संबंधी संपूर्ण विवरण
संदर्भ विशेष -यदि किसी बालक का जन्म गंड नक्षत्रों (रेवती, अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा और मूल) में होता है तो सविधि नक्षत्र शांति की आवश्यक मानी गयी है और करवाना चाहिये..
आज जन्मे बालकों का नक्षत्र के चरण अनुसार राशिगत् नामाक्षर..
08.06 AM तक—–स्वाति—-2——-रे
02.50 PM तक—–स्वाति—-3——रो
09.33 PM तक—–स्वाति—-4——ता
________राशि तुला – पाया चांदी_______
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04.14 AM तक—विशाखा—-1——ती
उपरांत रात्रि तक—विशाखा—-2——-तू
राशि तुला – पाया ताम्र
आज का दिन 05/10/2024
व्रत विशेष…………………………….. नहीं है
अन्य व्रत…………..नवरात्रि व्रत विधान जारी
दिन विशेष……………………………. नहीं है
नवरात्रि क्रम…….. तृतीय (मां चंद्रघंटा पूजन)
पर्व विशेष………………………………नहीं है
समय विशेष……पवित्र चातुर्मास विधान जारी
दिवस विशेष……………. विश्व शिक्षक दिवस
पंचक…………………………………. नहीं है
विष्टि(भद्रा)……………………………..नहीं है
हवन मुहूर्त…………………………….आज है
खगोलीय………………………………. नहीं है
सर्वा.सि.योग………. उदयात् रात्रि. 9.33 तक
अमृत सि.योग………………………… .नहीं है
सिद्ध रवियोग…….. रात्रि. 9.33 से रात्रि पर्यंत
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अगले दिन की प्रतीकात्मक जानकारी
दिनांक………………………..06.10.2024
तिथि…….. आश्विन शुक्ला तृतीया-2 रविवार
व्रत विशेष…………………………….. नहीं है
अन्य व्रत…………..नवरात्रि व्रत विधान जारी
दिन विशेष……………………………. नहीं है
नवरात्रि क्रम…….. चतुर्थ (मां कुष्मांडा पूजन)
पर्व विशेष………………………………नहीं है
समय विशेष……पवित्र चातुर्मास विधान जारी
दिवस विशेष……. विश्व सेरेब्रल पाल्सी दिवस
पंचक…………………………………. नहीं है
विष्टि(भद्रा)………..रात्रि. 8.52 से रात्रि पर्यंत
हवन मुहूर्त……………………….आज नहीं है
खगोलीय……. चित्रायां बुध. पूर्वा. 11.45 पर
सर्वा.सि.योग……… .उदयात् रात्रि. 9.33 तक
अमृत सि.योग………………………… नहीं है
सिद्ध रवियोग….. उदयात् रात्रि. 12.11 तक
आज विशेष
Panchang Today: October 05, 2024
घर में आने वाली हों देवी लक्ष्मी की कृपा तो मिलने लगते हैं कुछ अच्छे सकारात्मक संकेत
मां लक्ष्मी का वाहन है उल्लू है. कहते हैं कि अगर आपको अक्सर अपने आसपास उल्लू दिखें तो समझिए मां लक्ष्मी आप पर कृपा करने ही वाली हैं. जहां उल्लू होता है वहां मां लक्ष्मी जरूर जाती हैं.
देवी मां लक्ष्मी को धन और ऐश्वर्य की देवी कहा जाता है, लेकिन इसी कारण से उनका एक नाम चंचला भी है. जब तक पर्याप्त कारण न हों तब तक देवी एक स्थान पर कभी नहीं ठहरती हैं और तुरंत ही घर छोड़कर चली जाती हैं. पुराणों में वर्णित है कि यदि किसी पर धन की देवी पर कृपा हो जाती है तो उसके घर कभी धन और वैभव की कमी नहीं होती
ऐसे में मनुष्य के जीवन में धन संबंधी उतार-चढ़ाव हमेशा आते रहते हैं. धन की देवी को प्रसन्न करने के लिए तमाम उपाय किए जाते हैं जिससे खुश होकर वो व्यक्ति को मालामाल बनाती हैं. लेकिन एक बात और खास है, विष्णु भगवान की प्रिया मां लक्ष्मी जब घर में आने वाली होती हैं तो उससे पहले ही इसके लिए संकेत मिलने शुरु हो जाते हैं. ये संकेत क्या हैं? इन्हें पहचान कर आप देवी के आने की तैयारी कर सकते हैं.
उल्लू का दिखना
मां लक्ष्मी का वाहन है उल्लू है. कहते हैं कि अगर आपको अक्सर अपने आसपास उल्लू दिखें तो समझिए मां लक्ष्मी आप पर कृपा करने ही वाली हैं. जहां उल्लू होता है वहां मां लक्ष्मी जरूर जाती हैं. यदि आपके साथ ऐसा हो रहा है तो मां लक्ष्मी का जाप शुरू कर दीजिए और कोई भी ऐसा काम ना करें जिससे मां लक्ष्मी आपसे नाराज होकर वापस लौट जाएं.
बढ़ जाए हरियाली
अगर आपके आसपास हरियाली बढ़ जाए तो समझिए आप पर लक्ष्मी मां प्रसन्न हैं और जल्दी ही आपको अपनी शरण में लेने वाली हैं. दरअसल हरियाली जीवन में सपन्नता और बदलाव का प्रतीक है. ऐसे सकारात्मक माहौल में लक्ष्मी मां जरूर आती हैं.
अगर कोई झाड़ू लगाता दिखे
आप सुबह-सुबह उठकर बाहर निकलते हैं और इसी टाइम पर कोई व्यक्ति अपने घर के बाहर झाड़ू लगाते हुए रोज दिख रहा है तो समझिए आप जल्द अमीर बनने वाले हैं. झाड़ू और लक्ष्मी माता का सीधा संबंध है. झाड़ू हमारे घर को साफ करती है और ऐसे घर में हमेशा लक्ष्मी मां निवास करती हैं जो साफ हो.
गन्ने की मौजूदगी
अगर आपके घर के आसपास गन्ने के खेत हैं या सुबह-सुबह लगातार कोई गन्ना बेचने के लिए निकल रहा है. आप उसे देख पा रहे हैं तो आपके दिन पलटने वाले हैं. गन्ने का रस सिद्धि विनायक पर अपर्ण करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. गन्ना दिखना बहुत शुभ माना जाता है।
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दैनिक जीवन में पंचांग का महत्व
आधुनिक समय में भी पंचांग एक अमूल्य साधन बना हुआ है, जो लाखों लोगों को शादी, सगाई, यात्रा, व्यापारिक उद्यम और धार्मिक समारोहों जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मार्गदर्शन करता है। यह केवल एक कैलेंडर नहीं है, बल्कि यह ब्रह्मांडीय ज्ञान का भंडार है, जो विशेष ज्योतिषीय संयोजनों के दौरान की गई गतिविधियों के परिणामों को प्रभावित करने में सक्षम माना जाता है।
तिथि: चंद्र दिवस
तिथि चंद्रमा के चरण को दर्शाती है और अनुष्ठानों और समारोहों के लिए शुभ समय निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसमें 30 तिथियाँ होती हैं, जिनमें प्रत्येक तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच के विशिष्ट कोण का प्रतिनिधित्व करती है। प्रतिपदा (पहले दिन) से लेकर अमावस्या (नई चंद्र) और पूर्णिमा (पूर्ण चंद्र) तक, प्रत्येक तिथि का विशिष्ट महत्व होता है, जो मानव भावनाओं, क्रियाओं और आध्यात्मिक प्रयासों को प्रभावित करता है।
वार: सप्ताह का दिन
वार सप्ताह के दिनों को संदर्भित करता है, और प्रत्येक दिन एक देवता से जुड़ा होता है। विभिन्न सप्ताह के दिनों का विशिष्ट गतिविधियों पर प्रभाव को समझने से उत्पादकता और सफलता को अधिकतम करने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, सोमवार, जिसे चंद्रमा का दिन माना जाता है, नए कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ होता है, जबकि शनिवार, जो शनि से शासित होता है, आध्यात्मिक अभ्यास और आत्म-निरीक्षण के लिए अनुकूल होता है।
नक्षत्र: चंद्र नक्षत्र
नक्षत्र 27 चंद्र नक्षत्रों को दर्शाता है जिनसे चंद्रमा अपने मासिक चक्र के दौरान गुजरता है। प्रत्येक नक्षत्र मानव गतिविधियों पर एक विशिष्ट प्रभाव डालता है, जैसे व्यक्तित्व गुण, करियर के चुनाव, और संबंधों की गतिशीलता। अनुकूल नक्षत्रों के साथ कार्यों को संरेखित करने से व्यक्ति की समृद्धि और भलाई को बढ़ावा मिल सकता है।
योग: संयोजन
योग सूर्य और चंद्रमा की स्थितियों द्वारा बनाए गए शुभ या अशुभ संयोजनों को दर्शाता है। 27 योग होते हैं, जिनमें से प्रत्येक के अनूठे गुण और प्रभाव होते हैं। शुभ योगों की ऊर्जा का उपयोग करके व्यक्ति अपने प्रयासों में सफलता और संतुष्टि प्राप्त कर सकता है।
करण: आधा चंद्र दिवस
करण तिथि का आधा हिस्सा होता है और कार्यों की शुरुआत को प्रभावित करता है। 11 करण होते हैं जिन्हें दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है – स्थिर और चल। कार्यों की शुरुआत के लिए एक उपयुक्त करण का चयन करना अनुकूल परिणाम सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होता है।
Panchang Today: October 05, 2024
तिथि विश्लेषण
कृष्ण पक्ष द्वादशी: आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने और परोपकारी कार्यों में संलग्न होने के लिए आदर्श।
रोहिणी नक्षत्र: कलात्मक गतिविधियों, रचनात्मकता और संबंधों के पोषण के लिए अनुकूल।
वृद्धि योग: विकास-उन्मुख गतिविधियों और वित्तीय निवेशों के लिए उपयुक्त।
तैतिल करण: सहनशक्ति और धैर्य की आवश्यकता वाले कार्यों के लिए अनुकूल।
पंचांग की शक्ति का उपयोग
दैनिक जीवन में पंचांग के अंतर्दृष्टियों को शामिल करने से व्यक्ति को ब्रह्मांडीय लय के साथ सामंजस्य स्थापित करने में मदद मिलती है, जिससे वे ज्ञान और गरिमा के साथ चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। पंचांग द्वारा प्रदान किए गए मार्गदर्शन का उपयोग करके, व्यक्ति सभी प्रयासों में सफलता और संतुष्टि के अवसरों को अधिकतम कर सकता है।
निष्कर्ष
पंचांग अपने जटिल ज्ञान और ब्रह्मांडीय अंतर्दृष्टियों के साथ जीवन की यात्रा में मार्गदर्शन का दीपस्तंभ है। इसके शिक्षाओं को अपनाने से व्यक्ति समृद्धि के मार्ग पर आगे बढ़ता है, अपने कार्यों को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संरेखित कर संपूर्ण कल्याण प्राप्त करता है।