आज पंचांग 02 अक्टूबर, 2024
Panchang, जो एक प्राचीन हिंदू कैलेंडर है, हिंदू संस्कृति में अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। संस्कृत के शब्द “पंच” जिसका अर्थ है “पाँच” और “अंग” जिसका अर्थ है “भाग,” से उत्पन्न, पंचांग एक पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के पाँच घटकों का उल्लेख करता है: तिथि (चंद्र दिवस), वार (सप्ताह का दिन), नक्षत्र (तारा), योग और करण। यह एक व्यापक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है, जो विभिन्न गतिविधियों के लिए शुभ और अशुभ समय के बारे में जानकारी प्रदान करता है, और जीवन को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संरेखित करने में सहायता करता है।
आज का हिंदू पंचांग
आज पंचांग 02 अक्टूबर, 2024
शुभ बुधवार – – शुभ प्रभात्
74-30 मध्यमान 75-30
दैनिक पंचांग विवरण
आज दिनांक……………….. .02.10.2024
कलियुग संवत्…………………………5126
विक्रम संवत्………………………….. 2081
शक संवत्……………………………..1946
संवत्सर………………………….श्री कालयुक्त
अयन………………………………दक्षिणायन
गोल…………………………………… दक्षिण
ऋतु………………………………………शरद्
मास………………………………….. आश्विन
पक्ष………………………………………कृष्ण
तिथि.अमावस्या. रात्रि.12.19* तक/प्रतिपदा
वार…………………………………… बुधवार
नक्षत्र….उ.फाल्गु. अपरा. 12.23 तक / हस्त
चंद्रराशि……………. कन्या. संपूर्ण (अहोरात्र)
योग……………ब्रह्म. रात्रि. 3.20* तक / ऐंद्र
करण…………….चतुष्पद. प्रातः 10.58 तक
करण…..नाग. रात्रि. 12.19* तक / किंस्तुघ्न
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नोट-जिस रात्रि समय के ऊपर(*) लगा हुआ हो
वह समय अर्द्ध रात्रि के बाद सूर्योदय तक का है
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विभिन्न नगरों के सूर्योदय में समयांतर मिनट
दिल्ली -10 मिनट———जोधपुर +6 मिनट
जयपुर -5 मिनट——अहमदाबाद +8 मिनट
कोटा – 5 मिनट————-मुंबई +7 मिनट
लखनऊ – 25 मिनट——बीकानेर +5 मिनट
कोलकाता -54 मिनट–जैसलमेर +15 मिनट
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-सूर्योंदयास्त दिनमानादि-अन्य आवश्यक सूची-
सूर्योदय…………………. प्रातः 6.25.14 पर
सूर्यास्त…………………. सायं. 6.15.43 पर
दिनमान-घं.मि.सै…………………11.50.28
रात्रिमान-घं.मि.सै……………….. 12.09.56
चंद्रास्त…………………….6.04.56 PM पर
चंद्रोदय……………………6.41.05 AM पर
राहुकाल.अपरा.12.20 से 1.49 तक(अशुभ)
यमघंट….. प्रातः 7.54 से 9.23 तक (अशुभ)
गुलिक………… पूर्वा. 10.52 से 12.20 तक
अभिजित….मध्या.11.57 से 12.44(अशुभ)
पंचक…………………………………. .नहीं है
हवन मुहूर्त(अग्निवास)………………..आज है
दिशाशूल………………………….. उत्तर दिशा
दोष परिहार…… तिल का सेवन कर यात्रा करें
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विशिष्ट काल-मुहूर्त-वेला परिचय
अभिजित् मुहुर्त – दिनार्द्ध से एक घटी पहले और एक घटी बाद का समय अभिजित मुहूर्त कहलाता है,पर बुधवार को यह शुभ नहीं होता.
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ब्रह्म मुहूर्त – सूर्योदय से पहले का 1.30 घंटे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है..
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प्रदोष काल – सूर्यास्त के पहले 45 मिनट और बाद का 45 मिनट प्रदोष माना जाता है…
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गौधूलिक काल सूर्यास्त से 12 मिनट पहले एवं 12 मिनट बाद का समय कहलाता है
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भद्रा वास शुभाशुभ विचार
भद्रा मेष, वृष, मिथुन, वृश्चिक के चंद्रमा में स्वर्ग में व कन्या, तुला, धनु, मकर के चंद्रमा में पाताल लोक में और कुंभ, मीन, कर्क, सिंह के चंद्रमा में मृत्युलोक में मानी जाती है यहां स्वर्ग और पाताल लोक की भद्रा शुभ मानी जाती हैं और मृत्युलोक की भद्रा काल में शुभ कार्य वर्जित होते हैं इसी तरह भद्रा फल विचार करें..
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* दैनिक सूर्योदय कालीन लग्न एवं ग्रह स्पष्ट *
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ग्रह राशि अंश कला नक्षत्र चरण चरणाक्षर
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लग्न ……………….कन्या 14°41′ हस्त 2 ष
सूर्य …………………कन्या 15°8′ हस्त 2 ष
चन्द्र ………कन्या 7°5′ उत्तर फाल्गुनी 4 पी
बुध ^ ……………….कन्या 16°3′ हस्त 2 ष
शुक्र ……………. तुला 16°41′ स्वाति 4 ता
मंगल ………….मिथुन 21°12′ पुनर्वसु 1 के
बृहस्पति ……… वृषभ 27°1′ मृगशीर्षा 2 वो
शनि * ………कुम्भ 20°10′ पूर्वभाद्रपद 1 से
राहू * ……..मीन 12°11′ उत्तरभाद्रपद 3 झ
केतु * …………….कन्या 12°11′ हस्त 1 पू
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दिन का चौघड़िया
लाभ……………….प्रातः 6.25 से 7.54 तक
अमृत………………प्रातः 7.54 से 9.23 तक
शुभ…………….पूर्वा. 10.52 से 12.20 तक
चंचल…………….अपरा. 3.18 से 4.47 तक
लाभ……………….सायं. 4.47 से 6.16 तक
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रात्रि का चौघड़िया
शुभ………………रात्रि. 7.47 से 9.18 तक
अमृत……………रात्रि. 9.18 से 10.49 तक
चंचल……रात्रि. 10.49 से 12.21 AM तक
लाभ…..रात्रि. 3.23 AM से 4.54 AM तक
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(विशेष – ज्योतिष शास्त्र में एक शुभ योग और एक अशुभ योग जब भी साथ साथ आते हैं तो शुभ योग की स्वीकार्यता मानी गई है )
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शुभ शिववास की तिथियां
शुक्ल पक्ष-2—–5—–6—- 9——-12—-13.
कृष्ण पक्ष-1—4—-5—-8—11—-12—-30.
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दिन नक्षत्र एवं चरणाक्षर संबंधी संपूर्ण विवरण
संदर्भ विशेष -यदि किसी बालक का जन्म गंड नक्षत्रों (रेवती, अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा और मूल) में होता है तो सविधि नक्षत्र शांति की आवश्यक मानी गयी है और करवाना चाहिये..
आज जन्मे बालकों का नक्षत्र के चरण अनुसार राशिगत् नामाक्षर..
समय-नक्षत्र नाम-नक्षत्र चरण-चरणाक्षर
12.23 PM तक–उ.फाल्गुनी—-4——पी
07.09 PM तक———हस्त—-1——पू
01.57 AM तक———हस्त—-2——ष
उपरांत रात्रि तक———हस्त—-3——ण
राशि कन्या – पाया चांदी
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आज का दिनb 02/09/2024
व्रत विशेष……………………………..नहीं है
अन्य व्रत……………………………… नहीं है
दिन विशेष………………….श्राद्ध पक्ष संपूर्ण
दिन विशेष………….गांधी एवं शास्त्री जयंती
दिन विशेष…….. देवपितृ प्रयोजन अमावस्या
श्राद्ध विशेष………सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध
पर्व विशेष……………………………..नहीं है
समय विशेष…..पवित्र चातुर्मास विधान जारी
दिवस विशेष…….अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस
दिवस विशेष…….अंतर्राष्ट्रीय पर्यावास दिवस
पंचक…………………………………..नहीं है
विष्टि(भद्रा)…………………………….नहीं है
हवन मुहूर्त…………………………… आज है
खगोलीय……………………………… नहीं है
सर्वा.सि.योग………………………….. नहीं है
अमृत सि.योग………………………….नहीं है
सिद्ध रवियोग…………………………. नहीं है
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अगले दिन की प्रतीकात्मक जानकारी
दिनांक………………………..03.10.2024
तिथि………..आश्विन शुक्ला प्रतिपदा गुरुवार
व्रत विशेष……………………………..नहीं है
अन्य व्रत………….नवरात्रि व्रत विधान प्रारंभ
दिन विशेष…… शारदीय नवरात्रि घट स्थापना
नवरात्रि विशेष…… प्रथम् (मां शैलपुत्री पूजन)
दिन विशेष…….. महाराज श्री अग्रसेन जयंती
श्राद्ध विशेष………………….. मातामह श्राद्ध
पर्व विशेष………………………………नहीं है
समय विशेष……पवित्र चातुर्मास विधान जारी
दिवस विशेष………………………….. नहीं है
पंचक…………………………………. .नहीं है
विष्टि(भद्रा)……………………………..नहीं है
हवन मुहूर्त…………………………… आज है
खगोलीय..शतभिषायां 4 शनि.अप. 3.01 पर
सर्वा.सि.योग……………………………नहीं है
अमृत सि.योग………………………… .नहीं है
सिद्ध रवियोग…………………………. नहीं है
आज विशेष
Panchang Today: October 02, 2024
इन 9 पौधों में है मां दुर्गा के नौ रूपों का वास, घर में लगाने से मिलेंगे चमत्कारिक लाभ
1-हरड़ – हरड़ आयुर्वेद की प्रधान औषधी है. इसे हिमावती भी कहते हैं जो मां शैलपुत्री का ही एक रूप है. हरड़ सात प्रकार की होती है. इसमें हरीतिका भय को हरने वाली है, पथया- हित करने वाली है, कायस्थ – शरीर को बनाए रखने वाली है, अमृता – अमृत के समान, हेमवती – हिमालय पर होने वाली, चेतकी -चित्त को प्रसन्न करने वाली है और श्रेयसी- कल्याण करने वाली मानी गई है.
2-ब्राह्मी – ब्राह्मी को मां ब्रह्मचारिणी का प्रतीक माना जाता है. इसके प्रयोग से स्मरण शक्ति और आयु में वृद्धि होती है. ये स्वर को मधुर करने का काम करती है इसलिए इसे सरस्वती भी कहते हैं.
3-चंदुसूर – चंदुसूर पौधे में मां चंद्रघंटा का वास होता है. इसके पत्तियों के सेवन से शारीरिक शक्ति बढ़ाने में मदद मिलती है. ह्दय रोग से पीड़ित व्यक्ति को मां चंद्रघंटा की पूजा करना चाहिए साथ ही इस औषधी का प्रयोग करना चाहिए.
4-पेठा – मां कूष्मांडा का अर्थ है कुम्हड़ा जिससे पेठा मिठाई बनती है. पेठा में मां का ये स्वरूप विराजमान है. मान्यता है कि मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति के लिए पेठा अमृत समान है. नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा कर इसका उपयोग करें.
5-अलसी – मां स्कंदमाता अलसी में विद्यमान है. इससे वात, पित्त, कफ, जैसे रोग नष्ट होते हैं. इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए.
6-मोइया – मां कात्यायनी के आयुर्वेद में कई नाम हैं जैसे अम्बालिका, अम्बिका, मोइया आदि. मोइया औषधि का प्रयोग कफ, पित्त और गले के रोग को खत्म करने के लिए किया जाता है.
7-नागदौन – नागौन के पौधे को मां कालरात्रि का रूप माना जाता है. इसे घर में लगाने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है. ये औषधि मानसिक तनाव को दूर करने के लिए रामबाण मानी गई है.
8-तुलसी – मां महागौरी को तुलसी में विद्यमान है. नवरात्रि में घर में तुलसी लगाने से सुख-समृद्धि आती है और मां महागौरी की विशेष कृपा प्राप्त होती है. तुलसी कई रोगों की नाशक है.
9-शतावरी – मां सिद्धिदात्री को शतावरी भी कहते हैं. इसके प्रयोग से बुद्धि और बल में बढ़ोत्तरी होती है. मार्कण्डेय पुराण के अनुसार ये नौ औषधियां को ब्रह्माजी ने दुर्गाकवच का नाम दिया था।
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दैनिक जीवन में पंचांग का महत्व
आधुनिक समय में भी पंचांग एक अमूल्य साधन बना हुआ है, जो लाखों लोगों को शादी, सगाई, यात्रा, व्यापारिक उद्यम और धार्मिक समारोहों जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मार्गदर्शन करता है। यह केवल एक कैलेंडर नहीं है, बल्कि यह ब्रह्मांडीय ज्ञान का भंडार है, जो विशेष ज्योतिषीय संयोजनों के दौरान की गई गतिविधियों के परिणामों को प्रभावित करने में सक्षम माना जाता है।
तिथि: चंद्र दिवस
तिथि चंद्रमा के चरण को दर्शाती है और अनुष्ठानों और समारोहों के लिए शुभ समय निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसमें 30 तिथियाँ होती हैं, जिनमें प्रत्येक तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच के विशिष्ट कोण का प्रतिनिधित्व करती है। प्रतिपदा (पहले दिन) से लेकर अमावस्या (नई चंद्र) और पूर्णिमा (पूर्ण चंद्र) तक, प्रत्येक तिथि का विशिष्ट महत्व होता है, जो मानव भावनाओं, क्रियाओं और आध्यात्मिक प्रयासों को प्रभावित करता है।
वार: सप्ताह का दिन
वार सप्ताह के दिनों को संदर्भित करता है, और प्रत्येक दिन एक देवता से जुड़ा होता है। विभिन्न सप्ताह के दिनों का विशिष्ट गतिविधियों पर प्रभाव को समझने से उत्पादकता और सफलता को अधिकतम करने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, सोमवार, जिसे चंद्रमा का दिन माना जाता है, नए कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ होता है, जबकि शनिवार, जो शनि से शासित होता है, आध्यात्मिक अभ्यास और आत्म-निरीक्षण के लिए अनुकूल होता है।
नक्षत्र: चंद्र नक्षत्र
नक्षत्र 27 चंद्र नक्षत्रों को दर्शाता है जिनसे चंद्रमा अपने मासिक चक्र के दौरान गुजरता है। प्रत्येक नक्षत्र मानव गतिविधियों पर एक विशिष्ट प्रभाव डालता है, जैसे व्यक्तित्व गुण, करियर के चुनाव, और संबंधों की गतिशीलता। अनुकूल नक्षत्रों के साथ कार्यों को संरेखित करने से व्यक्ति की समृद्धि और भलाई को बढ़ावा मिल सकता है।
योग: संयोजन
योग सूर्य और चंद्रमा की स्थितियों द्वारा बनाए गए शुभ या अशुभ संयोजनों को दर्शाता है। 27 योग होते हैं, जिनमें से प्रत्येक के अनूठे गुण और प्रभाव होते हैं। शुभ योगों की ऊर्जा का उपयोग करके व्यक्ति अपने प्रयासों में सफलता और संतुष्टि प्राप्त कर सकता है।
करण: आधा चंद्र दिवस
करण तिथि का आधा हिस्सा होता है और कार्यों की शुरुआत को प्रभावित करता है। 11 करण होते हैं जिन्हें दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है – स्थिर और चल। कार्यों की शुरुआत के लिए एक उपयुक्त करण का चयन करना अनुकूल परिणाम सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होता है।
Panchang Today: October 02, 2024
तिथि विश्लेषण
कृष्ण पक्ष द्वादशी: आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने और परोपकारी कार्यों में संलग्न होने के लिए आदर्श।
रोहिणी नक्षत्र: कलात्मक गतिविधियों, रचनात्मकता और संबंधों के पोषण के लिए अनुकूल।
वृद्धि योग: विकास-उन्मुख गतिविधियों और वित्तीय निवेशों के लिए उपयुक्त।
तैतिल करण: सहनशक्ति और धैर्य की आवश्यकता वाले कार्यों के लिए अनुकूल।
पंचांग की शक्ति का उपयोग
दैनिक जीवन में पंचांग के अंतर्दृष्टियों को शामिल करने से व्यक्ति को ब्रह्मांडीय लय के साथ सामंजस्य स्थापित करने में मदद मिलती है, जिससे वे ज्ञान और गरिमा के साथ चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। पंचांग द्वारा प्रदान किए गए मार्गदर्शन का उपयोग करके, व्यक्ति सभी प्रयासों में सफलता और संतुष्टि के अवसरों को अधिकतम कर सकता है।
निष्कर्ष
पंचांग अपने जटिल ज्ञान और ब्रह्मांडीय अंतर्दृष्टियों के साथ जीवन की यात्रा में मार्गदर्शन का दीपस्तंभ है। इसके शिक्षाओं को अपनाने से व्यक्ति समृद्धि के मार्ग पर आगे बढ़ता है, अपने कार्यों को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संरेखित कर संपूर्ण कल्याण प्राप्त करता है।