Panchang Today: October 01, 2024

आज पंचांग 01 अक्टूबर, 2024

Panchang, जो एक प्राचीन हिंदू कैलेंडर है, हिंदू संस्कृति में अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। संस्कृत के शब्द “पंच” जिसका अर्थ है “पाँच” और “अंग” जिसका अर्थ है “भाग,” से उत्पन्न, पंचांग एक पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के पाँच घटकों का उल्लेख करता है: तिथि (चंद्र दिवस), वार (सप्ताह का दिन), नक्षत्र (तारा), योग और करण। यह एक व्यापक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है, जो विभिन्न गतिविधियों के लिए शुभ और अशुभ समय के बारे में जानकारी प्रदान करता है, और जीवन को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संरेखित करने में सहायता करता है।

Panchang Today

आज का हिंदू पंचांग

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आज पंचांग 01 अक्टूबर, 2024




शुभ मंगलवार – शुभ प्रभात्

74-30 मध्यमान 75-30

दैनिक पंचांग विवरण

आज दिनांक……………….. .01.10.2024

कलियुग संवत्…………………………5126

विक्रम संवत्………………………….. 2081

शक संवत्……………………………..1946

संवत्सर………………………….श्री कालयुक्त

अयन………………………………दक्षिणायन

गोल…………………………………… दक्षिण

ऋतु………………………………………शरद्

मास…………………………………..आश्विन

पक्ष………………………………………कृष्ण

तिथि..चतुर्दशी. रात्रि. 9.39 तक / अमावस्या

वार…………………………………. मंगलवार

नक्षत्र…पू.फाल्गु. प्रातः 9.16 तक / उ.फाल्गु

चंद्रराशि…… सिंह. अपरा. 4.02 तक / कन्या

योग…………शुक्ल. रात्रि. 2.16* तक / ब्रह्म

करण………….विष्टि(भद्रा). प्रातः 8.22 तक

करण……शकुनि. रात्रि. 9.39 तक / चतुष्पद

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नोट-जिस रात्रि समय के ऊपर(*) लगा हुआ हो

वह समय अर्द्ध रात्रि के बाद सूर्योदय तक का है

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*विभिन्न नगरों के सूर्योदय में समयांतर मिनट*

दिल्ली -10 मिनट———जोधपुर +6 मिनट

जयपुर -5 मिनट——अहमदाबाद +8 मिनट

कोटा – 5 मिनट————-मुंबई +7 मिनट

लखनऊ – 25 मिनट——बीकानेर +5 मिनट

कोलकाता -54 मिनट–जैसलमेर +15 मिनट

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-सूर्योंदयास्त दिनमानादि-अन्य आवश्यक सूची-

सूर्योदय…………………. प्रातः 6.24.49 पर

सूर्यास्त…………………. सायं. 6.16.46 पर

दिनमान-घं.मि.सै…………………11.51.56

रात्रिमान-घं.मि.सै……………….. 12.08.28

चंद्रास्त…………………….5.37.33 PM पर

चंद्रोदय……………………5.50.56 AM पर

राहुकाल..अपरा. 3.19 से 4.48 तक(अशुभ)

यमघंट…प्रातः 9.23 से 10.52 तक (अशुभ)

गुलिक………… अपरा. 12.21 से 1.50 तक

अभिजित……. .मध्या.11.57 से 12.45 तक

पंचक…………………………………. नहीं है

हवन मुहूर्त(अग्निवास)…………..आज नहीं है

दिशाशूल…………………………. .उत्तर दिशा

दोष परिहार…….. गुड़ का सेवन कर यात्रा करें

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विशिष्ट काल-मुहूर्त-वेला परिचय

अभिजित् मुहुर्त – दिनार्द्ध से एक घटी पहले और एक घटी बाद का समय अभिजित मुहूर्त कहलाता है,पर बुधवार को यह शुभ नहीं होता.

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ब्रह्म मुहूर्त – सूर्योदय से पहले का 1.30 घंटे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है..

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प्रदोष काल – सूर्यास्त के पहले 45 मिनट और बाद का 45 मिनट प्रदोष माना जाता है…

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गौधूलिक काल सूर्यास्त से 12 मिनट पहले एवं 12 मिनट बाद का समय कहलाता है

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भद्रा वास शुभाशुभ विचार

भद्रा मेष, वृष, मिथुन, वृश्चिक के चंद्रमा में स्वर्ग में व कन्या, तुला, धनु, मकर के चंद्रमा में पाताल लोक में और कुंभ, मीन, कर्क, सिंह के चंद्रमा में मृत्युलोक में मानी जाती है यहां स्वर्ग और पाताल लोक की भद्रा शुभ मानी जाती हैं और मृत्युलोक की भद्रा काल में शुभ कार्य वर्जित होते हैं इसी तरह भद्रा फल विचार करें..

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* दैनिक सूर्योदय कालीन लग्न एवं ग्रह स्पष्ट *

लग्न ……………… कन्या 13°47′ हस्त 2 ष

सूर्य …………………. कन्या 14°9′ हस्त 2 ष

चन्द्र ……….. सिंह 25°16′ पूर्व फाल्गुनी 4 टू

बुध ^ …………….. कन्या 14°17′ हस्त 2 ष

शुक्र …………….. . तुला 15°28′ स्वाति 3 रो

मंगल ……….. ..मिथुन 20°41′ पुनर्वसु 1 के

बृहस्पति ……..वृषभ 26°59′ मृगशीर्षा 2 वो

शनि * ………कुम्भ 20°14′ पूर्वभाद्रपद 1 से

राहू * ………मीन 12°15′ उत्तरभाद्रपद 3 झ

केतु * ……………..कन्या 12°15′ हस्त 1 पू

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दिन का चौघड़िया

चंचल……………प्रातः 9.23 से 10.52 तक

लाभ…………..पूर्वा. 10.52 से 12.21 तक

अमृत………….अपरा. 12.21 से 1.50 तक

शुभ……………..अपरा. 3.19 से 4.48 तक

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रात्रि का चौघड़िया

लाभ……………. .रात्रि. 7.48 से 9.19 तक

शुभ…….रात्रि. 10.50 से 12.21 AM तक

अमृत..रात्रि. 12.21 AM से 1.52 AM तक

चंचल….रात्रि. 1.52 AM से 3.23 AM तक

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(विशेष – ज्योतिष शास्त्र में एक शुभ योग और एक अशुभ योग जब भी साथ साथ आते हैं तो शुभ योग की स्वीकार्यता मानी गई है )

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शुभ शिववास की तिथियां

शुक्ल पक्ष-2—–5—–6—- 9——-12—-13.

कृष्ण पक्ष-1—4—-5—-8—11—-12—-30.

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दिन नक्षत्र एवं चरणाक्षर संबंधी संपूर्ण विवरण

संदर्भ विशेष -यदि किसी बालक का जन्म गंड नक्षत्रों (रेवती, अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा और मूल) में होता है तो सविधि नक्षत्र शांति की आवश्यक मानी गयी है और करवाना चाहिये..

आज जन्मे बालकों का नक्षत्र के चरण अनुसार राशिगत् नामाक्षर..

09.16 AM तक–पू.फाल्गुनी—–4——टू

04.02 PM तक–उ.फाल्गुनी—–1——टे

राशि सिंह – पाया चांदी

10.48 PM तक–उ.फाल्गुनी—–2—–टो

05.35 AM तक–उ.फाल्गुनी—–3——प

उपरांत रात्रि तक–उ.फाल्गुनी—–4—–पी

राशि कन्या – पाया चांदी

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आज का दिन 01/10/2024

व्रत विशेष……………………………. .नहीं है

अन्य व्रत……………………………… .नहीं है

दिन विशेष……………………श्राद्ध पक्ष जारी

दिन विशेष…..ई. 2024 अक्टूबर मास प्रारंभ

श्राद्ध विशेष……………………चतुर्दशी श्राद्ध

श्राद्ध विशेष………. दग्धशस्त्रादिहतानां श्राद्ध

पर्व विशेष………………………………नहीं है

समय विशेष……पवित्र चातुर्मास विधान जारी

दिवस विशेष……..अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस

दिवस विशेष……….अंतरराष्ट्रीय काफी दिवस

दिवस विशेष….विश्व स्वैच्छिक रक्तदान दिवस

पंचक………………………………….. नहीं है

विष्टि(भद्रा)…………………..प्रातः 8.22 तक

हवन मुहूर्त……………………… आज नहीं है

खगोलीय……………………………… नहीं है

सर्वा.सि.योग………………………….. नहीं है

अमृत सि.योग………………………… .नहीं है

सिद्ध रवियोग…………………………. नहीं है

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अगले दिन की प्रतीकात्मक जानकारी

दिनांक………………………..02.10.2024

तिथि…….. आश्विन कृष्णा अमावस्या बुधवार

व्रत विशेष……………………………. .नहीं है

अन्य व्रत……………………………… नहीं है

दिन विशेष…………………. श्राद्ध पक्ष संपूर्ण

दिन विशेष…………..गांधी एवं शास्त्री जयंती

दिन विशेष……… देवपितृ प्रयोजन अमावस्या

श्राद्ध विशेष……….सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध

पर्व विशेष………………………………नहीं है

समय विशेष……पवित्र चातुर्मास विधान जारी

दिवस विशेष……..अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस

दिवस विशेष……. अंतर्राष्ट्रीय पर्यावास दिवस

पंचक………………………………….. नहीं है

विष्टि(भद्रा)……………………………. नहीं है

हवन मुहूर्त…………………………….आज है

खगोलीय……………………………… नहीं है

सर्वा.सि.योग………………………….. नहीं है

अमृत सि.योग…………………………. नहीं है

सिद्ध रवियोग…………………………. नहीं है


आज विशेष

Panchang Today: October 01, 2024


माथे पर तिलक लगाने के चमत्कारी प्रभाव और क्या है इसके नियम

हिन्दू धर्म में कुछ ऐसी परंपराएं हैं जिनका महत्व तो बहुत है, लेकिन समय के साथ-साथ वह धूमिल पड़ती जा रही है। प्राचीन काल में जब भी राजा महाराजा शुभ कार्यों के लिए जाते थे तो माथे पर तिलक लगवाकर जाते थे।

कोई राजा महाराजा युद्ध के लिए भी जाते थे, तो विजय के लिए अपने ईष्ट को याद करते थे और माथे पर तिलक लगाकर जाते थे। यूं तो माथे पर तिलक लगाने के लिए अलावा हिन्दू परंपराओं में गले, हृदय, दोनों बाजू, नाभि, पीठ, दोनों बगल आदि मिलाकर शरीर के कुल 12 स्थानों पर तिलक लगाने का विधान है।

वैसे शास्त्रों में विस्तार से मस्तिष्क पर तिलक लगाने के महत्व के बारे में बताया गया है। हालांकि, अब तो इस विधान को वैज्ञानिक भी मानने लगे हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि मस्तक पर तिलक लगाने से शांति और ऊर्जा मिलती है।

भारत में कई तरह के तिलक प्रचलित हैं। चंदन, गोपीचंदन, सिंदूर, रोली, भस्म इत्यादि। ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि किस दिन कौन-सा तिलक लगाकर घर से शुभ कार्यों के लिए निकले। जिससे हर कार्यों में सफलता मिले और मस्तिष्क को शांति और बल मिले?

इस क्रम में आज हम आपको ज्योतिष के अनुसार सुझाया गया तिलक और उसके पीछे की मान्यता बता रहे हैं। तिलक कई प्रकार के होते हैं। मृतिका, भस्म, चंदन, रोली, सिंदूर, गोपी आदि। सनातन धर्म में शैव, शाक्त, वैष्णव व अन्य मतों के अलग-2 तिलक होते हैं। चंदन का तिलक लगाने से पापों का नाश होता है। व्यक्ति संकटों से बचता है। उस पर लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है। ज्ञान तंतु संयमित व सक्रिय रहते हैं।

चंदन के प्रकार: हरि चंदन, गोपी चंदन, सफेद चंदन, लाल चंदन, गोमती और गोकुल चंदन।

दिन के अनुसार धारण करें :

1 सोमवार : सोमवार का दिन भगवान शंकर का दिन होता है तथा इस वार का स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं। चंद्रमा मन का कारक ग्रह माना गया है। मन को काबू में रखकर मस्तिष्क को शीतल और शांत बनाए रखने के लिए आप सफेद चंदन का तिलक लगाएं। इस दिन विभूति या भस्म भी लगा सकते हैं।

2 मंगलवार : मंगलवार को हनुमानजी का दिन माना गया है। इस दिन का स्वामी ग्रह मंगल है। मंगल लाल रंग का प्रतिनिधित्व करता है। इस दिन लाल चंदन या चमेली के तेल में घुला हुआ सिंदूर का तिलक लगाने से ऊर्जा और कार्यक्षमता में विकास होता है। इससे मन की उदासी और निराशा हट जाती है और दिन शुभ बनता है।

3 बुधवार : बुधवार को जहां मां दुर्गा का दिन माना गया है वहीं यह भगवान गणेश का दिन भी है। इस दिन का ग्रह स्वामी है बुध ग्रह।

इस दिन सूखे सिंदूर (जिसमें कोई तेल न मिला हो) का तिलक लगाना चाहिए। इस तिलक से बौद्धिक क्षमता तेज होती है और दिन शुभ रहता है।

4 गुरुवार : गुरुवार को बृहस्पतिवार भी कहा जाता है। बृहस्पति ऋषि देवताओं के गुरु हैं। इस दिन के खास देवता हैं ब्रह्मा। इस दिन का स्वामी ग्रह है बृहस्पति ग्रह। गुरु को पीला या सफेद मिश्रित पीला रंग प्रिय है। इस दिन सफेद चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर लेप को माथे पर लगाना चाहिए या टीका लगाना चाहिए। हल्दी या गोरोचन का तिलक भी लगा सकते हैं। इससे मन में पवित्र और सकारात्मक विचार तथा अच्छे भावों का उद्भव होगा जिससे दिन भी शुभ रहेगा और आर्थिक परेशानी का हल भी निकलेगा।

5 शुक्रवार : शुक्रवार का दिन भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मीजी का रहता है। इस दिन का ग्रह स्वामी शुक्र ग्रह है। हालांकि इस ग्रह को दैत्यराज भी कहा जाता है। दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य थे। इस दिन लाल चंदन लगाने से जहां तनाव दूर रहता है वहीं इससे भौतिक सुख सुविधाओं में भी वृद्धि होती है। इस दिन सिंदूर भी लगा सकते हैं।

6 शनिवार : शनिवार को भैरव, शनि और यमराज का दिन माना जाता है। इस दिन के ग्रह स्वामी है शनि ग्रह। शनिवार के दिन विभूत, भस्म या लाल चंदन लगाना चाहिए जिससे भैरव महाराज प्रसन्न रहते हैं और किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होने देते। दिन शुभ रहता है।

7 रविवार : रविवार का दिन भगवान विष्णु और सूर्य का दिन रहता है। इस दिन के ग्रह स्वामी है सूर्य ग्रह जो ग्रहों के राजा हैं। इस दिन लाल चंदन या हरि चंदन लगाएं। भगवान विष्णु की कृपा रहने से जहां मान-सम्मान बढ़ता है वहीं निर्भयता आती है।


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Astro Guru Ji

Mayank Agnihotri

दैनिक जीवन में पंचांग का महत्व

आधुनिक समय में भी पंचांग एक अमूल्य साधन बना हुआ है, जो लाखों लोगों को शादी, सगाई, यात्रा, व्यापारिक उद्यम और धार्मिक समारोहों जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मार्गदर्शन करता है। यह केवल एक कैलेंडर नहीं है, बल्कि यह ब्रह्मांडीय ज्ञान का भंडार है, जो विशेष ज्योतिषीय संयोजनों के दौरान की गई गतिविधियों के परिणामों को प्रभावित करने में सक्षम माना जाता है।

तिथि: चंद्र दिवस

तिथि चंद्रमा के चरण को दर्शाती है और अनुष्ठानों और समारोहों के लिए शुभ समय निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसमें 30 तिथियाँ होती हैं, जिनमें प्रत्येक तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच के विशिष्ट कोण का प्रतिनिधित्व करती है। प्रतिपदा (पहले दिन) से लेकर अमावस्या (नई चंद्र) और पूर्णिमा (पूर्ण चंद्र) तक, प्रत्येक तिथि का विशिष्ट महत्व होता है, जो मानव भावनाओं, क्रियाओं और आध्यात्मिक प्रयासों को प्रभावित करता है।

वार: सप्ताह का दिन

वार सप्ताह के दिनों को संदर्भित करता है, और प्रत्येक दिन एक देवता से जुड़ा होता है। विभिन्न सप्ताह के दिनों का विशिष्ट गतिविधियों पर प्रभाव को समझने से उत्पादकता और सफलता को अधिकतम करने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, सोमवार, जिसे चंद्रमा का दिन माना जाता है, नए कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ होता है, जबकि शनिवार, जो शनि से शासित होता है, आध्यात्मिक अभ्यास और आत्म-निरीक्षण के लिए अनुकूल होता है।

नक्षत्र: चंद्र नक्षत्र

नक्षत्र 27 चंद्र नक्षत्रों को दर्शाता है जिनसे चंद्रमा अपने मासिक चक्र के दौरान गुजरता है। प्रत्येक नक्षत्र मानव गतिविधियों पर एक विशिष्ट प्रभाव डालता है, जैसे व्यक्तित्व गुण, करियर के चुनाव, और संबंधों की गतिशीलता। अनुकूल नक्षत्रों के साथ कार्यों को संरेखित करने से व्यक्ति की समृद्धि और भलाई को बढ़ावा मिल सकता है।

योग: संयोजन

योग सूर्य और चंद्रमा की स्थितियों द्वारा बनाए गए शुभ या अशुभ संयोजनों को दर्शाता है। 27 योग होते हैं, जिनमें से प्रत्येक के अनूठे गुण और प्रभाव होते हैं। शुभ योगों की ऊर्जा का उपयोग करके व्यक्ति अपने प्रयासों में सफलता और संतुष्टि प्राप्त कर सकता है।

करण: आधा चंद्र दिवस

करण तिथि का आधा हिस्सा होता है और कार्यों की शुरुआत को प्रभावित करता है। 11 करण होते हैं जिन्हें दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है – स्थिर और चल। कार्यों की शुरुआत के लिए एक उपयुक्त करण का चयन करना अनुकूल परिणाम सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होता है।

Panchang Today: October 01, 2024

तिथि विश्लेषण

कृष्ण पक्ष द्वादशी: आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने और परोपकारी कार्यों में संलग्न होने के लिए आदर्श।

रोहिणी नक्षत्र: कलात्मक गतिविधियों, रचनात्मकता और संबंधों के पोषण के लिए अनुकूल।

वृद्धि योग: विकास-उन्मुख गतिविधियों और वित्तीय निवेशों के लिए उपयुक्त।

तैतिल करण: सहनशक्ति और धैर्य की आवश्यकता वाले कार्यों के लिए अनुकूल।

पंचांग की शक्ति का उपयोग

दैनिक जीवन में पंचांग के अंतर्दृष्टियों को शामिल करने से व्यक्ति को ब्रह्मांडीय लय के साथ सामंजस्य स्थापित करने में मदद मिलती है, जिससे वे ज्ञान और गरिमा के साथ चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। पंचांग द्वारा प्रदान किए गए मार्गदर्शन का उपयोग करके, व्यक्ति सभी प्रयासों में सफलता और संतुष्टि के अवसरों को अधिकतम कर सकता है।

निष्कर्ष

पंचांग अपने जटिल ज्ञान और ब्रह्मांडीय अंतर्दृष्टियों के साथ जीवन की यात्रा में मार्गदर्शन का दीपस्तंभ है। इसके शिक्षाओं को अपनाने से व्यक्ति समृद्धि के मार्ग पर आगे बढ़ता है, अपने कार्यों को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संरेखित कर संपूर्ण कल्याण प्राप्त करता है।

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