Panchang Today: Aug 31, 2024

आज पंचांग 31 अगस्त, 2024

Panchang, जो एक प्राचीन हिंदू कैलेंडर है, हिंदू संस्कृति में अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। संस्कृत के शब्द “पंच” जिसका अर्थ है “पाँच” और “अंग” जिसका अर्थ है “भाग,” से उत्पन्न, पंचांग एक पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के पाँच घटकों का उल्लेख करता है: तिथि (चंद्र दिवस), वार (सप्ताह का दिन), नक्षत्र (तारा), योग और करण। यह एक व्यापक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है, जो विभिन्न गतिविधियों के लिए शुभ और अशुभ समय के बारे में जानकारी प्रदान करता है, और जीवन को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संरेखित करने में सहायता करता है।

Panchang Today

आज का हिंदू पंचांग

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आज पंचांग 31 अगस्त, 2024

शुभ शनिवार – – शुभ प्रभात्

74-30 मध्यमान 75-30

दैनिक पंचांग विवरण

आज दिनांक………………… 31.08.2024

कलियुग संवत्…………………………5126

विक्रम संवत्………………………….. 2081

शक संवत्……………………………..1946

संवत्सर………………………….श्री कालयुक्त

अयन………………………………दक्षिणायन

गोल…………………………………….. उत्तर

ऋतु………………………………………शरद्

मास………………………………….. भाद्रपद

पक्ष………………………………………कृष्ण

तिथि…त्रयोदशी. रात्रि. 3.41* तक / चतुर्दशी

वार………………………………….. शनिवार

नक्षत्र……… पुष्य. रात्रि. 7.40 तक / अश्लेषा

चंद्रराशि……………… कर्क. संपूर्ण (अहोरात्र)

योग…… वरीयान्. अपरा. 5.37 तक / परिघ

करण………………….गर. अपरा. 2.59 तक

करण..वणिज. रात्रि.3.41* तक / विष्टि(भद्रा)

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नोट-जिस रात्रि समय के ऊपर(*) लगा हुआ हो

वह समय अर्द्ध रात्रि के बाद सूर्योदय तक का है

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*विभिन्न नगरों के सूर्योदय में समयांतर मिनट*

श्री सनातन हिंदू पंचांग के अनुसार

दिल्ली -10 मिनट———जोधपुर +6 मिनट

जयपुर -5 मिनट——अहमदाबाद +8 मिनट

कोटा – 5 मिनट————-मुंबई +7 मिनट

लखनऊ – 25 मिनट——बीकानेर +5 मिनट

कोलकाता -54 मिनट–जैसलमेर +15 मिनट

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-सूर्योंदयास्त दिनमानादि-अन्य आवश्यक सूची-

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सूर्योदय…………………. प्रातः 6.12.53 पर

सूर्यास्त…………………. सायं. 6.50.01 पर

दिनमान-घं.मि.सै…………………12.37.07

रात्रिमान-घं.मि.सै……………….. 11.23.15

चंद्रास्त…………………….5.28.52 PM पर

चंद्रोदय……………………4.25.29 AM पर

राहुकाल…प्रातः 9.22 से 10.57 तक(अशुभ)

यमघंट…..अपरा. 2.06 से 3.41 तक(अशुभ)

गुलिक……………..प्रातः 6.13 से 7.48 तक

अभिजित…….. मध्या.12.06 से 12.57 तक

पंचक………………………………….. नहीं है

हवन मुहूर्त(अग्निवास)……………….. आज है

दिशाशूल…………………………….पूर्व दिशा

दोष परिहार…… उड़द का सेवन कर यात्रा करें

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विशिष्ट काल-मुहूर्त-वेला परिचय

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अभिजित् मुहुर्त – दिनार्द्ध से एक घटी पहले और एक घटी बाद का समय अभिजित मुहूर्त कहलाता है,पर बुधवार को यह शुभ नहीं होता.

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ब्रह्म मुहूर्त – सूर्योदय से पहले का 1.30 घंटे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है..

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प्रदोष काल – सूर्यास्त के पहले 45 मिनट और

बाद का 45 मिनट प्रदोष माना जाता है…

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गौधूलिक काल सूर्यास्त से 12 मिनट पहले एवं

12 मिनट बाद का समय कहलाता है

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भद्रा वास शुभाशुभ विचार

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भद्रा मेष, वृष, मिथुन, वृश्चिक के चंद्रमा में स्वर्ग में व कन्या, तुला, धनु, मकर के चंद्रमा में पाताल लोक में और कुंभ, मीन, कर्क, सिंह के चंद्रमा में मृत्युलोक में मानी जाती है यहां स्वर्ग और पाताल लोक की भद्रा शुभ मानी जाती हैं और मृत्युलोक की भद्रा काल में शुभ कार्य वर्जित होते हैं इसी तरह भद्रा फल विचार करें..

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* दैनिक सूर्योदय कालीन लग्न एवं ग्रह स्पष्ट *

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लग्न ………सिंह 13°33′ पूर्व फाल्गुनी1 मो

सूर्य ………सिंह 13°55′ पूर्व फाल्गुनी 1 मो

चन्द्र ………………….कर्क 9°44′ पुष्य 2 हे

बुध ………….. कर्क 27°32′ आश्लेषा 4 डो

शुक्र …….कन्या 7°37′ उत्तर फाल्गुनी 4 पी

मंगल ………… मिथुन 2°53′ मृगशीर्षा 3 का

बृहस्पति ……. .वृषभ 24°41′ मृगशीर्षा 1 वे

शनि * …….. कुम्भ 22°32′ पूर्वभाद्रपद 1 से

राहू * ………मीन 13°53′ उत्तरभाद्रपद 4 ञ

केतु * …………….. कन्या 13°53′ हस्त 2 ष

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दिन का चौघड़िया

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शुभ……………….प्रातः 7.48 से 9.22 तक

चंचल………….अपरा. 13.31 से 2.06 तक

लाभ…………….अपरा. 2.06 से 3.41 तक

अमृत……………अपरा. 3.41 से 5.15 तक

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रात्रि का चौघड़िया

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लाभ………..सायं-रात्रि. 6.50 से 8.15 तक

शुभ……………..रात्रि. 9.41 से 11.06 तक

अमृत……रात्रि. 11.06 से 12.32 AM तक

चंचल..रात्रि. 12.32 AM से 1.57 AM तक

लाभ…..रात्रि. 4.48 AM से 6.13 AM तक

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(विशेष – ज्योतिष शास्त्र में एक शुभ योग और एक अशुभ योग जब भी साथ साथ आते हैं तो शुभ योग की स्वीकार्यता मानी गई है )

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शुभ शिववास की तिथियां

शुक्ल पक्ष-2—–5—–6—- 9——-12—-13.

कृष्ण पक्ष-1—4—-5—-8—11—-12—-30.

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दिन नक्षत्र एवं चरणाक्षर संबंधी संपूर्ण विवरण

संदर्भ विशेष -यदि किसी बालक का जन्म गंड नक्षत्रों (रेवती, अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा और मूल) में होता है तो सविधि नक्षत्र शांति की आवश्यक मानी गयी है और करवाना चाहिये..

आज जन्मे बालकों का नक्षत्र के चरण अनुसार राशिगत् नामाक्षर..

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06.43 AM तक——-पुष्य—-2——-हे

01.10 PM तक——-पुष्य—-3——-हो

07.40 PM तक——-पुष्य—-4——-डा

02.09 AM तक—-अश्लेषा—-1——डी

उपरांत रात्रि तक—-अश्लेषा—-2——-डू

_________राशि कर्क – पाया चांदी________.

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आज का दिन

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व्रत विशेष……………………….. शनि प्रदोष

अन्य व्रत……………………………… नहीं है

पर्व विशेष……………………………. नहीं है

समय विशेष……पवित्र चातुर्मास विधान जारी

दिवस विशेष……………. विश्व संस्कृत दिवस

दिवस विशेष……… विश्व अफ्रीकी मूल दिवस

पंचक…………………………….आज नहीं है

विष्टि(भद्रा)……… रात्रि. 3.41* से रात्रि पर्यंत

खगोलीय…………………………….. नहीं है

सर्वा.सि.योग…………………………..नहीं है अमृत सि.योग………………………….नहीं है

सिद्ध रवियोग………………………… नहीं है ___________________________________

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अगले दिन की प्रतीकात्मक जानकारी

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दिनांक………………………..01.09.2024 तिथि………..भाद्रपद कृष्णा चतुर्दशी रविवार

व्रत विशेष……………………. मास शिवरात्रि

अन्य व्रत……………………………… नहीं है

पर्व विशेष……………………………. नहीं है

समय विशेष……पवित्र चातुर्मास विधान जारी

दिवस विशेष..सन् 2024 सितंबर मास प्रारंभ

दिवस विशेष…………… राष्ट्रीय पोषण दिवस

पंचक…………………………….आज नहीं है

विष्टि(भद्रा)…………………अपरा. 4.29 तक

खगोलीय………. हस्ते शुक्र. रात्रि. 5.13* पर

सर्वा.सि.योग…………………………..नहीं है अमृत सि.योग………………………….नहीं है

सिद्ध रवियोग………………………… नहीं है

_____________आज विशेष ____________

Panchang Today: Aug 31, 2024

सुख शांति और समृद्धिदायक तुलसी मूल जिसे धारण करने से मिलती है ईश कृपा व आशिर्वाद

यदि बनना है अमीर तो गले में धारण करें तुलसी मूल.. भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी के साथ तुलसी जी का मिलेगा आशीर्वाद

यदि आप अमीर बनना चाहते हैं तो तुलसी के ये उपाय करें. इससे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ-साथ तुलसी जी की कृपा से आपकी किस्मत खुल जायगी और धन-दौलत में अपार वृद्धि होगी.

हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत ही पवित्र माना जाता है. कहा जाता है कि इनकी जड़ों के पास भगवान विष्णु खुद शालिग्राम के रूप में निवास करते हैं. मान्यता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है उस घर की नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती है. साथ ही उस घर में माता तुलसी जी की कृपा से धन की प्राप्ति होती है. साथ ही तु़लसी का पौधा आपके शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति भी देता है और आपके शरीर को निरोग रखता है. मान्यता है कि तुलसी के पत्ते के इस्टे माल से कोरोना जैसी बीमारी का प्रभाव कम हो जाता है. तुलसी के छोटे-छोटे उपाय धन लाभ में बहुत सहायक होते हैं. आइये जानें

यदि आप कुंडली में नवग्रह या किसी भी प्रकार के दोष से या शनि दोष या रवि दोष से पीड़ित हैं, तो तुलसी के जड़ को ताबीज में रखकर उसे गले में धारण करें. मान्यता है कि इससे सभी प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं और व्यक्ति के पास धन दौलत की कमी नहीं रहती है.

तुलसी की जड़ों में प्रतिदिन स्नान के बाद जल डालने से नवग्रह के दोष दूर हो जाते हैं. मन लक्ष्मी की कृपा से घर की गरीबी दूर होने लगती है.

यदि दुकान या घर से नकारात्मक शक्तियों को दूर करना चाहते है तो तुलसी की जड़ की माला बना कर गले में धारण करें लाभ होगा.

धन प्राप्त करने के लिए तुलसी की जड़ को चांदी के ताबिज में पहनें. इससे धन आगमन के सभी मार्ग खुल जाते हैं और व्यक्ति बहुत जल्द धनवान हो जाता है.

प्रतिदिन स्नान के बाद तुलसी के पौधे की जड़ से मिट्टी लेकर माथे पर तिलक लगाएं. इससे व्यक्ति की सम्मोहन शक्ति बढ जाती है. सामने वाला व्यक्ति बहुत जल्दी ही आप से प्रभावित हो जाता है.

तुलसी के पेड़ की जड़ से मिट्टी लेकर तिलक लगाने से मन हमेशा शांत रहता है और दुर्भाग्य दूर होता है।

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Astro Guru Ji

Mayank Agnihotri

दैनिक जीवन में पंचांग का महत्व

आधुनिक समय में भी पंचांग एक अमूल्य साधन बना हुआ है, जो लाखों लोगों को शादी, सगाई, यात्रा, व्यापारिक उद्यम और धार्मिक समारोहों जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मार्गदर्शन करता है। यह केवल एक कैलेंडर नहीं है, बल्कि यह ब्रह्मांडीय ज्ञान का भंडार है, जो विशेष ज्योतिषीय संयोजनों के दौरान की गई गतिविधियों के परिणामों को प्रभावित करने में सक्षम माना जाता है।

तिथि: चंद्र दिवस

तिथि चंद्रमा के चरण को दर्शाती है और अनुष्ठानों और समारोहों के लिए शुभ समय निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसमें 30 तिथियाँ होती हैं, जिनमें प्रत्येक तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच के विशिष्ट कोण का प्रतिनिधित्व करती है। प्रतिपदा (पहले दिन) से लेकर अमावस्या (नई चंद्र) और पूर्णिमा (पूर्ण चंद्र) तक, प्रत्येक तिथि का विशिष्ट महत्व होता है, जो मानव भावनाओं, क्रियाओं और आध्यात्मिक प्रयासों को प्रभावित करता है।

वार: सप्ताह का दिन

वार सप्ताह के दिनों को संदर्भित करता है, और प्रत्येक दिन एक देवता से जुड़ा होता है। विभिन्न सप्ताह के दिनों का विशिष्ट गतिविधियों पर प्रभाव को समझने से उत्पादकता और सफलता को अधिकतम करने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, सोमवार, जिसे चंद्रमा का दिन माना जाता है, नए कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ होता है, जबकि शनिवार, जो शनि से शासित होता है, आध्यात्मिक अभ्यास और आत्म-निरीक्षण के लिए अनुकूल होता है।

नक्षत्र: चंद्र नक्षत्र

नक्षत्र 27 चंद्र नक्षत्रों को दर्शाता है जिनसे चंद्रमा अपने मासिक चक्र के दौरान गुजरता है। प्रत्येक नक्षत्र मानव गतिविधियों पर एक विशिष्ट प्रभाव डालता है, जैसे व्यक्तित्व गुण, करियर के चुनाव, और संबंधों की गतिशीलता। अनुकूल नक्षत्रों के साथ कार्यों को संरेखित करने से व्यक्ति की समृद्धि और भलाई को बढ़ावा मिल सकता है।

योग: संयोजन

योग सूर्य और चंद्रमा की स्थितियों द्वारा बनाए गए शुभ या अशुभ संयोजनों को दर्शाता है। 27 योग होते हैं, जिनमें से प्रत्येक के अनूठे गुण और प्रभाव होते हैं। शुभ योगों की ऊर्जा का उपयोग करके व्यक्ति अपने प्रयासों में सफलता और संतुष्टि प्राप्त कर सकता है।

करण: आधा चंद्र दिवस

करण तिथि का आधा हिस्सा होता है और कार्यों की शुरुआत को प्रभावित करता है। 11 करण होते हैं जिन्हें दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है – स्थिर और चल। कार्यों की शुरुआत के लिए एक उपयुक्त करण का चयन करना अनुकूल परिणाम सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होता है।

Panchang Today: Aug 31, 2024

तिथि विश्लेषण

कृष्ण पक्ष द्वादशी: आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने और परोपकारी कार्यों में संलग्न होने के लिए आदर्श।

रोहिणी नक्षत्र: कलात्मक गतिविधियों, रचनात्मकता और संबंधों के पोषण के लिए अनुकूल।

वृद्धि योग: विकास-उन्मुख गतिविधियों और वित्तीय निवेशों के लिए उपयुक्त।

तैतिल करण: सहनशक्ति और धैर्य की आवश्यकता वाले कार्यों के लिए अनुकूल।

पंचांग की शक्ति का उपयोग

दैनिक जीवन में पंचांग के अंतर्दृष्टियों को शामिल करने से व्यक्ति को ब्रह्मांडीय लय के साथ सामंजस्य स्थापित करने में मदद मिलती है, जिससे वे ज्ञान और गरिमा के साथ चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। पंचांग द्वारा प्रदान किए गए मार्गदर्शन का उपयोग करके, व्यक्ति सभी प्रयासों में सफलता और संतुष्टि के अवसरों को अधिकतम कर सकता है।

निष्कर्ष

पंचांग अपने जटिल ज्ञान और ब्रह्मांडीय अंतर्दृष्टियों के साथ जीवन की यात्रा में मार्गदर्शन का दीपस्तंभ है। इसके शिक्षाओं को अपनाने से व्यक्ति समृद्धि के मार्ग पर आगे बढ़ता है, अपने कार्यों को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संरेखित कर संपूर्ण कल्याण प्राप्त करता है।

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