आज पंचांग 27 अगस्त, 2024
Panchang, जो एक प्राचीन हिंदू कैलेंडर है, हिंदू संस्कृति में अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। संस्कृत के शब्द “पंच” जिसका अर्थ है “पाँच” और “अंग” जिसका अर्थ है “भाग,” से उत्पन्न, पंचांग एक पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के पाँच घटकों का उल्लेख करता है: तिथि (चंद्र दिवस), वार (सप्ताह का दिन), नक्षत्र (तारा), योग और करण। यह एक व्यापक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है, जो विभिन्न गतिविधियों के लिए शुभ और अशुभ समय के बारे में जानकारी प्रदान करता है, और जीवन को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संरेखित करने में सहायता करता है।
आज का हिंदू पंचांग
आज पंचांग 27 अगस्त, 2024
शुभ मंगलवार – शुभ प्रभात्
74-30 मध्यमान 75-30
दैनिक पंचांग विवरण
आज दिनांक………………… 27.08.2024
कलियुग संवत्…………………………5126
विक्रम संवत्………………………….. 2081
शक संवत्……………………………..1946
संवत्सर………………………….श्री कालयुक्त
अयन………………………………दक्षिणायन
गोल…………………………………….. उत्तर
ऋतु……………………………………… वर्षा
मास………………………………….. भाद्रपद
पक्ष………………………………………कृष्ण
तिथि……..नवमी. रात्रि. 1.33* तक / दशमी
वार…………………………………. मंगलवार
नक्षत्र…रोहिणी. अपरा. 3.38 तक / मृगशिरा
चंद्रराशि……वृषभ. रात्रि 3.42* तक / मिथुन
योग…………..हर्षण. रात्रि. 8.30 तक / वज्र
करण……………..तैत्तिल. अपरा. 1.52 तक
करण……… .गर. रात्रि. 1.33* तक / वणिज
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नोट-जिस रात्रि समय के ऊपर(*) लगा हुआ हो
वह समय अर्द्ध रात्रि के बाद सूर्योदय तक का है
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*विभिन्न नगरों के सूर्योदय में समयांतर मिनट*
श्री सनातन हिंदू पंचांग के अनुसार
दिल्ली -10 मिनट———जोधपुर +6 मिनट
जयपुर -5 मिनट——अहमदाबाद +8 मिनट
कोटा – 5 मिनट————-मुंबई +7 मिनट
लखनऊ – 25 मिनट——बीकानेर +5 मिनट
कोलकाता -54 मिनट–जैसलमेर +15 मिनट
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-सूर्योंदयास्त दिनमानादि-अन्य आवश्यक सूची-
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सूर्योदय…………………. प्रातः 6.11.18 पर
सूर्यास्त…………………. सायं. 6.54.02 पर
दिनमान-घं.मि.सै…………………12.42.43
रात्रिमान-घं.मि.सै………………. .11.17.40
चंद्रास्त…………………… 2.04.31 PM पर
चंद्रोदय………………….12.32.22 AM पर
राहुकाल..अपरा. 3.43 से 5.19 तक(अशुभ)
यमघंट…..प्रातः 9.22 से 10.57 तक(अशुभ)
गुलिक………… अपरा. 12.33 से 2.08 तक
अभिजित…….. मध्या.12.07 से 12.58 तक
पंचक………………………………….. नहीं है
हवन मुहूर्त(अग्निवास)………………..आज है
दिशाशूल………………………….. उत्तर दिशा
दोष परिहार…….. गुड़ का सेवन कर यात्रा करें
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विशिष्ट काल-मुहूर्त-वेला परिचय
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अभिजित् मुहुर्त – दिनार्द्ध से एक घटी पहले और एक घटी बाद का समय अभिजित मुहूर्त कहलाता है,पर बुधवार को यह शुभ नहीं होता.
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ब्रह्म मुहूर्त – सूर्योदय से पहले का 1.30 घंटे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है..
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प्रदोष काल – सूर्यास्त के पहले 45 मिनट और
बाद का 45 मिनट प्रदोष माना जाता है…
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गौधूलिक काल सूर्यास्त से 12 मिनट पहले एवं
12 मिनट बाद का समय कहलाता है
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भद्रा वास शुभाशुभ विचार
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भद्रा मेष, वृष, मिथुन, वृश्चिक के चंद्रमा में स्वर्ग में व कन्या, तुला, धनु, मकर के चंद्रमा में पाताल लोक में और कुंभ, मीन, कर्क, सिंह के चंद्रमा में मृत्युलोक में मानी जाती है यहां स्वर्ग और पाताल लोक की भद्रा शुभ मानी जाती हैं और मृत्युलोक की भद्रा काल में शुभ कार्य वर्जित होते हैं इसी तरह भद्रा फल विचार करें..
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* दैनिक सूर्योदय कालीन लग्न एवं ग्रह स्पष्ट *
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लग्न ………………… सिंह 9°35′ मघा 3 मू
सूर्य ………………….. सिंह 10°3′ मघा 4 मे
चन्द्र …………….. वृषभ 18°4′ रोहिणी 3 वी
बुध ^ ………….कर्क 27°27′ आश्लेषा 4 डो
शुक्र …… .कन्या 2°43′ उत्तर फाल्गुनी 2 टो
मंगल …………मिथुन 0°24′ मृगशीर्षा 3 का
बृहस्पति ……..वृषभ 24°12′ मृगशीर्षा 1 वे
शनि *……… कुम्भ 22°50′ पूर्वभाद्रपद 1 से
राहू * ……….मीन 14°6′ उत्तरभाद्रपद 4 ञ
केतु * ……………….कन्या 14°6′ हस्त 2 ष
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दिन का चौघड़िया
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चंचल……………प्रातः 9.22 से 10.57 तक
लाभ…………..पूर्वा. 10.57 से 12.33 तक
अमृत………… अपरा. 12.33 से 2.08 तक
शुभ……………..अपरा. 3.43 से 5.19 तक
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रात्रि का चौघड़िया
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लाभ…………….. रात्रि. 8.19 से 9.43 तक
शुभ……..रात्रि. 11.08 से 12.33 AM तक
अमृत..रात्रि. 12.33 AM से 1.58 AM तक
चंचल….रात्रि. 1.58 AM से 3.22 AM तक
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(विशेष – ज्योतिष शास्त्र में एक शुभ योग और एक अशुभ योग जब भी साथ साथ आते हैं तो शुभ योग की स्वीकार्यता मानी गई है )
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शुभ शिववास की तिथियां
शुक्ल पक्ष-2—–5—–6—- 9——-12—-13.
कृष्ण पक्ष-1—4—-5—-8—11—-12—-30.
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दिन नक्षत्र एवं चरणाक्षर संबंधी संपूर्ण विवरण
संदर्भ विशेष -यदि किसी बालक का जन्म गंड नक्षत्रों (रेवती, अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा और मूल) में होता है तो सविधि नक्षत्र शांति की आवश्यक मानी गयी है और करवाना चाहिये..
आज जन्मे बालकों का नक्षत्र के चरण अनुसार राशिगत् नामाक्षर..
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09.38 AM तक—-रोहिणी—–3—–वी
03.38 PM तक—-रोहिणी—–4——वू
09.38 PM तक—मृगशिरा—–1——वे
03.42 AM तक—मृगशिरा—–2—- -वो
_________राशि वृषभ – पाया स्वर्ण________
उपरांत रात्रि तक—-मृगशिरा—–3—–क
_________राशि मिथुन – पाया स्वर्ण_______.
_____________आज का दिन___________
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व्रत विशेष……………………श्री गोगा नवमी
अन्य व्रत………………………………नहीं है
पर्व विशेष…………………….. नंद महोत्सव
समय विशेष…. पवित्र चातुर्मास विधान जारी
दिवस विशेष………………………… .नहीं है
दिन विशेष……….. .राष्ट्रीय रस्साकसी दिवस
पंचक………………………….. आज नहीं है
विष्टि(भद्रा)…………………………… नहीं है
खगोलीय…… बुधोदय पूर्वे. अपरा. 2.18 पर
सर्वा.सि.योग…………………………. नहीं है अमृत सि.योग………………………. .नहीं है
सिद्ध रवियोग………………………… नहीं है
___अगले दिन की प्रतीकात्मक जानकारी____
दिनांक……………………….28.08.2024 तिथि………… भाद्रपद कृष्णा दशमी बुधवार
व्रत विशेष……………………………. नहीं है
अन्य व्रत……………………………. ..नहीं है
पर्व विशेष……….. बालाजी मेला सलेमाबाद
समय विशेष…. पवित्र चातुर्मास विधान जारी
दिवस विशेष…………………………. नहीं है
पंचक………………………….. आज नहीं है
विष्टि(भद्रा).अपरा.1.28 से रात्रि 1.20* तक
खगोलीय……….मार्गी बुध. रात्रि. 2.44* पर
सर्वा.सि.योग……………. अपरा. 3.53 तक अमृत सि.योग………………………. . नहीं है
सिद्ध रवियोग………………………… नहीं है
_____________आज विशेष ____________
Panchang Today: Aug 27, 2024
मांगलिक वर कन्या के विवाह में बाधा आ रही हो तो कुछ आध्यात्मिक उपाय
प्रत्येक मंगलवार को मंगल-चंडिका स्त्रोत्र का पाठ करें।
शनिवार को सुन्दर काण्ड का पाठ करें।
मांगलिक लड़के मंगलवार को हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएँ।
मांगलिक लड़के/लड़की अपने कमरे के दरवाजे को लाल/गुलाबी रंग से रंगें।
शीघ्र विवाह हेतु मंत्र।
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणिम्।।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम।।
यह मंत्र दुर्गा सप्तशती से उद्धृत है। शादी की कामना करने वाले पुरुष जातकों को स्नान के बाद 11 बार इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे उनकी कामना पूर्ण होगी। यह शीघ्र विवाह का अचूक उपाय है।
“ॐ गं गणपतये नमः”
इस मंत्र को जपने से पहले बुधवार के दिन पीतल से बनी गणेश जी की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान करवाकर पंचोपचार विधि से पूजन करें। उसके बाद 21 बार इस मंत्र का जाप करें और जाप के बाद पंचामृत को पीपल के पेड़ में चढ़ाएँ। यह जल्दी शादी होने का अहम उपाय है।
“ॐ सृष्टिकर्ता मम विवाहं कुरु कुरु स्वाहा”
मंगलवार के दिन लक्ष्मी-नारायण की प्रतिमा को घर में स्थापित करें उसके बाद पंचोपचार विधि से पूजन के उपरांत इस मंत्र का 21 बार जाप करें।
“ॐ श्रीं वर प्रदाय श्री नमः”
सोमवार को शिव मंदिर में पाँच नारियल चढ़ाएँ और इस मंत्र की 5 बार माला फेरें। ध्यान रखें, यह मंत्र विशेष रूप से कन्याओं के लिए है।
“ॐ क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा”
उक्त मंत्र का 108 बार जाप करने से अविवाहित कन्या अथवा वर का शीघ्र विवाह संपन्न हो जाता है। इस मंत्र का जाप करने से भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
“ॐ ग्रां ग्रीं ग्रों स: गुरूवे नम:”
प्रत्येक गुरुवार के दिन इस मंत्र को उच्चारित करते हुए पाँच बार माला फेरें। इससे अविवाहित जातकों का विवाह शीघ्र होता है।
व्रत:
वैदिक ज्योतिष और हिंदू धर्म में शीघ्र विवाह के कई उपाय बताये गये हैं। विवाह योग्य जातक व्रत रखकर और ईश्वर भक्ति करके भी अपनी शादी की मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं। वैदिक ज्योतिष में विवाह के लिए निम्न व्रत बताए गए हैं-
बृहस्पतिवार व्रत: शीघ्र विवाह के उपाय के तौर पर बृहस्पतिवार (गुरुवार) के दिन व्रत रखने से बृहस्पति देव प्रसन्न होते हैं। विशेषकर स्त्रियों के लिए यह व्रत शुभ फलदायी माना गया है। इस व्रत को धारण करने से मन की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। इस व्रत को विवाह योग्य वर अथवा कन्या अपने शीघ्र विवाह के लिए रखते हैं।
सोलह सोमवार व्रत: सोमवार का व्रत भगवान शिव को समर्पित है और यह जल्दी शादी होने का अचूक उपाय माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि सोलह सोमवार का व्रत पूरे विधि विधान के साथ करने से सारी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। अतः विवाह योग्य जातक इस व्रत का पालन कर अपनी विवाह की इच्छा पूर्ण कर सकते हैं।
वैभव लक्ष्मी व्रत: शीघ्र विवाह के उपाय के तहत वैभव लक्ष्मी व्रत सोमवार को रखा जाता है। इस व्रत को स्त्री-पुरुष दोनों ही धारण कर सकते हैं। इससे घर में माँ लक्ष्मी जी का वास होता है और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। अविवाहित कन्या अथवा वर इस व्रत का पालन कर माँ लक्ष्मी से अपने लिए जीवनसाथी का वरदान मांग सकते हैं।
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दैनिक जीवन में पंचांग का महत्व
आधुनिक समय में भी पंचांग एक अमूल्य साधन बना हुआ है, जो लाखों लोगों को शादी, सगाई, यात्रा, व्यापारिक उद्यम और धार्मिक समारोहों जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मार्गदर्शन करता है। यह केवल एक कैलेंडर नहीं है, बल्कि यह ब्रह्मांडीय ज्ञान का भंडार है, जो विशेष ज्योतिषीय संयोजनों के दौरान की गई गतिविधियों के परिणामों को प्रभावित करने में सक्षम माना जाता है।
तिथि: चंद्र दिवस
तिथि चंद्रमा के चरण को दर्शाती है और अनुष्ठानों और समारोहों के लिए शुभ समय निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसमें 30 तिथियाँ होती हैं, जिनमें प्रत्येक तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच के विशिष्ट कोण का प्रतिनिधित्व करती है। प्रतिपदा (पहले दिन) से लेकर अमावस्या (नई चंद्र) और पूर्णिमा (पूर्ण चंद्र) तक, प्रत्येक तिथि का विशिष्ट महत्व होता है, जो मानव भावनाओं, क्रियाओं और आध्यात्मिक प्रयासों को प्रभावित करता है।
वार: सप्ताह का दिन
वार सप्ताह के दिनों को संदर्भित करता है, और प्रत्येक दिन एक देवता से जुड़ा होता है। विभिन्न सप्ताह के दिनों का विशिष्ट गतिविधियों पर प्रभाव को समझने से उत्पादकता और सफलता को अधिकतम करने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, सोमवार, जिसे चंद्रमा का दिन माना जाता है, नए कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ होता है, जबकि शनिवार, जो शनि से शासित होता है, आध्यात्मिक अभ्यास और आत्म-निरीक्षण के लिए अनुकूल होता है।
नक्षत्र: चंद्र नक्षत्र
नक्षत्र 27 चंद्र नक्षत्रों को दर्शाता है जिनसे चंद्रमा अपने मासिक चक्र के दौरान गुजरता है। प्रत्येक नक्षत्र मानव गतिविधियों पर एक विशिष्ट प्रभाव डालता है, जैसे व्यक्तित्व गुण, करियर के चुनाव, और संबंधों की गतिशीलता। अनुकूल नक्षत्रों के साथ कार्यों को संरेखित करने से व्यक्ति की समृद्धि और भलाई को बढ़ावा मिल सकता है।
योग: संयोजन
योग सूर्य और चंद्रमा की स्थितियों द्वारा बनाए गए शुभ या अशुभ संयोजनों को दर्शाता है। 27 योग होते हैं, जिनमें से प्रत्येक के अनूठे गुण और प्रभाव होते हैं। शुभ योगों की ऊर्जा का उपयोग करके व्यक्ति अपने प्रयासों में सफलता और संतुष्टि प्राप्त कर सकता है।
करण: आधा चंद्र दिवस
करण तिथि का आधा हिस्सा होता है और कार्यों की शुरुआत को प्रभावित करता है। 11 करण होते हैं जिन्हें दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है – स्थिर और चल। कार्यों की शुरुआत के लिए एक उपयुक्त करण का चयन करना अनुकूल परिणाम सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होता है।
Panchang Today: Aug 27, 2024
तिथि विश्लेषण
कृष्ण पक्ष द्वादशी: आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने और परोपकारी कार्यों में संलग्न होने के लिए आदर्श।
रोहिणी नक्षत्र: कलात्मक गतिविधियों, रचनात्मकता और संबंधों के पोषण के लिए अनुकूल।
वृद्धि योग: विकास-उन्मुख गतिविधियों और वित्तीय निवेशों के लिए उपयुक्त।
तैतिल करण: सहनशक्ति और धैर्य की आवश्यकता वाले कार्यों के लिए अनुकूल।
पंचांग की शक्ति का उपयोग
दैनिक जीवन में पंचांग के अंतर्दृष्टियों को शामिल करने से व्यक्ति को ब्रह्मांडीय लय के साथ सामंजस्य स्थापित करने में मदद मिलती है, जिससे वे ज्ञान और गरिमा के साथ चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। पंचांग द्वारा प्रदान किए गए मार्गदर्शन का उपयोग करके, व्यक्ति सभी प्रयासों में सफलता और संतुष्टि के अवसरों को अधिकतम कर सकता है।
निष्कर्ष
पंचांग अपने जटिल ज्ञान और ब्रह्मांडीय अंतर्दृष्टियों के साथ जीवन की यात्रा में मार्गदर्शन का दीपस्तंभ है। इसके शिक्षाओं को अपनाने से व्यक्ति समृद्धि के मार्ग पर आगे बढ़ता है, अपने कार्यों को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संरेखित कर संपूर्ण कल्याण प्राप्त करता है।