आज पंचांग 26 अगस्त, 2024
Panchang, जो एक प्राचीन हिंदू कैलेंडर है, हिंदू संस्कृति में अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। संस्कृत के शब्द “पंच” जिसका अर्थ है “पाँच” और “अंग” जिसका अर्थ है “भाग,” से उत्पन्न, पंचांग एक पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के पाँच घटकों का उल्लेख करता है: तिथि (चंद्र दिवस), वार (सप्ताह का दिन), नक्षत्र (तारा), योग और करण। यह एक व्यापक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है, जो विभिन्न गतिविधियों के लिए शुभ और अशुभ समय के बारे में जानकारी प्रदान करता है, और जीवन को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संरेखित करने में सहायता करता है।
आज का हिंदू पंचांग
आज पंचांग 26 अगस्त, 2024
शुभ सोमवार – – शुभ प्रभात्
74-30 मध्यमान 75-30
दैनिक पंचांग विवरण
आज दिनांक………………… 26.08.2024
कलियुग संवत्…………………………5126
विक्रम संवत्………………………….. 2081
शक संवत्……………………………..1946
संवत्सर………………………….श्री कालयुक्त
अयन………………………………दक्षिणायन
गोल…………………………………….. उत्तर
ऋतु……………………………………… वर्षा
मास………………………………….. भाद्रपद
पक्ष………………………………………कृष्ण
तिथि……..अष्टमी. रात्रि. 2.20* तक / नवमी
वार………………………………….. सोमवार
नक्षत्र… कृतिका. अपरा. 3.55 तक / रोहिणी
चंद्रराशि…………….. वृषभ. संपूर्ण (अहोरात्र)
योग…… .व्याघात्. रात्रि. 10.15 तक / हर्षण
करण…………….. बालव. अपरा. 2.55 तक
करण….. कौलव. रात्रि. 2.20* तक / तैत्तिल
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नोट-जिस रात्रि समय के ऊपर(*) लगा हुआ हो
वह समय अर्द्ध रात्रि के बाद सूर्योदय तक का है
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*विभिन्न नगरों के सूर्योदय में समयांतर मिनट*
श्री सनातन हिंदू पंचांग के अनुसार
दिल्ली -10 मिनट———जोधपुर +6 मिनट
जयपुर -5 मिनट——अहमदाबाद +8 मिनट
कोटा – 5 मिनट————-मुंबई +7 मिनट
लखनऊ – 25 मिनट——बीकानेर +5 मिनट
कोलकाता -54 मिनट–जैसलमेर +15 मिनट
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-सूर्योंदयास्त दिनमानादि-अन्य आवश्यक सूची-
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सूर्योदय………………… . प्रातः 6.10.54 पर
सूर्यास्त………………….. सायं. 6.55.01 पर
दिनमान-घं.मि.सै………………… 12.44.06
रात्रिमान-घं.मि.सै……………….. .11.16.17
चंद्रास्त…………………… .1.00.16 PM पर
चंद्रोदय…………………. 11.39.45 PM पर
राहुकाल…. .प्रातः 7.46 से 9.22 तक(अशुभ)
यमघंट.. .पूर्वा. 10.57 से 12.33 तक(अशुभ)
गुलिक………….. .अपरा. 2.08 से 3.54 तक
अभिजित…….. मध्या.12.07 से 12.58 तक
पंचक………………………………….. नहीं है
हवन मुहूर्त(अग्निवास)…………. .आज नहीं है
दिशाशूल……………………………. पूर्व दिशा
दोष परिहार…….. दूध का सेवन कर यात्रा करें
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विशिष्ट काल-मुहूर्त-वेला परिचय
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अभिजित् मुहुर्त – दिनार्द्ध से एक घटी पहले और एक घटी बाद का समय अभिजित मुहूर्त कहलाता है,पर बुधवार को यह शुभ नहीं होता.
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ब्रह्म मुहूर्त – सूर्योदय से पहले का 1.30 घंटे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है..
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प्रदोष काल – सूर्यास्त के पहले 45 मिनट और
बाद का 45 मिनट प्रदोष माना जाता है…
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गौधूलिक काल सूर्यास्त से 12 मिनट पहले एवं
12 मिनट बाद का समय कहलाता है
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भद्रा वास शुभाशुभ विचार
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भद्रा मेष, वृष, मिथुन, वृश्चिक के चंद्रमा में स्वर्ग में व कन्या, तुला, धनु, मकर के चंद्रमा में पाताल लोक में और कुंभ, मीन, कर्क, सिंह के चंद्रमा में मृत्युलोक में मानी जाती है यहां स्वर्ग और पाताल लोक की भद्रा शुभ मानी जाती हैं और मृत्युलोक की भद्रा काल में शुभ कार्य वर्जित होते हैं इसी तरह भद्रा फल विचार करें..
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* दैनिक सूर्योदय कालीन लग्न एवं ग्रह स्पष्ट *
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लग्न …………………. सिंह 8°42′ मघा 3 मू
सूर्य ……………………. सिंह 9°5′ मघा 3 मू
चन्द्र ……………. वृषभ 4°27′ कृत्तिका 3 उ
बुध ^ ………… कर्क 27°45′ आश्लेषा 4 डो
शुक्र ……. कन्या 1°30′ उत्तर फाल्गुनी 2 टो
मंगल ……….. वृषभ 29°47′ मृगशीर्षा 2 वो
बृहस्पति ……… वृषभ 24°4′ मृगशीर्षा 1 वे
शनि * …….. कुम्भ 22°54′ पूर्वभाद्रपद 1 से
राहू * ………. मीन 14°9′ उत्तरभाद्रपद 4 ञ
केतु * ……………….कन्या 14°9′ हस्त 2 ष
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दिन का चौघड़िया
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अमृत……………..प्रातः 6.11 से 7.46 तक
शुभ……………..प्रातः 9.22 से 10.57 तक
चंचल……………अपरा. 2.08 से 3.44 तक
लाभ…………….अपरा. 3.44 से 5.20 तक
अमृत……………..सायं. 5.20 से 6.55 तक
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रात्रि का चौघड़िया
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चंचल……… सायं-रात्रि. 6.55 से 8.20 तक
लाभ…….रात्रि. 11.09 से 12.33 AM तक
शुभ……रात्रि. 1.58 AM से 3.22 AM तक
अमृत….रात्रि. 3.22 AM से 4.47 AM तक
चंचल….रात्रि. 4.47 AM से 6.11 AM तक
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(विशेष – ज्योतिष शास्त्र में एक शुभ योग और एक अशुभ योग जब भी साथ साथ आते हैं तो शुभ योग की स्वीकार्यता मानी गई है )
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शुभ शिववास की तिथियां
शुक्ल पक्ष-2—–5—–6—- 9——-12—-13.
कृष्ण पक्ष-1—4—-5—-8—11—-12—-30.
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दिन नक्षत्र एवं चरणाक्षर संबंधी संपूर्ण विवरण
संदर्भ विशेष -यदि किसी बालक का जन्म गंड नक्षत्रों (रेवती, अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा और मूल) में होता है तो सविधि नक्षत्र शांति की आवश्यक मानी गयी है और करवाना चाहिये..
आज जन्मे बालकों का नक्षत्र के चरण अनुसार राशिगत् नामाक्षर..
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10.04 AM तक—-कृतिका—–3——उ
03.55 PM तक—-कृतिका—–4——ए
09.47 PM तक—-रोहिणी——1—-ओ
03.41 AM तक—-रोहिणी——2—–वा
उपरांत रात्रि तक—-रोहिणी——3—–वी
_________राशि वृषभ – पाया स्वर्ण________
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_____________आज का दिन___________
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व्रत विशेष….. श्री कृष्ण जन्माष्टमी (सर्वेषाम्)
अन्य व्रत……………………………… नहीं है
पर्व विशेष…………….. श्री कृष्ण जन्मोत्सव
समय विशेष…. पवित्र चातुर्मास विधान जारी
दिवस विशेष.. जांभोजी जयंती (विश्नोई पंथ)
दिन विशेष…… विश्व महिला समानता दिवस
पंचक………………………….. आज नहीं है
विष्टि(भद्रा)…………………………….नहीं है
खगोलीय…… मिथुने भौम. अपरा. 3.26 पर
सर्वा.सि.योग……अपरा. 3.55 से रात्रि पर्यंत अमृत सि.योग…………………………नहीं है
सिद्ध रवियोग………………………… नहीं है ___________________________________
___अगले दिन की प्रतीकात्मक जानकारी____
दिनांक……………………….27.08.2024 तिथि………. भाद्रपद कृष्णा नवमी मंगलवार
व्रत विशेष………………………. गोगा नवमी
अन्य व्रत……………………………… नहीं है
पर्व विशेष…………………….. नंद महोत्सव
समय विशेष…. पवित्र चातुर्मास विधान जारी
दिवस विशेष…………………………. नहीं है
दिन विशेष………….राष्ट्रीय रस्साकसी दिवस
पंचक…………………………… आज नहीं है
विष्टि(भद्रा)…………………………….नहीं है
खगोलीय…….बुधोदय पूर्वे. अपरा. 2.18 पर
सर्वा.सि.योग……………………………नहीं है अमृत सि.योग………………………….नहीं है
सिद्ध रवियोग…………………………..नहीं है
_____________आज विशेष ____________
Panchang Today: Aug 26, 2024
भगवान् श्री कृष्ण के 108 नाम है जिन्हें जन्माष्टमी के दिन स्मरण करने से जीवन में सौख्य प्राप्त होता है।
सौभाग्य, ऐश्वर्य, यश, कीर्ति, पराक्रम और अपार वैभव के लिए भगवान श्रीकृष्ण के नामों का जाप किया जाता है। 108 नाम यहां पाठकों के लिए प्रस्तुत हैं।
पढ़ें भगवान श्रीकृष्ण के 108 नाम और उनके अर्थ… और पाएं हर तरह की समृद्धि।
1. अचला : भगवान।
2. अच्युत : अचूक प्रभु या जिसने कभी भूल न की हो।
3. अद्भुतह : अद्भुत प्रभु।
4. आदिदेव : देवताओं के स्वामी।
5. अदित्या : देवी अदिति के पुत्र।
6. अजन्मा : जिनकी शक्ति असीम और अनंत हो।
7. अजया : जीवन और मृत्यु के विजेता।
8. अक्षरा : अविनाशी प्रभु।
9. अमृत : अमृत जैसा स्वरूप वाले।
10. अनादिह : सर्वप्रथम हैं जो।
11. आनंद सागर : कृपा करने वाले।
12. अनंता : अंतहीन देव।
13. अनंतजीत : हमेशा विजयी होने वाले।
14. अनया : जिनका कोई स्वामी न हो।
15. अनिरुद्धा : जिनका अवरोध न किया जा सके।
16. अपराजित : जिन्हें हराया न जा सके।
17. अव्युक्ता : माणभ की तरह स्पष्ट।
18. बाल गोपाल : भगवान कृष्ण का बाल रूप।
19. बलि : सर्वशक्तिमान।
20. चतुर्भुज : चार भुजाओं वाले प्रभु।
21. दानवेंद्रो : वरदान देने वाले।
22. दयालु : करुणा के भंडार।
23. दयानिधि : सब पर दया करने वाले।
24. देवाधिदेव : देवों के देव।
25. देवकीनंदन : देवकी के लाल (पुत्र)।
26. देवेश : ईश्वरों के भी ईश्वर।
27. धर्माध्यक्ष : धर्म के स्वामी।
28. द्वारकाधीश : द्वारका के अधिपति।
29. गोपाल : ग्वालों के साथ खेलने वाले।
30. गोपालप्रिया : ग्वालों के प्रिय।
31. गोविंदा : गाय, प्रकृति, भूमि को चाहने वाले।
32. ज्ञानेश्वर : ज्ञान के भगवान।
33. हरि : प्रकृति के देवता।
34. हिरण्यगर्भा : सबसे शक्तिशाली प्रजापति।
35. ऋषिकेश : सभी इन्द्रियों के दाता।
36. जगद्गुरु : ब्रह्मांड के गुरु।
37. जगदीशा : सभी के रक्षक।
38. जगन्नाथ : ब्रह्मांड के ईश्वर।
39. जनार्धना : सभी को वरदान देने वाले।
40. जयंतह : सभी दुश्मनों को पराजित करने वाले।
41. ज्योतिरादित्या : जिनमें सूर्य की चमक है।
42. कमलनाथ : देवी लक्ष्मी के प्रभु।
43. कमलनयन : जिनके कमल के समान नेत्र हैं।
44. कामसांतक : कंस का वध करने वाले।
45. कंजलोचन : जिनके कमल के समान नेत्र हैं।
46. केशव : लंबे, काले उलझा ताले जिसने।
47. कृष्ण : सांवले रंग वाले।
48. लक्ष्मीकांत : देवी लक्ष्मी के देवता।
49. लोकाध्यक्ष : तीनों लोक के स्वामी।
50. मदन : प्रेम के प्रतीक।
51. माधव : ज्ञान के भंडार।
52. मधुसूदन : मधु-दानवों का वध करने वाले।
53. महेन्द्र : इन्द्र के स्वामी।
54. मनमोहन : सबका मन मोह लेने वाले।
55. मनोहर : बहुत ही सुंदर रूप-रंग वाले प्रभु।
56. मयूर : मुकुट पर मोरपंख धारण करने वाले भगवान।
57. मोहन : सभी को आकर्षित करने वाले।
58. मुरली : बांसुरी बजाने वाले प्रभु
59. मुरलीधर : मुरली धारण करने वाले।
60. मुरली मनोहर : मुरली बजाकर मोहने वाले।
61. नंदगोपाल : नंद बाबा के पुत्र।
62. नारायन : सबको शरण में लेने वाले।
63. निरंजन : सर्वोत्तम।
64. निर्गुण : जिनमें कोई अवगुण नहीं।
65. पद्महस्ता : जिनके कमल की तरह हाथ हैं।
66. पद्मनाभ : जिनकी कमल के आकार की नाभि हो।
67. परब्रह्मन : परम सत्य।
68. परमात्मा : सभी प्राणियों के प्रभु।
69. परम पुरुष : श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाले।
70. पार्थसारथी : अर्जुन के सारथी।
71. प्रजापति : सभी प्राणियों के नाथ।
72. पुण्य : निर्मल व्यक्तित्व।
73. पुरुषोत्तम : उत्तम पुरुष।
74. रविलोचन : सूर्य जिनका नेत्र है।
75. सहस्राकाश : हजार आंख वाले प्रभु।
76. सहस्रजीत : हजारों को जीतने वाले।
77. सहस्रपात : जिनके हजारों पैर हों।
78. साक्षी : समस्त देवों के गवाह।
79. सनातन : जिनका कभी अंत न हो।
80. सर्वजन : सब कुछ जानने वाले।
81. सर्वपालक : सभी का पालन करने वाले।
82. सर्वेश्वर : समस्त देवों से ऊंचे।
83. सत्य वचन : सत्य कहने वाले।
84. सत्यव्त : श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाले देव।
85. शंतह : शांत भाव वाले।
86. श्रेष्ठ : महान।
87. श्रीकांत : अद्भुत सौंदर्य के स्वामी।
88. श्याम : जिनका रंग सांवला हो।
89. श्यामसुंदर : सांवले रंग में भी सुंदर दिखने वाले।
90. सुदर्शन : रूपवान।
91. सुमेध : सर्वज्ञानी।
92. सुरेशम : सभी जीव-जंतुओं के देव।
93. स्वर्गपति : स्वर्ग के राजा।
94. त्रिविक्रमा : तीनों लोकों के विजेता।
95. उपेन्द्र : इन्द्र के भाई।
96. वैकुंठनाथ : स्वर्ग के रहने वाले।
97. वर्धमानह : जिनका कोई आकार न हो।
98. वासुदेव : सभी जगह विद्यमान रहने वाले।
99. विष्णु : भगवान विष्णु के स्वरूप।
100. विश्वदक्शिनह : निपुण और कुशल।
101. विश्वकर्मा : ब्रह्मांड के निर्माता।
102. विश्वमूर्ति : पूरे ब्रह्मांड का रूप।
103. विश्वरूपा : ब्रह्मांड हित के लिए रूप धारण करने वाले।
104. विश्वात्मा : ब्रह्मांड की आत्मा।
105. वृषपर्व : धर्म के भगवान।
106. यदवेंद्रा : यादव वंश के मुखिया।
107. योगि : प्रमुख गुरु।
108. योगिनाम्पति : योगियों के स्वामी।
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दैनिक जीवन में पंचांग का महत्व
आधुनिक समय में भी पंचांग एक अमूल्य साधन बना हुआ है, जो लाखों लोगों को शादी, सगाई, यात्रा, व्यापारिक उद्यम और धार्मिक समारोहों जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मार्गदर्शन करता है। यह केवल एक कैलेंडर नहीं है, बल्कि यह ब्रह्मांडीय ज्ञान का भंडार है, जो विशेष ज्योतिषीय संयोजनों के दौरान की गई गतिविधियों के परिणामों को प्रभावित करने में सक्षम माना जाता है।
तिथि: चंद्र दिवस
तिथि चंद्रमा के चरण को दर्शाती है और अनुष्ठानों और समारोहों के लिए शुभ समय निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसमें 30 तिथियाँ होती हैं, जिनमें प्रत्येक तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच के विशिष्ट कोण का प्रतिनिधित्व करती है। प्रतिपदा (पहले दिन) से लेकर अमावस्या (नई चंद्र) और पूर्णिमा (पूर्ण चंद्र) तक, प्रत्येक तिथि का विशिष्ट महत्व होता है, जो मानव भावनाओं, क्रियाओं और आध्यात्मिक प्रयासों को प्रभावित करता है।
वार: सप्ताह का दिन
वार सप्ताह के दिनों को संदर्भित करता है, और प्रत्येक दिन एक देवता से जुड़ा होता है। विभिन्न सप्ताह के दिनों का विशिष्ट गतिविधियों पर प्रभाव को समझने से उत्पादकता और सफलता को अधिकतम करने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, सोमवार, जिसे चंद्रमा का दिन माना जाता है, नए कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ होता है, जबकि शनिवार, जो शनि से शासित होता है, आध्यात्मिक अभ्यास और आत्म-निरीक्षण के लिए अनुकूल होता है।
नक्षत्र: चंद्र नक्षत्र
नक्षत्र 27 चंद्र नक्षत्रों को दर्शाता है जिनसे चंद्रमा अपने मासिक चक्र के दौरान गुजरता है। प्रत्येक नक्षत्र मानव गतिविधियों पर एक विशिष्ट प्रभाव डालता है, जैसे व्यक्तित्व गुण, करियर के चुनाव, और संबंधों की गतिशीलता। अनुकूल नक्षत्रों के साथ कार्यों को संरेखित करने से व्यक्ति की समृद्धि और भलाई को बढ़ावा मिल सकता है।
योग: संयोजन
योग सूर्य और चंद्रमा की स्थितियों द्वारा बनाए गए शुभ या अशुभ संयोजनों को दर्शाता है। 27 योग होते हैं, जिनमें से प्रत्येक के अनूठे गुण और प्रभाव होते हैं। शुभ योगों की ऊर्जा का उपयोग करके व्यक्ति अपने प्रयासों में सफलता और संतुष्टि प्राप्त कर सकता है।
करण: आधा चंद्र दिवस
करण तिथि का आधा हिस्सा होता है और कार्यों की शुरुआत को प्रभावित करता है। 11 करण होते हैं जिन्हें दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है – स्थिर और चल। कार्यों की शुरुआत के लिए एक उपयुक्त करण का चयन करना अनुकूल परिणाम सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होता है।
Panchang Today: Aug 26, 2024
तिथि विश्लेषण
कृष्ण पक्ष द्वादशी: आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने और परोपकारी कार्यों में संलग्न होने के लिए आदर्श।
रोहिणी नक्षत्र: कलात्मक गतिविधियों, रचनात्मकता और संबंधों के पोषण के लिए अनुकूल।
वृद्धि योग: विकास-उन्मुख गतिविधियों और वित्तीय निवेशों के लिए उपयुक्त।
तैतिल करण: सहनशक्ति और धैर्य की आवश्यकता वाले कार्यों के लिए अनुकूल।
पंचांग की शक्ति का उपयोग
दैनिक जीवन में पंचांग के अंतर्दृष्टियों को शामिल करने से व्यक्ति को ब्रह्मांडीय लय के साथ सामंजस्य स्थापित करने में मदद मिलती है, जिससे वे ज्ञान और गरिमा के साथ चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। पंचांग द्वारा प्रदान किए गए मार्गदर्शन का उपयोग करके, व्यक्ति सभी प्रयासों में सफलता और संतुष्टि के अवसरों को अधिकतम कर सकता है।
निष्कर्ष
पंचांग अपने जटिल ज्ञान और ब्रह्मांडीय अंतर्दृष्टियों के साथ जीवन की यात्रा में मार्गदर्शन का दीपस्तंभ है। इसके शिक्षाओं को अपनाने से व्यक्ति समृद्धि के मार्ग पर आगे बढ़ता है, अपने कार्यों को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संरेखित कर संपूर्ण कल्याण प्राप्त करता है।