आज पंचांग 25 अगस्त, 2024
Panchang, जो एक प्राचीन हिंदू कैलेंडर है, हिंदू संस्कृति में अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। संस्कृत के शब्द “पंच” जिसका अर्थ है “पाँच” और “अंग” जिसका अर्थ है “भाग,” से उत्पन्न, पंचांग एक पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के पाँच घटकों का उल्लेख करता है: तिथि (चंद्र दिवस), वार (सप्ताह का दिन), नक्षत्र (तारा), योग और करण। यह एक व्यापक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है, जो विभिन्न गतिविधियों के लिए शुभ और अशुभ समय के बारे में जानकारी प्रदान करता है, और जीवन को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संरेखित करने में सहायता करता है।
आज का हिंदू पंचांग
आज पंचांग 25 अगस्त, 2024
शुभ रविवार – – शुभ प्रभात्
74-30 मध्यमान 75-30
दैनिक पंचांग विवरण
आज दिनांक………………… 25.08.2024
कलियुग संवत्…………………………5126
विक्रम संवत्………………………….. 2081
शक संवत्……………………………..1946
संवत्सर………………………….श्री कालयुक्त
अयन………………………………दक्षिणायन
गोल…………………………………….. उत्तर
ऋतु……………………………………… वर्षा
मास………………………………….. भाद्रपद
पक्ष………………………………………कृष्ण
तिथि……सप्तमी. रात्रि. 3.39* तक / अष्टमी
वार…………………………………….रविवार
नक्षत्र…..भरणी. अपरा. 4.45 तक / कृतिका
चंद्रराशि…… .मेष. रात्रि. 10.30 तक / वृषभ
योग…….. ध्रुव. रात्रि. 12.28* तक / व्याघात्
करण…. ……. विष्टि(भद्रा)-अपरा. 4.32 तक
करण………. बव. रात्रि. 3.39* तक / बालव
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नोट-जिस रात्रि समय के ऊपर(*) लगा हुआ हो
वह समय अर्द्ध रात्रि के बाद सूर्योदय तक का है
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*विभिन्न नगरों के सूर्योदय में समयांतर मिनट*
श्री सनातन हिंदू पंचांग के अनुसार
दिल्ली -10 मिनट———जोधपुर +6 मिनट
जयपुर -5 मिनट——अहमदाबाद +8 मिनट
कोटा – 5 मिनट————-मुंबई +7 मिनट
लखनऊ – 25 मिनट——बीकानेर +5 मिनट
कोलकाता -54 मिनट–जैसलमेर +15 मिनट
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-सूर्योंदयास्त दिनमानादि-अन्य आवश्यक सूची-
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सूर्योदय…………………. .प्रातः 6.10.30 पर
सूर्यास्त…………………. .सायं. 6.55.59 पर
दिनमान-घं.मि.सै………………… 12.45.29
रात्रिमान-घं.मि.सै………………… 11.14.54
चंद्रास्त………………….. 11.54.29 AM पर
चंद्रोदय………………….. 10.52.20 PM पर
राहुकाल…. सायं. 5.20 से 6.56 तक(अशुभ)
यमघंट.. अपरा. 12.33 से 2.09 तक(अशुभ)
गुलिक…………… अपरा. 3.45 से 5.20 तक
अभिजित…….. मध्या.12.08 से 12.59 तक
पंचक………………………………….. नहीं है
हवन मुहूर्त(अग्निवास)…………….. … आज है
दिशाशूल………………………… पश्चिम दिशा
दोष परिहार……… घी का सेवन कर यात्रा करें
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विशिष्ट काल-मुहूर्त-वेला परिचय
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अभिजित् मुहुर्त – दिनार्द्ध से एक घटी पहले और एक घटी बाद का समय अभिजित मुहूर्त कहलाता है,पर बुधवार को यह शुभ नहीं होता.
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ब्रह्म मुहूर्त – सूर्योदय से पहले का 1.30 घंटे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है..
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प्रदोष काल – सूर्यास्त के पहले 45 मिनट और
बाद का 45 मिनट प्रदोष माना जाता है…
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गौधूलिक काल सूर्यास्त से 12 मिनट पहले एवं
12 मिनट बाद का समय कहलाता है
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भद्रा वास शुभाशुभ विचार
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भद्रा मेष, वृष, मिथुन, वृश्चिक के चंद्रमा में स्वर्ग में व कन्या, तुला, धनु, मकर के चंद्रमा में पाताल लोक में और कुंभ, मीन, कर्क, सिंह के चंद्रमा में मृत्युलोक में मानी जाती है यहां स्वर्ग और पाताल लोक की भद्रा शुभ मानी जाती हैं और मृत्युलोक की भद्रा काल में शुभ कार्य वर्जित होते हैं इसी तरह भद्रा फल विचार करें..
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* दैनिक सूर्योदय कालीन लग्न एवं ग्रह स्पष्ट *
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लग्न ………………….. सिंह 7°50′ मघा 3 मू
सूर्य ……………………. सिंह 8°7′ मघा 3 मू
चन्द्र ……………… मेष 20°30′ भरणी 3 ले
बुध *^ ………. कर्क 28°10′ आश्लेषा 4 डो
शुक्र …… .कन्या 0°16′ उत्तर फाल्गुनी 2 टो
मंगल …………. वृषभ 29°9′ मृगशीर्षा 2 वो
बृहस्पति …….. वृषभ 23°56′ मृगशीर्षा 1 वे
शनि * ……. . कुम्भ 22°59′ पूर्वभाद्रपद 1 से
राहू * ….. मीन 14°12′ उत्तरभाद्रपद 3 4 ञ
केतु * …………….ह कन्या 14°12′ हस्त 2 ष
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दिन का चौघड़िया
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चंचल……………..प्रातः 7.46 से 9.22 तक
लाभ…………….प्रातः 9.22 से 10.58 तक
अमृत………….पूर्वा. 10.58 से 12.33 तक
शुभ……………..अपरा. 2.09 से 3.45 तक
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रात्रि का चौघड़िया
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शुभ……….. सायं-रात्रि. 6.56 से 8.20 तक
अमृत……………. रात्रि. 8.20 से 9.45 तक
चंचल………….. रात्रि. 9.45 से 11.09 तक
लाभ…..रात्रि. 1.58 AM से 3.22 AM तक
शुभ……रात्रि. 4.47 AM से 6.11 AM तक
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(विशेष – ज्योतिष शास्त्र में एक शुभ योग और एक अशुभ योग जब भी साथ साथ आते हैं तो शुभ योग की स्वीकार्यता मानी गई है )
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शुभ शिववास की तिथियां
शुक्ल पक्ष-2—–5—–6—- 9——-12—-13.
कृष्ण पक्ष-1—4—-5—-8—11—-12—-30.
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दिन नक्षत्र एवं चरणाक्षर संबंधी संपूर्ण विवरण
संदर्भ विशेष -यदि किसी बालक का जन्म गंड नक्षत्रों (रेवती, अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा और मूल) में होता है तो सविधि नक्षत्र शांति की आवश्यक मानी गयी है और करवाना चाहिये..
आज जन्मे बालकों का नक्षत्र के चरण अनुसार राशिगत् नामाक्षर..
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11.01 AM तक—-भरणी—–3——-ले
04.45 PM तक—-भरणी—–4——लो
10.30 PM तक—कृतिका—–1——अ
__________राशि मेष – पाया स्वर्ण________
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04.15 AM तक—कृतिका—–2——-इ
उपरांत रात्रि तक—-कृतिका—–3——-उ
_________राशि वृषभ – पाया स्वर्ण________
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_____________आज का दिन___________
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व्रत विशेष……………………………. नहीं है
अन्य व्रत……………………………… नहीं है
पर्व विशेष…………………………… नहीं है
समय विशेष…. पवित्र चातुर्मास विधान जारी
दिवस विशेष………….. .राष्ट्रीय श्रृंगार दिवस
दिन विशेष…………………………… नहीं है
पंचक………………………….. आज नहीं है
विष्टि(भद्रा)………………. अपरा. 4.32 तक
खगोलीय……………………………….नहीं है
सर्वा.सि.योग………………………… नहीं है अमृत सि.योग………………………. .नहीं है
सिद्ध रवियोग………………अपरा.4.45 तक
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___अगले दिन की प्रतीकात्मक जानकारी____
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दिनांक……………………….26.08.2024 तिथि………..भाद्रपद कृष्णा अष्टमी सोमवार
व्रत विशेष….. श्री कृष्ण जन्माष्टमी (सर्वेषाम्)
अन्य व्रत………………………………नहीं है
पर्व विशेष…………….. श्री कृष्ण जन्मोत्सव
समय विशेष…. पवित्र चातुर्मास विधान जारी
दिवस विशेष.. जांभोजी जयंती (विश्नोई पंथ)
दिन विशेष…… विश्व महिला समानता दिवस
पंचक………………………….. आज नहीं है
विष्टि(भद्रा)…………………………….नहीं है
खगोलीय…… मिथुने भौम. अपरा. 3.26 पर
सर्वा.सि.योग….. अपरा. 3.55 से रात्रि पर्यंत अमृत सि.योग………………………. .नहीं है
सिद्ध रवियोग………………………… नहीं है
_____________आज विशेष ____________
Panchang Today: Aug 25, 2024
वर हो या कन्या – शीघ्र विवाह के सरल उपाय
ज्योतिष शास्त्र में मनुष्य की हर एक समस्या का समाधान निहित है। जातकों के शीघ्र शादी-विवाह के लिए भी इसमें उपाय दिए गए हैं जो इस प्रकार हैं..
शीघ्र विवाह के उपाय के तौर पर जातकों को शरीर पर पीले वस्त्र धारण करना चाहिए।
प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती से अर्गलास्तोत्रम् का पाठ करने से अविवाहित जातकों का शीघ्र विवाह होता है।
वास्तु यंत्र की पूजा करें।
यदि कोई वर किसी कन्या को शादी के लिए देखने जा रहा है तो उनको गुड़ खाकर जाना चाहिए। इससे शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।
जल्दी शादी के उपाय के तौर पर गणेश जी की आराधना करनी चाहिए और उन्हें लड्डुओं का भोग लगाएँ। ऐसा करने से अविवाहित पुरुषों की शादी में आ रही बाधाएँ दूर होती हैं जबकि कन्याओं को गणपति महाराज को मालपुए का भोग लगाना चाहिए।
शीघ्र विवाह के लिए पूजा स्थल पर नवग्रह यंत्र स्थापित कर पूजा करें..
प्रत्येक गुरुवार को पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करें। इससे विवाह के शीघ्र होने के योग बनते हैं..
भोजन में केसर का सेवन करना चाहिए ऐसा करने से जल्दी विवाह होने की संभावनाएँ होती हैं।
अपने से बड़े लोगों का हमेशां सम्मान करें। ऐसा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
लड़के ओपल(शुक्र रत्न) धारण करें..
गुरुवार को केले के वृ्क्ष के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएँ और गुरु (बृहस्पति) के 108 नामों का उच्चारण करें और ऐसा करने से जातकों का विवाह शीघ्र होता है।
जल में बड़ी इलायची डालकर उसे उबालें। फिर इस जल को स्नान के पानी में मिलाएँ। इसके बाद इस पानी से स्नान करें। इस उपाय से शुक्र के दोषों का निवारण होता है।
गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करें..
गुरुवार के दिन आटे के दो पेड़ों पर थोडी-सी हल्दी लगाकर, थोड़ा गुड़ और चने की दाल गाय को खिलाएं। इससे विवाह का योग शीघ्र बनता है।
विवाह योग्य कन्या गुरुवार के दिन तकिए के नीचे हल्दी की गांठ को पीले वस्त्र में लपेट कर रखें। ऐसा करने से शीघ्र हाथ पीले होने के शुभ योग बनते हैं।
विवाह योग्य लड़कों को विभिन्न रंगों से स्त्रियों का चित्र एवं कन्याओं को लाल रंग से पुरुषों की तस्वीर सफ़ेद कागज़ पर रोज़ाना तीन महीने तक बनानी चाहिए।
यदि लड़के के विवाह में देरी हो रही हो तो मिट्टी के कुल्हड़ में मशरूम भर कर किसी भी मंदिर में दान करें। इससे लड़के का विवाह शीघ्र होगा।
शुक्रवार के दिन सूर्यास्त से पूर्व विवाह शीघ्र होने की ईश्वर से प्रार्थना करें और फिर रसोई घर में बैठकर भोजन ग्रहण करें।
विवाह के योग्य जातक अपने पलंग (बेड) के नीचे लोहे की वस्तुएँ एवं कबाड़ आदि न रखें।
पूर्णिमा के दिन वट वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करने से अविवाहित जातकों की विवाह की इच्छा पूरी होती है। यह शीघ्र विवाह का अच्छा उपाय माना जाता है।
यदि अविवाहित कन्या किसी अन्य कन्या की शादी में जाए और वहाँ दुल्हन के हाथों से मेहंदी लगवा ले तो इससे उसकी शीघ्र शादी की संभावनाएँ बनती है।
कहते हैं कि शिव-पार्वती जी का पूजन करने से विवाह की मनोकामना पूरी हो जाती है इसलिए अविवाहित जातकों को शिवलिंग का कच्चे दूध से अभिषेक करना चाहिए एवं बेल पत्र, अक्षत, कुमकुम आदि से विधिवत पूजा करनी चाहिए।
सोमवार के दिन चने की दाल एवं कच्चे दूध का दान करें और यह प्रयोग तब तक करते रहना चाहिए जब तक कि जातक का विवाह न हो जाए।
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दैनिक जीवन में पंचांग का महत्व
आधुनिक समय में भी पंचांग एक अमूल्य साधन बना हुआ है, जो लाखों लोगों को शादी, सगाई, यात्रा, व्यापारिक उद्यम और धार्मिक समारोहों जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मार्गदर्शन करता है। यह केवल एक कैलेंडर नहीं है, बल्कि यह ब्रह्मांडीय ज्ञान का भंडार है, जो विशेष ज्योतिषीय संयोजनों के दौरान की गई गतिविधियों के परिणामों को प्रभावित करने में सक्षम माना जाता है।
तिथि: चंद्र दिवस
तिथि चंद्रमा के चरण को दर्शाती है और अनुष्ठानों और समारोहों के लिए शुभ समय निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसमें 30 तिथियाँ होती हैं, जिनमें प्रत्येक तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच के विशिष्ट कोण का प्रतिनिधित्व करती है। प्रतिपदा (पहले दिन) से लेकर अमावस्या (नई चंद्र) और पूर्णिमा (पूर्ण चंद्र) तक, प्रत्येक तिथि का विशिष्ट महत्व होता है, जो मानव भावनाओं, क्रियाओं और आध्यात्मिक प्रयासों को प्रभावित करता है।
वार: सप्ताह का दिन
वार सप्ताह के दिनों को संदर्भित करता है, और प्रत्येक दिन एक देवता से जुड़ा होता है। विभिन्न सप्ताह के दिनों का विशिष्ट गतिविधियों पर प्रभाव को समझने से उत्पादकता और सफलता को अधिकतम करने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, सोमवार, जिसे चंद्रमा का दिन माना जाता है, नए कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ होता है, जबकि शनिवार, जो शनि से शासित होता है, आध्यात्मिक अभ्यास और आत्म-निरीक्षण के लिए अनुकूल होता है।
नक्षत्र: चंद्र नक्षत्र
नक्षत्र 27 चंद्र नक्षत्रों को दर्शाता है जिनसे चंद्रमा अपने मासिक चक्र के दौरान गुजरता है। प्रत्येक नक्षत्र मानव गतिविधियों पर एक विशिष्ट प्रभाव डालता है, जैसे व्यक्तित्व गुण, करियर के चुनाव, और संबंधों की गतिशीलता। अनुकूल नक्षत्रों के साथ कार्यों को संरेखित करने से व्यक्ति की समृद्धि और भलाई को बढ़ावा मिल सकता है।
योग: संयोजन
योग सूर्य और चंद्रमा की स्थितियों द्वारा बनाए गए शुभ या अशुभ संयोजनों को दर्शाता है। 27 योग होते हैं, जिनमें से प्रत्येक के अनूठे गुण और प्रभाव होते हैं। शुभ योगों की ऊर्जा का उपयोग करके व्यक्ति अपने प्रयासों में सफलता और संतुष्टि प्राप्त कर सकता है।
करण: आधा चंद्र दिवस
करण तिथि का आधा हिस्सा होता है और कार्यों की शुरुआत को प्रभावित करता है। 11 करण होते हैं जिन्हें दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है – स्थिर और चल। कार्यों की शुरुआत के लिए एक उपयुक्त करण का चयन करना अनुकूल परिणाम सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होता है।
Panchang Today: Aug 25, 2024
तिथि विश्लेषण
कृष्ण पक्ष द्वादशी: आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने और परोपकारी कार्यों में संलग्न होने के लिए आदर्श।
रोहिणी नक्षत्र: कलात्मक गतिविधियों, रचनात्मकता और संबंधों के पोषण के लिए अनुकूल।
वृद्धि योग: विकास-उन्मुख गतिविधियों और वित्तीय निवेशों के लिए उपयुक्त।
तैतिल करण: सहनशक्ति और धैर्य की आवश्यकता वाले कार्यों के लिए अनुकूल।
पंचांग की शक्ति का उपयोग
दैनिक जीवन में पंचांग के अंतर्दृष्टियों को शामिल करने से व्यक्ति को ब्रह्मांडीय लय के साथ सामंजस्य स्थापित करने में मदद मिलती है, जिससे वे ज्ञान और गरिमा के साथ चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। पंचांग द्वारा प्रदान किए गए मार्गदर्शन का उपयोग करके, व्यक्ति सभी प्रयासों में सफलता और संतुष्टि के अवसरों को अधिकतम कर सकता है।
निष्कर्ष
पंचांग अपने जटिल ज्ञान और ब्रह्मांडीय अंतर्दृष्टियों के साथ जीवन की यात्रा में मार्गदर्शन का दीपस्तंभ है। इसके शिक्षाओं को अपनाने से व्यक्ति समृद्धि के मार्ग पर आगे बढ़ता है, अपने कार्यों को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संरेखित कर संपूर्ण कल्याण प्राप्त करता है।