आज पंचांग 15 अक्टूबर, 2024
Panchang, जो एक प्राचीन हिंदू कैलेंडर है, हिंदू संस्कृति में अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। संस्कृत के शब्द “पंच” जिसका अर्थ है “पाँच” और “अंग” जिसका अर्थ है “भाग,” से उत्पन्न, पंचांग एक पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के पाँच घटकों का उल्लेख करता है: तिथि (चंद्र दिवस), वार (सप्ताह का दिन), नक्षत्र (तारा), योग और करण। यह एक व्यापक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है, जो विभिन्न गतिविधियों के लिए शुभ और अशुभ समय के बारे में जानकारी प्रदान करता है, और जीवन को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संरेखित करने में सहायता करता है।
आज का हिंदू पंचांग
आज पंचांग 15 अक्टूबर, 2024
शुभ मंगलवार
74-30 मध्यमान 75-30
दैनिक पंचांग विवरण
आज दिनांक……………….. .15.10.2024
कलियुग संवत्…………………………5126
विक्रम संवत्………………………….. 2081
शक संवत्……………………………..1946
संवत्सर………………………….श्री कालयुक्त
अयन…………………………….. दक्षिणायन
गोल…………………………………… दक्षिण
ऋतु………………………………………शरद्
मास………………………………….. आश्विन
पक्ष…………………………………….. शुक्ल
तिथि..त्रयोदशी. रात्रि.12.19* तक / चतुर्दशी
वार…………………………………. मंगलवार
नक्षत्र.. पू.भाद्र. रात्रि.10.09 तक / उ.भाद्रपद
चंद्रराशि…….. कुंभ. अपरा. 4.49 तक / मीन
योग…………..वृद्धि. अपरा. 2.13 तक / ध्रुव
करण………………कौलव. अपरा. 2.03 तक
करण………तैत्तिल. रात्रि. 12.19* तक / गर
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नोट-जिस रात्रि समय के ऊपर(*) लगा हुआ हो
वह समय अर्द्ध रात्रि के बाद सूर्योदय तक का है
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विभिन्न नगरों के सूर्योदय में समयांतर मिनट
दिल्ली -10 मिनट———जोधपुर +6 मिनट
जयपुर -5 मिनट——अहमदाबाद +8 मिनट
कोटा – 5 मिनट————-मुंबई +7 मिनट
लखनऊ – 25 मिनट——बीकानेर +5 मिनट
कोलकाता -54 मिनट–जैसलमेर +15 मिनट
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-सूर्योंदयास्त दिनमानादि-अन्य आवश्यक सूची-
सूर्योदय…………………. प्रातः 6.31.07 पर
सूर्यास्त…………………. सायं. 6.02.45 पर
दिनमान-घं.मि.सै…………………11.31.38
रात्रिमान-घं.मि.सै……………….. 12.28.51
चंद्रोदय………………….. 4.40.12 PM पर
चंद्रास्त…………………… 4.59.38 AM पर
राहुकाल..अपरा. 3.10 से 4.36 तक(अशुभ)
यमघंट….प्रातः 9.24 से 10.50 तक (अशुभ)
गुलिक…………अपरा. 12.17 से 1.43 तक
अभिजित…….. मध्या.11.54 से 12.40 तक
पंचक…………………………………. जारी है
दिशाशूल……………………………उत्तर दिशा
दोष परिहार…….. गुड़ का सेवन कर यात्रा करें
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विशिष्ट काल-मुहूर्त-वेला परिचय
अभिजित् मुहुर्त – दिनार्द्ध से एक घटी पहले और एक घटी बाद का समय अभिजित मुहूर्त कहलाता है,पर बुधवार को यह शुभ नहीं होता.
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ब्रह्म मुहूर्त – सूर्योदय से पहले का 1.30 घंटे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है..
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प्रदोष काल – सूर्यास्त के पहले 45 मिनट और बाद का 45 मिनट प्रदोष माना जाता है…
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गौधूलिक काल सूर्यास्त से 12 मिनट पहले एवं 12 मिनट बाद का समय कहलाता है
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भद्रा वास शुभाशुभ विचार
भद्रा मेष, वृष, मिथुन, वृश्चिक के चंद्रमा में स्वर्ग में व कन्या, तुला, धनु, मकर के चंद्रमा में पाताल लोक में और कुंभ, मीन, कर्क, सिंह के चंद्रमा में मृत्युलोक में मानी जाती है यहां स्वर्ग और पाताल लोक की भद्रा शुभ मानी जाती हैं और मृत्युलोक की भद्रा काल में शुभ कार्य वर्जित होते हैं इसी तरह भद्रा फल विचार करें..
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* दैनिक सूर्योदय कालीन लग्न एवं ग्रह स्पष्ट *
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ग्रह राशि अंश कला नक्षत्र चरण चरणाक्षर
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लग्न …………….. कन्या 27°33′ चित्रा 2 पो
सूर्य ……………… कन्या 27°58′ चित्रा 2 पो
चन्द्र ……… कुम्भ 23°36′ पूर्वभाद्रपद 2 सो
बुध ^ ……………….तुला 7°47′ स्वाति 1 रू
शुक्र …………. वृश्चिक 2°28′ विशाखा 4 तो
मंगल ………….मिथुन 27°37′ पुनर्वसु 3 हा
बृहस्पति ……… वृषभ 27°3′ मृगशीर्षा 2 वो
शनि * ……… .कुम्भ 19°25′ शतभिषा 4 सू
राहू * …….. मीन 11°30′ उत्तरभाद्रपद 3 झ
केतु * ………………कन्या 11°30′ हस्त 1 पू
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दिन का चौघड़िया
चंचल……………प्रातः 9.24 से 10.50 तक
लाभ…………..पूर्वा. 10.50 से 12.17 तक
अमृत………….अपरा. 12.17 से 1.43 तक
शुभ……………..अपरा. 3.10 से 4.36 तक
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रात्रि का चौघड़िया
लाभ………………रात्रि. 7.36 से 9.10 तक
शुभ…….रात्रि. 10.44 से 12.17 AM तक
अमृत..रात्रि. 12.17 AM से 1.51 AM तक
चंचल….रात्रि. 1.51 AM से 3.24 AM तक
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(विशेष – ज्योतिष शास्त्र में एक शुभ योग और एक अशुभ योग जब भी साथ साथ आते हैं तो शुभ योग की स्वीकार्यता मानी गई है )
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शुभ शिववास की तिथियां
शुक्ल पक्ष-2—–5—–6—- 9——-12—-13.
कृष्ण पक्ष-1—4—-5—-8—11—-12—-30.
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दिन नक्षत्र एवं चरणाक्षर संबंधी संपूर्ण विवरण
संदर्भ विशेष -यदि किसी बालक का जन्म गंड नक्षत्रों (रेवती, अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा और मूल) में होता है तो सविधि नक्षत्र शांति की आवश्यक मानी गयी है और करवाना चाहिये..
आज जन्मे बालकों का नक्षत्र के चरण अनुसार राशिगत् नामाक्षर..
11.27 AM तक—पूर्वाभाद्र—-2——सो
04.19 PM तक—पूर्वाभाद्र—-3——-द
राशि कुंभ – पाया लौह
10.09 PM तक—पूर्वाभाद्र—-4——-दी
03.26 AM तक—–उ.भाद्र—-1——-दू
उपरांत रात्रि तक—–उ.भाद्र—-2——-थ
राशि मीन – पाया लौह
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आज का दिन 15/10/2024
व्रत विशेष………………………… भौम प्रदोष
अन्य व्रत……………………………….. नहीं है
दिन विशेष……………………………. नहीं है
पर्व विशेष…………………………….. .नहीं है
समय विशेष….. पवित्र चातुर्मास विधान जारी
दिवस विशेष…… .विश्व ग्रामीण महिला दिवस
दिवस विशेष……………….. विश्व छात्र दिवस
पंचक…………………………………. जारी है
विष्टि(भद्रा)……………………… आज नहीं है
हवन मुहूर्त(अग्निवास)………… .आज नहीं है
खगोलीय……. स्वात्यां बुध. अपरा. 1.56 पर
सर्वा.सि.योग………………………….. नहीं है
अमृत सि.योग…………………………. नहीं है
सिद्ध रवियोग………रात्रि. 10.9 से रात्रि पर्यंत
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अगले दिन की प्रतीकात्मक जानकारी
दिनांक……………………….. 16.10.2024
तिथि………..आश्विन शुक्ला चतुर्दशी बुधवार
व्रत विशेष……………………………..पूर्णिमा
अन्य व्रत………………………..कोजागरी व्रत
दिन विशेष……………….श्री लक्ष्मी चंद्र पूजन
पर्व विशेष……. शरद् पूर्णिमा (क्षीरपानोत्सव)
समय विशेष….. पवित्र चातुर्मास विधान जारी
दिवस विशेष……………… विश्व खाद्य दिवस
दिवस विशेष.. राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड स्थाप.दिवस
पंचक…………………………………. जारी है
विष्टि(भद्रा)………..रात्रि. 8.41 से रात्रि पर्यंत
हवन मुहूर्त(अग्निवास)……………… आज है
खगोलीय……………………….. आज नहीं है
सर्वा.सि.योग…………………………….नहीं है
अमृत सि.योग…………………………..नहीं है
सिद्ध रवियोग……………….. रात्रि. 7.18 तक
आज विशेष
Panchang Today: October 15, 2024
स्वप्न में माता रानी के विविध रूप दर्शन के फल
सपने हर तरह के होते हैं। अक्सर सपने में हमें लोग दिखाई पड़ते हैं कभी वो अपने पूर्वज हों या कभी कोई जानवर, कोई जीवित इंसान हो या भगवान। स्वप्नशास्त्र कहता है कि सपने भविष्य का संकेत देते हैं। अगर आपके जीवन में कुछ अशुभ हो रहा है या कुछ अशुभ होने वाला है तो सपने उसका संकेत देते हैं आपको उन्हें सही तरह से समझना चाहिए। यदि आप आस्तिक हैं और आपको सपने में भगवान के दर्शन हो रहे हैं तो ये स्वाभाविक है क्योंकि आपके ख्याल में दिनरात प्रभु का गुणगान है। यदि आप नास्तिक हैं फिर भी भगवान के दर्शन हो रहे हैं तो ये अच्छे संकेत हैं। यह संकेत देता है कि आपका जीवन सही दिशा में चल रहा है, सत्य एवं अच्छाई के मार्ग पर आप आगे बढ़ रहे हैं। ऐसा भी हो सकता है कि प्रभु के आशीर्वाद से आपके लंबे समय से अटके काम पूरे होने वाले हों। यह संकेत इस बात का भी है कि अच्छा समय आने वाला है। कभी कभी ऐसा होता है जब हम सपना देखते हैं तो भूल जाते हैं कभी कभी हमे सपना याद रह जाता है, कभी कभी हम उनको देखते हैं जिन्हें हम शायद जानते भी नही हैं पर हम उसका सही संकेत समझने में सक्षम नही होते हैं। यदि भगवान सपने में क्रोधित रूप में हो तो इसे शुभ नही माना जाता है, जरूर आपको कोई सीख देने आए होते हैं। आइये जानते हैं सपने में कौन से भगवान के दिखने से प्राप्त होते हैं कौन से आशीर्वाद-
माता लक्ष्मी के हो दर्शन
यदि इस रूप में माता के दर्शन हो तो जीवन आर्थिक दुखों से मुक्त होने वाला है। माता लक्ष्मी धन का प्रतीक हैं। उनके आशीर्वाद से घर धन धान्य से परिपूर्ण हो जाता है। यदि ऐसे दर्शन हो तो ये समझना चाहिए कि व्यापार में तगड़ा मुनाफा हांथ आने वाला है। यदि लंबे समय से कोई आर्थिक विवाद है तो वो सुलझ जाएगा। माता का आशीर्वाद आप पर बना रहेगा। इस प्रकार से लक्ष्मी मां के दर्शन बहुत शुभ संकेत माने जाते हैं।
लाल वस्त्र धारण किये हो माता दुर्गा
यदि इस रूप में माता के दर्शन हो और उनके चेहरे पर मुस्कुराहट हो तो समझ लीजिए कि माता की कृपा आप पर बरसने वाली है। जीवन में आपके द्वारा किये गए प्रयास सफल होने वाले हैं। बिगड़ते काम बनने वाले हैं। यदि विवाह समस्या है तो दूर हो जाएगी, सन्तान समस्या है तो दूर हो जाएगी, करियर से जुड़ी समस्या है तो दूर हो जाएगी। माता की मुस्कुराहट अनमोल है, आपके जीवन में खुशियों का भंडार आने वाला है। उनकी एक मुस्कुराहट आपके लिए खुशियों का खजाना है। इस प्रकार से दर्शन काफी शुभ संकेत हैं।
सपने में शेर पर सवार हो मां भगवती
स्वप्नशास्त्र कहता है यदि आपको सपने में शेर पर सवार मां भगवती दिखाई दें तो यह संकेत है कि जीवन के कष्ट माता ने हर लिए हैं। माता का आशीर्वाद आपके साथ है, जिससे आपका अच्छा समय आने वाला है। आपकी लंबे समय से अटकी समस्याओं का हल होने वाला है। ऐसा दिखना बेहद शुभ संकेत माने गए हैं।
काले वस्त्रों में क्रोधित हो माता दुर्गा
यदि माता के दर्शन काले या सफेद कपड़ो में हो या क्रोधित या उदास रूप में हो तो ये कुछ अशुभ संकेत है इससे ये संकेत मिलता है कि बुरा समय आपके निकट है। माता का स्मरण करें, नित्य आराधना करें, एवं गरीबों को दान अवश्य करें। इससे माता प्रसन्न होती हैं और जल्द ही आशीर्वाद देती हैं।
माता पार्वती के हो दर्शन
यदि माता पार्वती के दर्शन हो तो इसका अर्थ है कि आपको नौकरी में तरक्की या व्यापार में तरक्की मिलने वाली है। माता पार्वती के आशीर्वाद उन्नति के द्वार खोलता है जिससे आप जहां प्रयास करें वहां आपको सफलता मिले।
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दैनिक जीवन में पंचांग का महत्व
आधुनिक समय में भी पंचांग एक अमूल्य साधन बना हुआ है, जो लाखों लोगों को शादी, सगाई, यात्रा, व्यापारिक उद्यम और धार्मिक समारोहों जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मार्गदर्शन करता है। यह केवल एक कैलेंडर नहीं है, बल्कि यह ब्रह्मांडीय ज्ञान का भंडार है, जो विशेष ज्योतिषीय संयोजनों के दौरान की गई गतिविधियों के परिणामों को प्रभावित करने में सक्षम माना जाता है।
तिथि: चंद्र दिवस
तिथि चंद्रमा के चरण को दर्शाती है और अनुष्ठानों और समारोहों के लिए शुभ समय निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसमें 30 तिथियाँ होती हैं, जिनमें प्रत्येक तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच के विशिष्ट कोण का प्रतिनिधित्व करती है। प्रतिपदा (पहले दिन) से लेकर अमावस्या (नई चंद्र) और पूर्णिमा (पूर्ण चंद्र) तक, प्रत्येक तिथि का विशिष्ट महत्व होता है, जो मानव भावनाओं, क्रियाओं और आध्यात्मिक प्रयासों को प्रभावित करता है।
वार: सप्ताह का दिन
वार सप्ताह के दिनों को संदर्भित करता है, और प्रत्येक दिन एक देवता से जुड़ा होता है। विभिन्न सप्ताह के दिनों का विशिष्ट गतिविधियों पर प्रभाव को समझने से उत्पादकता और सफलता को अधिकतम करने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, सोमवार, जिसे चंद्रमा का दिन माना जाता है, नए कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ होता है, जबकि शनिवार, जो शनि से शासित होता है, आध्यात्मिक अभ्यास और आत्म-निरीक्षण के लिए अनुकूल होता है।
नक्षत्र: चंद्र नक्षत्र
नक्षत्र 27 चंद्र नक्षत्रों को दर्शाता है जिनसे चंद्रमा अपने मासिक चक्र के दौरान गुजरता है। प्रत्येक नक्षत्र मानव गतिविधियों पर एक विशिष्ट प्रभाव डालता है, जैसे व्यक्तित्व गुण, करियर के चुनाव, और संबंधों की गतिशीलता। अनुकूल नक्षत्रों के साथ कार्यों को संरेखित करने से व्यक्ति की समृद्धि और भलाई को बढ़ावा मिल सकता है।
योग: संयोजन
योग सूर्य और चंद्रमा की स्थितियों द्वारा बनाए गए शुभ या अशुभ संयोजनों को दर्शाता है। 27 योग होते हैं, जिनमें से प्रत्येक के अनूठे गुण और प्रभाव होते हैं। शुभ योगों की ऊर्जा का उपयोग करके व्यक्ति अपने प्रयासों में सफलता और संतुष्टि प्राप्त कर सकता है।
करण: आधा चंद्र दिवस
करण तिथि का आधा हिस्सा होता है और कार्यों की शुरुआत को प्रभावित करता है। 11 करण होते हैं जिन्हें दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है – स्थिर और चल। कार्यों की शुरुआत के लिए एक उपयुक्त करण का चयन करना अनुकूल परिणाम सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होता है।
Panchang Today: October 15, 2024
तिथि विश्लेषण
कृष्ण पक्ष द्वादशी: आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने और परोपकारी कार्यों में संलग्न होने के लिए आदर्श।
रोहिणी नक्षत्र: कलात्मक गतिविधियों, रचनात्मकता और संबंधों के पोषण के लिए अनुकूल।
वृद्धि योग: विकास-उन्मुख गतिविधियों और वित्तीय निवेशों के लिए उपयुक्त।
तैतिल करण: सहनशक्ति और धैर्य की आवश्यकता वाले कार्यों के लिए अनुकूल।
पंचांग की शक्ति का उपयोग
दैनिक जीवन में पंचांग के अंतर्दृष्टियों को शामिल करने से व्यक्ति को ब्रह्मांडीय लय के साथ सामंजस्य स्थापित करने में मदद मिलती है, जिससे वे ज्ञान और गरिमा के साथ चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। पंचांग द्वारा प्रदान किए गए मार्गदर्शन का उपयोग करके, व्यक्ति सभी प्रयासों में सफलता और संतुष्टि के अवसरों को अधिकतम कर सकता है।
निष्कर्ष
पंचांग अपने जटिल ज्ञान और ब्रह्मांडीय अंतर्दृष्टियों के साथ जीवन की यात्रा में मार्गदर्शन का दीपस्तंभ है। इसके शिक्षाओं को अपनाने से व्यक्ति समृद्धि के मार्ग पर आगे बढ़ता है, अपने कार्यों को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संरेखित कर संपूर्ण कल्याण प्राप्त करता है।