Hartalika Teej (Gauri Tritiya)

Hartalika Teej (Gauri Tritiya) Vrat: Tithi, Mahatv, Vidhi Aur Katha

हरतालिका तीज (गौरी तृतीया) व्रत: तिथि, महत्व, विधि और कथा

तीन प्रमुख तीज व्रत

साल में तीन प्रमुख तीज आती हैं: हरियाली तीज, कजरी तीज, और हरतालिका तीज। इनमें हरतालिका तीज को सबसे बड़ा और कठिन व्रत माना जाता है। यह त्यौहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो अगस्त या सितंबर महीने में आता है। इसे गौरी तृतीया व्रत भी कहते हैं। इस पर्व को विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित किया जाता है, और महिलाओं द्वारा उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।


हरतालिका तीज या गौरी तृतीया व्रत एक महत्वपूर्ण और पवित्र हिन्दू त्योहार है, जो विशेष रूप से महिलाओं द्वारा बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। यह व्रत भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आयोजित किया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर के महीने में आता है। इस दिन, महिलाओं और कन्याओं ने भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करके अपने जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि की कामना की जाती है।

विवाहित और कुंवारी कन्याओं के लिए विशेष महत्व

हरतालिका तीज का व्रत विवाहित महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य और कुंवारी लड़कियों के लिए मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ माना गया है। इस दिन भगवान शिव, माता गौरी और गणेश जी की पूजा की जाती है। यह व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है, यानी बिना भोजन और जल के।

हरतालिका तीज (गौरी तृतीया)

हरतालिका तीज व्रत का महत्व

हरतालिका तीज का व्रत विशेष रूप से महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है। यह व्रत अखंड सौभाग्य और मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए किया जाता है। कुंवारी कन्याएं इस व्रत को अच्छे वर की प्राप्ति के लिए और विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य के लिए करती हैं। यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

हरतालिका तीज का इतिहास और कथा

हरतालिका तीज का नाम दो शब्दों “हरत” और “आलिका” से मिलकर बना है। “हरत” का मतलब होता है “हरण” और “आलिका” का मतलब है “सखी”। मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती की सखियों ने उनका हरण कर उन्हें जंगल में ले जाकर भगवान शिव की आराधना करने के लिए प्रेरित किया था। माता पार्वती ने वहां कठोर तपस्या की और रेत के शिवलिंग की पूजा की। इस दिन उनकी तपस्या और पूजा से प्रभावित होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और उनकी इच्छाओं को पूरा किया।

हरतालिका तीज की पूजा विधि

हरतालिका तीज का व्रत विधिपूर्वक करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। यह व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है। व्रति (व्रत करने वाली महिला) प्रात: जल्दी उठकर स्नान कर साफ वस्त्र पहनती हैं। पूजा के लिए सभी आवश्यक सामग्री एकत्र की जाती है, जिसमें प्रमुख रूप से:

  1. फूल और पत्ते (बेलपत्र, आम के पत्ते, शमी पत्र आदि)
  2. कलश और नारियल
  3. घी, तेल, दीपक, कपूर, चंदन, कुमकुम, सिंदूर
  4. पूजन सामग्री जैसे चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, मेहंदी आदि
  5. पंचामृत (घी, दही, शक्कर, दूध, शहद)

पूजन विधि:

  1. प्रदोष काल में पूजा: हरतालिका तीज की पूजा प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद के समय में की जाती है। प्रदोष काल को शास्त्र सम्मत माना जाता है।
  2. प्रतिमा स्थापना: पूजा के लिए भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी और रिद्धि-सिद्धि जी की प्रतिमाएं बालू रेत या काली मिट्टी से बनाई जाती हैं। इन प्रतिमाओं को रंग-बिरंगे पुष्पों से सजाकर एक चौकी पर रखी जाती है।
  3. दीपक जलाना: सबसे पहले शुद्ध घी का दीपक जलाएं। फिर दाहिने हाथ में अक्षत, रोली, बेलपत्र, मूंग, फूल और पानी लेकर संकल्प करें। मंत्र है – “उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रत महं करिष्ये।”
  4. कलश पूजन: कलश के ऊपर नारियल रखकर लाल कलावा बांधकर पूजन करें। इस दौरान कुमकुम, हल्दी, चावल, पुष्प चढ़ाकर विधिवत पूजन करें।
  5. गणेश पूजा: गणेश जी की पूजा करें और उसके बाद भगवान शिव की पूजा करें।
  6. माता गौरी की पूजा: माता गौरी को संपूर्ण श्रृंगार चढ़ाएं। उनके लिए सभी पूजन सामग्री अर्पित करें।
  7. हरतालिका व्रत कथा: व्रत कथा पढ़ी जाती है और आरती की जाती है। इस दिन महिलाएं रात्रि जागरण भी करती हैं और कीर्तन करती हैं।
  8. अर्चना और विसर्जन: पूजा के बाद संपूर्ण पूजा सामग्री को पवित्र नदी या कुण्ड में विसर्जित किया जाता है।

हरतालिका तीज व्रत की तिथि और मुहूर्त

हरतालिका तीज की पूजा के लिए सही तिथि और मुहूर्त का चुनाव अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस वर्ष, हरतालिका तीज निम्नलिखित तिथियों पर मनाई जाएगी:

  • हरतालिका तीज प्रारंभ: 5 सितंबर को दोपहर 12:21 बजे से
  • हरतालिका तीज समाप्त: 6 सितंबर को दोपहर 03:01 बजे तक
  • प्रदोष काल मुहूर्त: 6 सितंबर को सायं 06:51 से रात्रि 09:05 तक
  • पारण: 7 सितंबर को प्रात: 8 बजकर 27 मिनट के बाद करना उत्तम रहेगा

हरतालिका तीज व्रत के विशेष लाभ और उपाय

हरतालिका तीज के व्रत को विधिपूर्वक करने से कई लाभ प्राप्त होते हैं। कुछ विशेष उपाय और लाभ निम्नलिखित हैं:

  1. संकल्प शक्ति: इस व्रत से संकल्प शक्ति में वृद्धि होती है। संकल्प शक्ति के माध्यम से महिलाएं अपनी इच्छाओं को पूरा कर सकती हैं।
  2. सौभाग्य: विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है और कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।
  3. स्वास्थ्य: माता पार्वती को शक्कर, दूध, मालपूआ आदि का भोग लगाने से स्वास्थ्य लाभ होता है और दीर्घायु प्राप्त होती है।
  4. धन-सम्पत्ति: भगवान शिव को चावल, तिल, गन्ने के रस से पूजन करने पर धन और समृद्धि प्राप्त होती है।

हरतालिका तीज के विशेष मंत्र

हरतालिका तीज की पूजा में निम्नलिखित मंत्रों का जाप किया जाता है:

भगवान शिव के मंत्र:

  • ऊं हराय नम:
  • ऊं महेश्वराय नम:
  • ऊं शम्भवे नम:
  • ऊं शूलपाणये नम:
  • ऊं पिनाकवृषे नम:
  • ऊं शिवाय नम:
  • ऊं पशुपतये नम:
  • ऊं महादेवाय नम:

माता पार्वती के मंत्र:

  • ऊं उमायै नम:
  • ऊं पार्वत्यै नम:
  • ऊं जगद्धात्र्यै नम:
  • ऊं जगत्प्रतिष्ठयै नम:
  • ऊं शांतिरूपिण्यै नम:
  • ऊं शिवाय नम:

हरतालिका तीज एक महत्वपूर्ण और पवित्र व्रत है, जो महिलाओं की आध्यात्मिक और सांसारिक समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। इसे सही तरीके से और श्रद्धा के साथ करना चाहिए, जिससे मनोकामनाएं पूर्ण हों और जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि का आगमन हो।

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