श्री गणेश की दाईं सूंड या बाईं सूंड: कौन सी है शुभ?

श्री गणेश की दाईं सूंड या बाईं सूंड: कौन सी है शुभ?

भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता और सिद्धिविनायक के नाम से जाना जाता है, हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण देवता माने जाते हैं। हर शुभ कार्य के आरंभ से पूर्व गणेश जी की पूजा की जाती है। गणेशजी की मूर्तियों में उनकी सूंड का विशेष महत्व होता है, खासकर जब उनकी सूंड बाईं या दाईं ओर मुड़ी हो। लोग अक्सर इस बारे में प्रश्न करते हैं कि श्री गणेश की कौन सी सूंड अधिक शुभ होती है, और इसका धार्मिक व वास्तु महत्व क्या है। आइए इस विषय पर विस्तार से चर्चा करें।

श्री गणेश की दाईं सूंड या बाईं सूंड कौन सी है शुभ

दाईं सूंड वाले गणेश जी का महत्व

गणेश जी की दाईं ओर मुड़ी सूंड को पिंगला नाड़ी से संबंधित माना जाता है, जो सूर्य का प्रतीक है। सूर्य की उर्जा तेजस्वी, उग्र और सक्रिय मानी जाती है, इसलिए दाईं ओर मुड़ी सूंड वाले गणेशजी की प्रतिमा को पूजने से शक्तिशाली और त्वरित फल प्राप्त होते हैं।

दाईं सूंड वाले गणेश जी की विशेषताएं

  1. शक्तिशाली पूजा: दाईं सूंड वाले गणेश जी की पूजा उग्र प्रकार की मानी जाती है, जिसे विशेष नियमों और विधानों के साथ करना पड़ता है। इसे अनुष्ठानिक पूजा का हिस्सा माना जाता है, और इससे भक्त को तेज गति से लाभ प्राप्त होते हैं।
  2. सिद्धि प्राप्ति: दाईं सूंड वाले गणेशजी को सिद्धिविनायक के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि इनके दर्शन से हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है, और बाधाओं का शीघ्र निवारण होता है।
  3. शत्रु पर विजय: जब जीवन में शत्रुओं से निपटने या चुनौतियों का सामना करने की बात हो, तो दाईं सूंड वाले गणेश जी की आराधना से शत्रुओं पर विजय मिलती है। इन्हें पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और बाधाओं का नाश होता है।
  4. वास्तु दोष निवारण: घर के मुख्य द्वार पर दाईं सूंड वाले गणेश जी की मूर्ति लगाना शुभ माना जाता है। इससे घर में आने वाली नकारात्मक उर्जा का नाश होता है और घर का वातावरण शुद्ध एवं सकारात्मक बना रहता है।
श्री गणेश की दाईं सूंड या बाईं सूंड कौन सी है शुभ

बाईं सूंड वाले गणेश जी का महत्व

गणेश जी की बाईं ओर मुड़ी सूंड को इड़ा नाड़ी से संबंधित माना जाता है, जो चंद्रमा और शीतलता का प्रतीक है। यह नाड़ी मानसिक शांति, स्थिरता और ध्यान को दर्शाती है। बाईं सूंड वाले गणेश जी को सामान्यतः गृहस्थ जीवन और शुभ कार्यों के लिए पूजा जाता है।

बाईं सूंड वाले गणेश जी की विशेषताएं

  1. शांतिपूर्ण पूजा: बाईं सूंड वाले गणेशजी की पूजा शांतिपूर्ण और सरल मानी जाती है। इन्हें गृहस्थ जीवन, शिक्षा, धन, और समृद्धि की कामना के लिए पूजते हैं।
  2. शांति और स्थिरता: बाईं सूंड वाले गणेश जी को विघ्नहर्ता माना जाता है। इनकी मूर्ति को घर के अंदर या कार्यस्थल पर स्थापित करने से मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है। इनकी पूजा से घर में सुख, समृद्धि और सौहार्द बना रहता है।
  3. शुभ कार्यों के लिए उत्तम: बाईं सूंड वाले गणेश जी की आराधना विशेष रूप से विवाह, संतान प्राप्ति, शिक्षा, व्यवसाय में उन्नति, और धन प्राप्ति के लिए की जाती है।
  4. मंगलकारी ऊर्जा: इनकी स्थापना मुख्य द्वार पर करने से यह माना जाता है कि घर में प्रवेश करने वाली सभी नकारात्मक ऊर्जा या विपदाएँ गणेशजी के प्रभाव से नष्ट हो जाती हैं, और घर में केवल सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
श्री गणेश की दाईं सूंड या बाईं सूंड कौन सी है शुभ

सीधी सूंड वाले गणेश जी का महत्व

सीधी सूंड वाले गणेशजी की मूर्तियां दुर्लभ होती हैं, लेकिन इनका महत्व अत्यंत विशेष होता है। माना जाता है कि गणेश जी की सीधी सूंड सुषुम्ना नाड़ी से संबंधित होती है, जो कुण्डलिनी जागरण और आत्मिक उन्नति से जुड़ी होती है।

सीधी सूंड वाले गणेश जी की विशेषताएं

  1. आध्यात्मिक उन्नति: सीधी सूंड वाले गणेशजी की आराधना मुख्य रूप से साधक और योगी करते हैं। यह मूर्ति आत्मिक शांति, ध्यान, और मोक्ष प्राप्ति के लिए पूजी जाती है।
  2. रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति: इस मूर्ति की पूजा से भक्त को रिद्धि-सिद्धि और आध्यात्मिक सफलता मिलती है। विशेषकर संत समाज में इस प्रकार की मूर्ति की पूजा का महत्व अधिक होता है।
  3. मोक्ष प्राप्ति का मार्ग: जिन व्यक्तियों का जीवन लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति है, उनके लिए सीधी सूंड वाले गणेशजी की आराधना अति उत्तम मानी गई है।

गणेश जी की सूंड का वास्तुशास्त्र में महत्व

वास्तुशास्त्र में गणेश जी की सूंड का विशेष महत्व है। घर में कौन सी सूंड वाली मूर्ति स्थापित करनी चाहिए, यह वास्तु के नियमों के आधार पर निर्धारित किया जाता है।

  1. मुख्य द्वार पर स्थापना: घर के मुख्य द्वार पर बाईं सूंड वाले गणेशजी की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। यह घर में प्रवेश करने वाली सभी प्रकार की नकारात्मक उर्जा को रोकने में सहायक होती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
  2. कार्यस्थल पर स्थापना: यदि आप अपने कार्यस्थल पर गणेशजी की मूर्ति रखना चाहते हैं, तो दाईं सूंड वाले गणेशजी की मूर्ति को स्थान दें। इससे कार्यक्षेत्र में आने वाली बाधाओं का नाश होता है और व्यवसाय में उन्नति मिलती है।
  3. पूजन कक्ष में स्थापना: पूजन कक्ष में गणेश जी की सीधी सूंड वाली मूर्ति रखना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इससे घर के सभी सदस्यों के बीच प्रेम, सद्भाव, और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

निष्कर्ष

श्री गणेश की सूंड के विभिन्न रूपों का धार्मिक, आध्यात्मिक और वास्तुशास्त्र में अलग-अलग महत्व है। चाहे वह दाईं सूंड हो, बाईं सूंड हो, या सीधी सूंड, गणेश जी की आराधना से जीवन में सफलता, शांति, और उन्नति प्राप्त होती है। गणेशजी की मूर्ति की स्थापना करते समय सूंड की दिशा और प्रकार का ध्यान रखना आवश्यक है, ताकि अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके।

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